10/07/10

आईये आप को युरोप के ही नही दुनिया के सब से बडे मेले मै ले चले....

जी हमारे जर्मनी  मै सितम्बर के दुसरे या तीसरे सप्ताह से मुनिख शहर मै एक मेला लगता है, जिसे अक्तुवर फ़ेस्ट के नाम से जाना जाता है हम , बहुत बार गये, ओर बहुत मजे भी लिये, चलिये आज आप को वहां की कुछ झलकिया दिखाये, इसे देखने के लिये आप यहां किल्क करे, अजी देखने से पहले एक बार सोचे कि यहां कितने लोग रोज आते होंगे, ज्यादा से ज्यादा सोचे, फ़िर इसे देखे, ओर फ़िर बताये क्या आप ने सही संख्या सोची थी.

अगर आज का मेच देखना है उरगुबावे ओर जर्मनी को तो यहां लाईव  देखे

14 comments:

  1. राइन फ़ेस्टिवल भी जर्मनी में ही होता है . पहले दूरदर्शन में कई जर्मन फ़ेस्टिवल दिखाये जाते थे .
    एक जानकारी चाहूँगा आप तो भारतीयों से भी ज्यादा भारतीय हैं आपके बच्चों पर जर्मन सभ्यता का क्या प्रभाव है .

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  2. धन्यवाद डॉ महेश सिन्हा जी अभी तो मेरे बच्चे १९, ओर २० साल के है, ओर अभी तक भारतिया संस्कार ज्यादा है बच्चो मै, लेकिन वो दोनो सभ्यताओ को बहुत अच्छी तरह से समझते है, यानि भारतियो के संग शुद्ध भारतिया ओर गोरो के संग शुध्द गोरे, अभी तक कोई लडकी दोस्त नही बनाई, सब से बडी बात हमारे कहने से वो भारत मै भी शादी करने को तेयार है, शायद बडे लडके की शादी ४, ५ सालो मै कर दे भारत मै ही.

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  3. अरे वाह,भाटिया जी. संस्कार स्वयं बोलते हैं.

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  4. आभार जानकारी का.

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  5. सामूहिकता का आनन्द देख मन प्रसन्न हो गया ।

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  6. मजा आ गया मेला देखकर! हम तो समझते थे कि ये मेले ठेले सिर्फ भारत में ही होते हैं पर अब पता चला कि दूसरे देशों में भी मेले लगते हैं।

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  7. जर्मन के बीयर गार्डन के बारे में सुना भी है और देखा भी है ... पर अक्तुवर फ़ेस्ट नही देख पाए कभी सो आपने दिखा दिया ... सच में कमाल है ...

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  8. मैंने अभी तक ऐसा साक्षात तो नहीं देखा.. यहाँ देख अच्छा लगा सर..

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  9. यहां की सैर बहुत अच्छी लगी...जानकारी आपने बहुत अच्छी उपलब्ढ कराई है, धन्यवाद!

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  10. मजा आ गया पढकर ...रही बातों संस्कारों की और बच्चो की तो मुझे लगता है की हम बाहर रहने वाले लोगों के बच्चे भारतीय संस्कृति के बहुत पास होते है क्यूंकि हम भारत से बाहर होने की वजह से कुछ ज्यादा ही ध्यान इस और देते हैं ...जानकर बढ़िया लगा कि आपके दोनों लडके भी भारतीयता से ओतप्रोत है और साथ ही दूसरी संस्कृति का सम्मान भी करते हैं !!

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