08/01/11

कुछ फ़ोटो ब्लाग मिलन के...

रोहतक मेरा शहर नही, लेकिन मैने जिन्दगी के कुछ साल यहां बिताये हे, ६,७ साल, मेरे माता पिता जी ने यही घर बना लिया,मै उस घर मे  कई साल  रहा, फ़िर यहां आ गया, लेकिन उस समय इस घर को बनाने मे जो मेहनत हम सब को करनी पडी वो मेरे सामने हुयी थी, मेरे दादा जी ने मुहुरत के समय सब से पहले एक ईंट रखी थी, जिस की चर्चा मेरे पिता जी हमेशा करते थे, कि मकान की पहली ईंट किस स्थान पर रखी हे, तो मै झट से बता देता था कि उस कोने पर, ओर पिता जी की आंखो मै आंसू आ जाते थे.....

फ़िर पिता जी ने मेरे हाथ पकड कर कहा कि जब तक हो सके तब तक इस मकान को बेचना नही, इस मे हमारी मेहनत ओर प्यार बसा हे, फ़िर पिता जी चले गये, कुछ समय बाद मां भी चली गई...... भाई ओर उस की बीबी ने इसे बेचना चाहा, जब मुझे पता चला तो मैने उन्हे रोका, ओर अब वहां पुरा ध्यान रख रहा हुं.


यह सब इस लिये लिखा हे, कि आप को उस ब्लाग मिलन की फ़ोटो दिखाने से पहले यह बता दुं, कि यह मकान जहां मै ओर अन्य ब्लागर एक दो राते रुके, मै तो करीब आठ राते रुका, जहां कोई कुर्सी नही थी, कोई बेड या चारपाई नही थी, कोई बरतन नही था, यानि घर मे कुछ नही था, लेकिन मुझे वहां रुक कर जितना आनंद आया मै इस लेख मे लिख नही सकता, मुझे ऎसा लगा कि मै अपने मां बाप की गोद मे रहा, जिन्दगी के वो आठ दिन मेरी जिन्दगी के सब से सुंदर दिन थे, बिना गद्दे के भी मुझे बहुत अच्छी नींद आई, घर का हर कोना मुझे अपना सा लगा.

ओर हां अंतर भाई ने कहा था कि उन की एक भी फ़ोटो ब्लाग मिलन मे नही आई, मेरे पास उन की बहुत सी फ़ोटो हे, केमरा मेरे भाई के बेटे के पास था,शायद उसे फ़ोटो खिचनी नही आती थी, इस लिये ३०० फ़ोटो मे से मुश्किल से मैने कुछ फ़ोटो ही निकाली हे, ओर यह भी साफ़ नही, लेकिन फ़िर भी चलेगी.... तो देखिये....

किसी भी चित्र को बडा कर के देख सकते हे, बडा करने के लिये चित्र पर किल्क करे

































                                                                                                                               


चलिये अब मिलेगे अगले ब्लाग मिलन मे, अगर समय ने साथ दिया तो

27 comments:

  1. घर तो घर है और इतने सारे आत्‍मीय हों तो भरे-पूरे घर की रौनक के क्‍या कहने.

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  2. फ़िर मिलेंगे, वादा रहा।

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  3. इतनी बढ़िया झलकियाँ ब्लॉग मिलन की आत्मीयता जाहिर कर रही हैं।
    आभार।

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  4. यादों से घर बनता है, पूर्वजों की यादे हैं और कुछ भी न हो घर में, काम चल जायेगा।

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  5. भाटिया जी,
    इस में आप के घर का चित्र तो एक भी दिखाई नहीं पड़ा।

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  6. गुड मोर्निंग राज भाई !

    पूरे तिलयार में सबसे अधिक जिस व्यक्ति से प्रभावित हुआ हूँ वह अमित गुप्ता " अंतर सोहिल " ही थे !

    आपके द्वारा दिए भोज आयोजन में, सबको आदर सम्मान के साथ जो व्यक्ति स्वागत सत्कार के साथ सबसे आगे थे वे अमित ही थे ! इनकी विनम्रता और स्नेही स्वभाव देख लग ही नहीं रहा था कि किसी गैर से मिले हैं !

    द्वार पर ही मेरे पैर छू कर यह तरुण सुदर्शन युवक, मेरे आशीर्वाद के साथ साथ, मेरा दिल भी जीत चूका था !

    और सच कहूं भाटिया जी , तो इतनी दूर तिलयार मुझे बुलाने का श्रेय, मैं अमित गुप्ता की विनम्रता और स्नेही स्वभाव को ही देता हूँ !

    अमित के फोटो मेरी इस पोस्ट पर भी देख सकते हैं !
    सादर




    http://satish- saxena.blogspot.com/2010/11/blog-post_26.html

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  7. बहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं...

    और अपने घर के जमीन,दरवाजे,छत से जो अपनापन जुड़ा होता है...वो कोई झाडफानूस या नर्म गद्दे-सोफे क्या देंगे.

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  8. राज जी, बहुत बढ़िया सचित्र प्रस्तुति...मेरे न होने का बहुत अफ़सोस है ..कम से कम आप लोगों से एक सुखद मुलाकात तो होती..खैर आगे उम्मीद करते है अब....बढ़िया प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

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  9. सुन्दर चित्रावली के लिए धन्यवाद .

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  10. बहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं

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  11. आत्मीयता से भरी पोस्ट।

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  12. मकान तो बहुत बन जाते हैं और लोग न जाने कितने खरीद भी लेते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने मकान नहीं घर बनाया था इसलिए वे चाहते थे कि यह हमेशा हमारे दिलों में बसा रहे।

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  13. bahut bhwnatmak yaaden hain.padhkar khoob achcha laga.

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  14. आपने खूब मेहनत की है. अन्यथा ऐसा ब्लोग्गर मिलन तो संभव ही नहीं था. इंतजामात के लिए आपको नमन.

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  15. भाटिया सा :
    नमस्कार ,समय आपका अवश्य साथ देगा ,कोई चिंता न करें.आयोजन के चित्र उत्तम हैं.
    आपने मेरे ब्लाग पर गायत्री मन्त्र गायन किसी गोरे द्वारा सही ही बताया है.हमारे देश में फारेन रिटर्न का ज्यादा महत्त्व है,इसलिए विदेशियों का गाया हुआ लगाया है कि,अब तो शर्मा कर हमारे लोग भी पालन करें तो बेहतर रहे.

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  16. सभी दोस्तों को एक साथ देखने का
    सौभाग्य मिला ..आभार !

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  17. घर तो लोगों से ,उनके अपनेपन और स्नेह से बनता है.फिर बेशक सुविधाएँ न हो .

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  18. भाटिया जी , मात पिता द्वारा बनाये गए घर की देखभाल कर आपने उनके लिए दिल में बसे सम्मान का परिचय दिया है ।
    बहुत अच्छा लगा यह सचित्र संस्मरण ।

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  19. राज जी,
    मकान ईंट-गारे का बना होता है, घर उसमें रहने वालों से बनता है...और ब्लॉगिंग ने तो पूरी दुनिया को ही एक जगह लाकर भारत-घर बना दिया है...

    आपका प्यार भरा सत्कार हमेशा याद रहेगा...

    जय हिंद...

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  20. अपना घर आँगन जो सुकून देता है वो और कहाँ ....... आत्मीय क्षणों को सहेजे पोस्ट .....

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  21. भाटिया जी,
    आपने सही कहा, माँ बाप का बनाया हुआ घर उनकी गोद की तरह होता है जहाँ रहकर जीवन का सच्चा सुकून मिलता है!
    ब्लोगर मिलन की तस्वीरें अच्छी लगीं !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  22. वाह जी आपने तो इनती फ़ोटो दिखा कर मौज लगा दी. धन्यवाद.

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  23. अच्छा लगता है ब्लॉग जगत को एक परिवार के रूप में देखकर।

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  24. आप सभी को यूँ मिलते हुए देख बहुत अच्छा लगता है राज़ जी .....
    कुछ तसवीरें तो पहले भी देखीं थीं .....
    आपने नाम नहीं दिए सभी को पहचानना मुश्किल लगा .....

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  25. नाम भी होते तो और भी अच्छा रहता..

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये