रोहतक मेरा शहर नही, लेकिन मैने जिन्दगी के कुछ साल यहां बिताये हे, ६,७ साल, मेरे माता पिता जी ने यही घर बना लिया,मै उस घर मे कई साल रहा, फ़िर यहां आ गया, लेकिन उस समय इस घर को बनाने मे जो मेहनत हम सब को करनी पडी वो मेरे सामने हुयी थी, मेरे दादा जी ने मुहुरत के समय सब से पहले एक ईंट रखी थी, जिस की चर्चा मेरे पिता जी हमेशा करते थे, कि मकान की पहली ईंट किस स्थान पर रखी हे, तो मै झट से बता देता था कि उस कोने पर, ओर पिता जी की आंखो मै आंसू आ जाते थे.....
फ़िर पिता जी ने मेरे हाथ पकड कर कहा कि जब तक हो सके तब तक इस मकान को बेचना नही, इस मे हमारी मेहनत ओर प्यार बसा हे, फ़िर पिता जी चले गये, कुछ समय बाद मां भी चली गई...... भाई ओर उस की बीबी ने इसे बेचना चाहा, जब मुझे पता चला तो मैने उन्हे रोका, ओर अब वहां पुरा ध्यान रख रहा हुं.
यह सब इस लिये लिखा हे, कि आप को उस ब्लाग मिलन की फ़ोटो दिखाने से पहले यह बता दुं, कि यह मकान जहां मै ओर अन्य ब्लागर एक दो राते रुके, मै तो करीब आठ राते रुका, जहां कोई कुर्सी नही थी, कोई बेड या चारपाई नही थी, कोई बरतन नही था, यानि घर मे कुछ नही था, लेकिन मुझे वहां रुक कर जितना आनंद आया मै इस लेख मे लिख नही सकता, मुझे ऎसा लगा कि मै अपने मां बाप की गोद मे रहा, जिन्दगी के वो आठ दिन मेरी जिन्दगी के सब से सुंदर दिन थे, बिना गद्दे के भी मुझे बहुत अच्छी नींद आई, घर का हर कोना मुझे अपना सा लगा.
ओर हां अंतर भाई ने कहा था कि उन की एक भी फ़ोटो ब्लाग मिलन मे नही आई, मेरे पास उन की बहुत सी फ़ोटो हे, केमरा मेरे भाई के बेटे के पास था,शायद उसे फ़ोटो खिचनी नही आती थी, इस लिये ३०० फ़ोटो मे से मुश्किल से मैने कुछ फ़ोटो ही निकाली हे, ओर यह भी साफ़ नही, लेकिन फ़िर भी चलेगी.... तो देखिये....
किसी भी चित्र को बडा कर के देख सकते हे, बडा करने के लिये चित्र पर किल्क करे
चलिये अब मिलेगे अगले ब्लाग मिलन मे, अगर समय ने साथ दिया तो
घर तो घर है और इतने सारे आत्मीय हों तो भरे-पूरे घर की रौनक के क्या कहने.
ReplyDeleteफ़िर मिलेंगे, वादा रहा।
ReplyDeleteइतनी बढ़िया झलकियाँ ब्लॉग मिलन की आत्मीयता जाहिर कर रही हैं।
ReplyDeleteआभार।
यादों से घर बनता है, पूर्वजों की यादे हैं और कुछ भी न हो घर में, काम चल जायेगा।
ReplyDeleteभाटिया जी,
ReplyDeleteइस में आप के घर का चित्र तो एक भी दिखाई नहीं पड़ा।
ReplyDeleteगुड मोर्निंग राज भाई !
पूरे तिलयार में सबसे अधिक जिस व्यक्ति से प्रभावित हुआ हूँ वह अमित गुप्ता " अंतर सोहिल " ही थे !
आपके द्वारा दिए भोज आयोजन में, सबको आदर सम्मान के साथ जो व्यक्ति स्वागत सत्कार के साथ सबसे आगे थे वे अमित ही थे ! इनकी विनम्रता और स्नेही स्वभाव देख लग ही नहीं रहा था कि किसी गैर से मिले हैं !
द्वार पर ही मेरे पैर छू कर यह तरुण सुदर्शन युवक, मेरे आशीर्वाद के साथ साथ, मेरा दिल भी जीत चूका था !
और सच कहूं भाटिया जी , तो इतनी दूर तिलयार मुझे बुलाने का श्रेय, मैं अमित गुप्ता की विनम्रता और स्नेही स्वभाव को ही देता हूँ !
अमित के फोटो मेरी इस पोस्ट पर भी देख सकते हैं !
सादर
http://satish- saxena.blogspot.com/2010/11/blog-post_26.html
,
ReplyDeleteतिलयार लेक के इस लेख को "शरीफ ब्लागर" न पढ़ें
,
बहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं...
ReplyDeleteऔर अपने घर के जमीन,दरवाजे,छत से जो अपनापन जुड़ा होता है...वो कोई झाडफानूस या नर्म गद्दे-सोफे क्या देंगे.
राज जी, बहुत बढ़िया सचित्र प्रस्तुति...मेरे न होने का बहुत अफ़सोस है ..कम से कम आप लोगों से एक सुखद मुलाकात तो होती..खैर आगे उम्मीद करते है अब....बढ़िया प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर चित्रावली के लिए धन्यवाद .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर तस्वीरें हैं
ReplyDeleteआत्मीयता से भरी पोस्ट।
ReplyDeleteमकान तो बहुत बन जाते हैं और लोग न जाने कितने खरीद भी लेते हैं लेकिन हमारे पूर्वजों ने मकान नहीं घर बनाया था इसलिए वे चाहते थे कि यह हमेशा हमारे दिलों में बसा रहे।
ReplyDeletebahut bhwnatmak yaaden hain.padhkar khoob achcha laga.
ReplyDeleteआपने खूब मेहनत की है. अन्यथा ऐसा ब्लोग्गर मिलन तो संभव ही नहीं था. इंतजामात के लिए आपको नमन.
ReplyDelete... ye original post hai !!
ReplyDeleteभाटिया सा :
ReplyDeleteनमस्कार ,समय आपका अवश्य साथ देगा ,कोई चिंता न करें.आयोजन के चित्र उत्तम हैं.
आपने मेरे ब्लाग पर गायत्री मन्त्र गायन किसी गोरे द्वारा सही ही बताया है.हमारे देश में फारेन रिटर्न का ज्यादा महत्त्व है,इसलिए विदेशियों का गाया हुआ लगाया है कि,अब तो शर्मा कर हमारे लोग भी पालन करें तो बेहतर रहे.
सभी दोस्तों को एक साथ देखने का
ReplyDeleteसौभाग्य मिला ..आभार !
घर तो लोगों से ,उनके अपनेपन और स्नेह से बनता है.फिर बेशक सुविधाएँ न हो .
ReplyDeleteभाटिया जी , मात पिता द्वारा बनाये गए घर की देखभाल कर आपने उनके लिए दिल में बसे सम्मान का परिचय दिया है ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा यह सचित्र संस्मरण ।
राज जी,
ReplyDeleteमकान ईंट-गारे का बना होता है, घर उसमें रहने वालों से बनता है...और ब्लॉगिंग ने तो पूरी दुनिया को ही एक जगह लाकर भारत-घर बना दिया है...
आपका प्यार भरा सत्कार हमेशा याद रहेगा...
जय हिंद...
अपना घर आँगन जो सुकून देता है वो और कहाँ ....... आत्मीय क्षणों को सहेजे पोस्ट .....
ReplyDeleteभाटिया जी,
ReplyDeleteआपने सही कहा, माँ बाप का बनाया हुआ घर उनकी गोद की तरह होता है जहाँ रहकर जीवन का सच्चा सुकून मिलता है!
ब्लोगर मिलन की तस्वीरें अच्छी लगीं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
वाह जी आपने तो इनती फ़ोटो दिखा कर मौज लगा दी. धन्यवाद.
ReplyDeleteअच्छा लगता है ब्लॉग जगत को एक परिवार के रूप में देखकर।
ReplyDeleteआप सभी को यूँ मिलते हुए देख बहुत अच्छा लगता है राज़ जी .....
ReplyDeleteकुछ तसवीरें तो पहले भी देखीं थीं .....
आपने नाम नहीं दिए सभी को पहचानना मुश्किल लगा .....
नाम भी होते तो और भी अच्छा रहता..
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