06/01/11

एक सवाल...क्या डॉक्टर बिनायक सेन देशद्रोही हैं?

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ग़रीबों के बीच में एक अर्से से काम कर रहे डॉक्टर बिनायक सेन को देशद्रोह के लिए आजन्म कारावास की सज़ा सुनाई. उनके साथ माओवादी पार्टी के नेता नारायण सान्याल और पीयूष गुहा को भी आजन्म कारावास हुआ.

22 comments:

  1. ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है क्या?

    ReplyDelete
  2. न्यायालयों को साक्ष्य के आधार पर निर्णय लेने दिया जाये।

    ReplyDelete
  3. मैं समझता हूँ की बिनायक सेन एक भला इन्सान है देश भक्त भी हो सकता है, लेकिन इतना अहम् नहीं है, जितनी अहमियत इस देश के बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा उसे दी जा रही है !

    ReplyDelete
  4. पता नहीं जी । हमने तो इस बारे में कभी सोचा नहीं ।

    ReplyDelete
  5. अगर डॉ साहब माओवादी जैसे संगठनों के साथ जुड़े थे तो देशद्रोही तो हैं ही ....
    रहा देशद्रोही कानून खत्म करने का सवाल तो ये कानून वाले जाने ....

    ReplyDelete
  6. इन के बारे मै भी नही जानता, बस यह समाचार बी बी सी पर देखा, ओर लोगो की अलग अलग टिपण्णियां पढी तो सोचा आप लोगो के विचार भी जानू, कुछ जानकारी हमारी भी बढे, क्योकि इन सब के बारे मैने पहले कही नही पढा था, इस लिये मेरी राय कुछ नही इस बारे

    ReplyDelete
  7. चर्चाओं में तथ्‍य और विचार कम, प्रतिबद्धताएं ही अधिक नजर आ रही हैं.

    ReplyDelete
  8. यदि माओवादियों के साथ हैं तो सजा के हकदार हैं.

    ReplyDelete
  9. इस सन्दर्भ में सज्जन जी और विनोद जी कमेन्ट गौर करने लायक है ...... इसके आलावा देशद्रोह की पहले सही व्याख्या होनी चाहिए.

    ReplyDelete
  10. अभी हाल ही में उन सबूतों के बारे में पढ़ा जिनके आधार पर उनको सजा दी गई है संभवतः

    तीन चार दिन पहले नव भारत टाइम्स में आया था एक बार आप सब भी पढ़े समझ में आ जायेगा की उनको कितनी गलत सजा मिली है कम से कम सबूत देख कर तो यही लगता है | बस उनके पास कुल छ सबूत थे जिनमे किताब साहित्य और हाथ से लिखा दो लेख मिला था इस तरह की छ चीजे मिली थी जो नक्सलियों या कहे की आदिवासियों के पक्ष में लिखा था देश के खिलाफ कुछ भी नहीं था | इसके अलावा कोई सबूत नहीं है इनको देखते हुए तय है की आगे कोर्ट से उनकी सजा में बदलाव आयेगा |

    ReplyDelete
  11. .

    राज जी,
    इसी विषय पर मैंने भी एक लेख लिखा है ।

    http://zealzen.blogspot.com/2011/01/dr-binayak-sen-prisnor-of-conscience.html

    कोर्ट के पास पुख्ता सबूत नहीं हैं। एक निर्दोष को गलत सजा मिल रही है। देश के अन्दर जो असली देशद्रोही हैं, जो अलगाववादी हैं, वो निरंकुश घूम रहे हैं।

    .

    ReplyDelete
  12. कुछ ही हो परंतु हिंसा किसी भी स्तर पर क्षम्य नही.

    ReplyDelete
  13. उन के बारे में सोचिये जो माओवाद के कारण तबाह हो चुके हैं नकारात्मक्ता का मूल स्रोत रोकना ज़रूरी है. वैसे यदी वे दोषी हैं या नही अदालतों को देखने दीजिये भारत की अखण्डता पर किसी की विकृत निगाह क्षम्य नही

    ReplyDelete
  14. असल में यह बहस वे लोग कर रहे हैं जिनने कभी भी जनजातीय क्षेत्रों की स्थिति देखी नहीं है। इन क्षेत्रों में आज युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। जो लोग समाज के समक्ष अच्‍छे होने का आवरण ओढ़े हुए हैं उनका असली चेहरा वहीं जाकर देखा जा सकता है। इसलिए किसी का भी पक्ष लेने से पूर्व उस क्षेत्र में जाकर वहाँ का अध्‍ययन आवश्‍यक है। मैंने जनजातीय क्षेत्र में 15 वर्ष तक कार्य किया है इसलिए मुझे पता है इन लोगों की असली मंशा।

    ReplyDelete
  15. "हम को उतना ही पता चलता है जितना मीडिया में प्रकाशित होता है,,,सत्य क्या है ? कौन बिनायक सेन? मैं तो यह भी नहीं जानता कि मैं कौन हूँ?,,,
    यह संसार, जिसका एक अंश मेरा यह घटता - बढ़ता देश है, अमृत है,,, ४ अरब से भी अधिक समय से चल रहा है!,,, और प्रकृति निरंतर परिवर्तनशील है,,,भविष्य भूत पर निर्भर होता है,,, और सब जानते हैं 'जैसा बोवोगे/ वैसा काटोगे',,,भगवान् के राज्य में देर है अंधेर नहीं" आदि,,,और मानव के राज्य में केवल अंधेर - अज्ञानतावश? मानव समाज किसी भी छोटी से छोटी बात पर तीन, नहीं तो कम से कम दो हिस्सों में क्यूँ बंट जाता है? थोड़े समर्थक, थोड़े विरोधी, और थोड़े बिन पैंदी के लोटे समान, न इधर के न उधर के? स्टेफन हौकिंग क्यूँ नहीं बोलता इस विषय पर? वो तो ब्रह्माण्ड के बारे में सब कुछ जानता है!
    अनंत प्रश्न हैं पर उत्तर नहीं!"
    भाटिया जी, उपरोक्त टिप्पणी का कुछ भाग नहीं छपा! सही मॉडरेशन?

    ReplyDelete
  16. @J C जनाब नयी किसी भी पोस्ट पर मॉडरेशन नही लगा हे सिर्फ़ चार दिन पुरानी पोस्ट पर माड्रेशन ही लगता हे, मै नही जानता कि यह सज्जन कोन हे, लेकिन मै यह चाहता हुं कि लोग बिना जाने बिना समझे एक दुसरे की बात सुन कर ही किसी के बिरोध मे या किसी के हक मे ना बोले, जब हमे इन के बारे पता ही नही कि यह असल मे क्या करते थे तो हम क्यो बोले, मुझे अजित गुप्ता जी की टिपण्णी बहुत सही लगी, आप सभी का धन्यवाद

    ReplyDelete
  17. यह जिज्ञासा तो मेरे मन में भी है...परन्तु एकदम विपरीत दो दृष्टिकोण देख पढ़ कर निर्णीत करना कठिन लगता है कि क्या सही है क्या गलत...

    ReplyDelete
  18. jahn is desh me chor,balatkari,ghotalebaaj,atankwaadi aajad ghum rehe h.wahi ek desh bhakat ko saza ho rehi h

    ReplyDelete
  19. भाटिया जी, क्षमा करें मैं आपकी बात नहीं कर रहा था, आप ही ने बीबीसी को सामने किया तो लिख दिया था जो अपन को सही लगा,,,बुद्ध के बारे में आचार्य रजनीश (ओशो) के विचार किसी ने पूछे तो उन्होंने कहा व्यक्ति विशेष के बारे में यदि पूछते हैं तो उनको कुछ नहीं कहना है,,, किन्तु यदि उनके भीतर व्याप्त प्रकाश की बात करनी है तो वो बोलते ही चले जायेंगे! (वैसे बुद्ध ने कहा अपने अन्दर का अच्छा सम्हाल के रखें और बाहर का अच्छा ही केवल ग्रहण करें !)

    ReplyDelete
  20. दोस्तों
    आपनी पोस्ट सोमवार(10-1-2011) के चर्चामंच पर देखिये ..........कल वक्त नहीं मिलेगा इसलिए आज ही बता रही हूँ ...........सोमवार को चर्चामंच पर आकर अपने विचारों से अवगत कराएँगे तो हार्दिक ख़ुशी होगी और हमारा हौसला भी बढेगा.
    http://charchamanch.uchcharan.com

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये