नमस्कार आप सभी को जी, केसे हे आप सब , बात यह हे कि मै जब भी रोहतक ब्लांग मिलन की दुसरी किस्त डालने लगता हुं कोई नया पंगा तेयार मिलता हे,कभी मच्छरी( मच्छर के काटने से कोई बीमार नही होता सच मे) ने काट लिया तो डेंगू होगा लेपटाप को, तो कभी शव्द सही नही बेठते, आज पता चला कि हमारा नाम ही चोरी हो गया, जी हां हमारा सीधा साधा नाम raj bhatia या Raj Bhatia,अभी अभी मेल चेक कर रहा था तो देखा कि इंदु जी मेरे से बज्ज पर खुब बाते कर रही हे, यानि चेट, मेने दिमाग पर बहुत जोर दिया कि बाबा यह सब बाते कब हुयी? फ़िर ध्यान से देखा कि कोई मेरे नाम को तोड मोड कर, उन से बाते कर रहा हे, यह देखिये उन महाशय का आई डी..R@j Bh@tia, वेसे तो मुझे कोई दिक्कत नही, मैने कोन सा यह नाम अपने नाम रजि करवा रखा हे,ओर कोन सा सिर्फ़ मेरे अकेले का नाम हे, लेकिन आप सब को यह बताना जरुरी हे कि आप मेरे से बात करते समय किसी ओर से बात कर रहे होंगे मेरे भुलावे मे, इस लिये मेरे से चेट करने से पहले ध्यान से देख ले की यह हम ही हे, ओर मै हमेशा अपना नाम सीधा साधा लिखता हुं. ओर यह सज्जन R@j Bh@tia कोई ओर हे, जिन्हे मै नही जानता, मेरी तो फ़ोटू भी दिखती हे, लेकिन फ़ोटू तो कोई भी चुरा सकता हे.
इंदु जी से बात हुयी तो उन्होने कहा कि वो तो मुझे ही समझ कर इन से बात कर रही थी ,इस लिये(सवारी) ब्लांगर अपने समान का खुद जिम्मेदार होगा, ड्राईवर या कंडेकटर की कोई जिम्मेदारी नही,
धन्यवाद
अपने सामान की सुरक्षा हम ही करेंगे, हा हा हा हा। सूचना के लिए आभार।
ReplyDeleteवैसे तो भगवान् ना करे आप पे गुस्सा आये लेकिन अगर आया तो R@j Bh@तिया पे निकाल लिया करूँगा.. घर मै सभी को बता दें...
ReplyDeleteलगता है भाटिया शब्द में कुछ है.
ReplyDeleteइससे पहले आईना ब्लॉग वाले श्री जगदीश भाटिया की आइडेंटिटी नाम व फोटू समेत किसी विदेशी ने चुरा ली थी!
राज साहब,
ReplyDeleteयह तो जोरदार पंगा है।
आभार आपने जाग्रत किया। सभी को सावधान रहने की आव्श्यकता है।
बिल्कुल सही सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार है।
ReplyDeleteबगैर सामान की सवारी है हम तो ,कोइ क्या ले लेगा|
ReplyDelete,इस लिये(सवारी) ब्लांगर अपने समान का खुद जिम्मेदार होगा, ड्राईवर या कंडेकटर की कोई जिम्मेदारी नही,
ReplyDeleteमुझे एक बात समझ में नही आती जब कार घर में है तो बस में क्यों सफ़र करना?
रामराम.
आजकल id और मेल बॉक्स की चोरी भी खूब हो रही है. आभार आपने आगाह कर दिया.
ReplyDeleteयह कौन है भाई जो नाम का दुरुपयोग कर रहा है।
ReplyDeleteबड़े धोखे हैं इस राह में, बाबूजी धीरे चलना...।
ReplyDeleteसच में संभलने की ज़रुरत है.......जानकारी का आभार
ReplyDeleteसचमुच जरूरी सूचना दी है आपने, हम भी संभल कर रहेंगे...आभार।
ReplyDeleteराज़ जी बधाई .....ऐसे किस्से सबके साथ नहीं होते ...आप तो किस्मत वाले हैं ...
ReplyDeleteवो बातचीत भी यहाँ छाप देते तो हम भी आनंद लेते .....
सच्च कहूँ आपकी पोस्ट पढ़कर ताऊ जी का ख्याल पहले आया था ....
सूचना देने का शुक्रिया ..अपने सामन की खुद ही ज़िम्मेदारी उठाएंगे जी ..
ReplyDeleteवाह.. बहुत खूब... यूं भी होने लगा... धन्य है चोर भी..
ReplyDeleteअजी कोई क्या ले जाएगा...खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ चले जाना है...:)
ReplyDeleteअपनी सुरक्षा अपने हाथ ..हमारी मानिये तो तुरंत पासवर्ड बदल डालिए ...
ReplyDeleteकमाल है! न जाने क्या क्या हो रहा है आज कल।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगर का भी क्लोन
ReplyDeleteचलिए अब नहीं लेना पड़ेगा लोन
अविनाश मूर्ख है
बधाई भाटिया जी यह सम्मान सबको नसीब नहीं, केवल महत्वपूर्ण लोगों को ही।
ReplyDeleteराज जी,
ReplyDeleteअब आप इतने पापुलर हो गए हैं कि आपको अपना नाम भी पेटेंट करा लेना चाहिए...
आगाह करने के लिए शुक्रिया...
जय हिंद...
बाप रे ,कोई और कुछ न कर धर डाले :)
ReplyDeleteइंटरनेट की दुनिया है जी, प्रत्यक्ष मिलने और फोन संपर्क के अलावा इस दुनिया में संपर्क छलावा हो सकता है इस बात का भान हमें पिछले दिनों तब लगा जब एक दबंग व्यक्तित्व नें नोयडा के यादव सरनेम के साथ हमारे एक मित्र के साथ हमारी सारी सही जानकारी शेयर करी और उन्हें कहा कि मैं उनके पास नौकरी करता था :) उन्होंनें उस मित्र से अपनी नजदीकियां बढ़ाने की सभी कोशिसे की, आईपी झोले में जो लोकेशन आया वह चौंकाने वाला रहा, अपने आदम खोल में एक आदमी कई कई खोल ओढ़े रहता है।
ReplyDeleteइंटरनेट की दुनिया है जी, प्रत्यक्ष मिलने और फोन संपर्क के अलावा इस दुनिया में संपर्क छलावा हो सकता है इस बात का भान हमें पिछले दिनों तब लगा जब एक दबंग व्यक्तित्व नें नोयडा के यादव सरनेम के साथ हमारे एक मित्र के साथ हमारी सारी सही जानकारी शेयर करी और उन्हें कहा कि मैं उनके पास नौकरी करता था :) उन्होंनें उस मित्र से अपनी नजदीकियां बढ़ाने की सभी कोशिसे की, आईपी झोले में जो लोकेशन आया वह चौंकाने वाला रहा, अपने आदम खोल में एक आदमी कई कई खोल ओढ़े रहता है।
ReplyDeleteओह
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteऐसा कैसे हो सकता है.ये तो अच्छा हुआ कि वो महाशय अप शब्द नही बोले वरना मैं तो ये ही मानती कि आपने मुझे गाली दी. हा हा हा
उनके डियर और यार शब्द से मेरा माथा ठनका.
चलता है.जीवन में ऐसे लोग भी कुछ सिखाने ही आते हैं.
आगे से इस यात्री के सामान का जिम्मा......मेरा नही आपका ही होगा.
आपके होते मैं फालतू का टेंशन कयों रखूं?
बोलिए...बोलिए.
आप भी कर लीजिए
ReplyDeleteकिसी का नाम चोरी।
कॉमनवेल्थ गेम्स के अवसर पर चूहे से चैट