जब भी समय होता है मै देश विदेश की अच्छी अच्छी खवे ढुढ कर पढता हुं, ओर बहुत अच्छी खबरो का लिंक अपने मित्रो को भेज देता था, ओर जिन के पास नेट नही है उन्हे प्रिंट कर के भेज देता था, ओर अब तो लिंक देने से काम चल जाता है, लिजिये एक खास खबर आप भी इसे पढे....
भारत में नेता सत्ता के ऊँचे मुकामो के लिए चुने जाने के बाद पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी या कोई कीमती खदान आवंटित करने की जुगत करते हैं, लेकिन राजस्थान में एक दलित विधायक स्कूल लेक्चरर पद के लिए अपनी विधायकी कुर्बान करने को तैयार है.आगे पढने के लिये यहां चटखा लगाये
मेरा सलाम इन को काश मेरे देश के सभी नेता ऎसे हो...... बस नाम मात्र के ईमान दर ना हो, इन जेसे बने
zabardast...........
ReplyDeletekamal ki post !
सुखद खबर लगी.
ReplyDeleteप्रेरक ! लेकिन प्रेरणा लेने ककी पड़ी किसे है :)
ReplyDeleteमैंने भी पढ़ी थी ये खबर.. गुड..
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी ..शुक्रिया भाई जी
ReplyDeleteविधायक की सोच अच्छी है लेकिन मुझे लगता है कि राजनीति से एक अच्छा आदमी कम हो गया. वैसे भी वहा घटिया लोगो की भरमार है . ऐसे अच्छे लोग भी चले जायेंगे तो कैसे चलेगा कम ..? उनको मुकाबला करना चाहिए, विधायक मतलब जनप्रतिनिधि. वे जानता के लिये लड़-भिड कर काम करा सकते है. अगर ऐसा नहीं करा सकते तो उनकी कमजोरी है. यह पलायनवाद भी है एक तरह का. लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि होने को वे कूद हलके से ले रहे है तो कोई क्या कर सकता है. उनके विचार अच्छे है. कि वे बहुत से लोगो को पढ़ा सकते है. लेकिन विधायक रह कर वे इससे ज्यादा काम कर सकते है. शाला भवन बनवा सकते है, सड़कें बनवा सकते है, दुखी जनों की मदद करवा सकते, है, उन्हें जो अनुदान मिलते है, उनसे गरीबों, असहायों की मदद कर सकते है. न जाने कितने काम है, जो वे कर सकते है. भावुकता में विधायकी छोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है. वे विधायक रहते हुए भी कही जा कर पढ़ा सकते है. वे सच्चे, जुझारू जनप्रतिनिधि बने. यही बेहतर है. पलायन ठीक नहीं, जो अफसर काम नहीं करते, उनकी छाती पर सवार हों, उनकी खबर ले, हालात खराब कर दें उसकी. हजारो लोगों की ताकत होती है विधायक के पास मगर कोई इस ताकत का इस्तेमाल नहीं करे सकता, तो फिर ठीक ही है. शिक्षक ही बन जाये, या कुछ भी बन जाये. लेकिन अगर कुछ करनाचाहते है, तो विधायक बने रहते हुए और अच्छे से कर सकते है. ईमानदार रह कर आदर्श प्रस्तुत करें न..भगनाक्यों. सब ऐसा करेंगे तो राजनीति में केवल अपराधी ही बचे रहेंगे. मेरे ख्याल से इन्हें डटे रहना चाहिए, और ब्यूरोक्रेसी की खाल खींच लेनी चाहिए.
ReplyDeleteराजजी, यह भारत का दुर्भाग्य है कि हमने राजनीति को भ्रष्ट और गन्दगी का पर्याय बताकर उससे अच्छे राजनीतिज्ञ छीन लिए हैं। आज भी ऐसे बहुत सारे राजनेता हैं जो बहुत ही अच्छा काम करते हैं लेकिन उन्हें रात-दिन यही सुनना पड़ता है कि राजनेता भ्रष्ट होते हैं। जिस देश की जैसी जनता होती है, वैसे ही राजनेता पैदा होते हैं। इसलिए दोष सम्पूर्ण समाज में है और हम केवल एक तन्त्र को दोषी बताकर सारी बुराइयों से पल्ला झाड़ लेते हैं। यही कारण है कि आज अच्छे लोग राजनीति में आने से कतराने लगे हैं। मैं यह नहीं कहती कि राजनीति स्वच्छ है लेकिन मेरा इतना ही कहना है कि जो भ्रष्ट है उसका नाम लेकर बोलना चाहिए, इस जुम्ले को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। नहीं तो मीडिया की कृपा से राजनीति में सारे ही भ्रष्टाचारी लोग आ जाएंगे और ऐसे विधायक धीरे-धीरे गुम होते जाएंगे।
ReplyDeleteऐसे व्यक्ति को इस देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनना चाहिए तब जाकर इस देश और समाज का सही मायने में उदय होगा | ऐसे व्यक्ति हमारे देश के आज के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बेहतर व कलयुग के भगवान स्वरुप हैं | हम जल्द ही ऐसे व्यक्ति से मिलले का प्रयास करेंगे और अगर मिल सकें तो यह हमारा सौभाग्य होगा कास ऐसी भावना श्री मनमोहन सिंह जी में तथा श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी में आ जाती ,हे भगवान ऐसा दिन कब आएगा ? आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने के लिए |
ReplyDeleteविरले हैं ऐसे लोग ... आज के समय में जहाँ स्वार्थ का बोलबाला है ....
ReplyDeleteनमन है हमारा भी ...
ऐसे लोग वास्तव में आदर्श उदाहरण हैं...
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा। परिस्थितियाँ समझनी होंगी।
ReplyDeleteगिरीश पंकज जी की टिप्पणी से सहमत
ReplyDeleteमगर इतना ध्यान रखना हुजूर!
ReplyDeleteहाथी के दाँत खामे के और
तता दिखाने के और होते हैं!
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
Only such people are required in politics. Why good people give up so easily?
ReplyDeleteIt's escapism!
I wish him to stay longer in politics for uplifting the society.
यह देश का दुर्भाग्य है कि अच्छे लोग राजनीती में नहीं टिक पाते....अच्छी जानकारी
ReplyDeleteअच्छे लोग तो हर जगह बड़ी मुश्किल से मिलते हैं फिर चाहे वो राजनीति हो या फिर कोई और क्षेत्र हो
ReplyDeleteबहुत ही आदर्श उदाहरण...काश लोग कुछ सीखें,इनसे
ReplyDeleteलेख के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteमेरा भी नमन उनको !! ऐसे लोगो से ही तो आशा जीवित है ...
ReplyDeleteशिक्षक का पद वाकई सबसे बड़ा पद है. पहले सम्मान था पैसा नहीं था, आज पैसा भी है सम्मान भी. लेकिन यह दुखद है कि अच्छे लोग राजनीति छोड़ रहे हैं.
ReplyDelete..आपके लिंक से पढ़ा आभार.