01/07/10

युरोप के यह लोग भी हमारे बिछडे भाई ही है.......

मेने पिछली पोस्ट मै अपने गांव के मेले की कुछ झलकियां दिखाई थी, बीयर का हाल नही दिखाया था, जहां करीब ५० हजार से ज्यादा लोग बेठ जाते है, लेकिन काफ़ी झुले दिखाये थे, अब आप को बताऊ कि यह झुले वाले  ८०% भारतिया है, लेकिन इन की भाषा हम सब से अलग है,इन के रीति रीवाज हम से काफ़ी कुछ मिलते जुलते है, यह खाना बदोशो की तरह से ही रहते है, लेकिन यह अपने घरो मे हमे नही ले जाते, लेकिन इन की पुजा मै हम ने कई बार देखा है कि यह भी कई भारतीया देवताओ को ही मानते है, ओर इन मै से कईयो की शकले भी हम जेसी ही है,
यह लोग शादियां भी अपने ही कबिले मै ही करते है.
यह लोग ज्यादा तर तो मेलो मै ही दुकाने लगते है, कुछ लोग हेरा फ़ेरी भी करते है, तो बाकी लोगो का नही पता, लेकिन इन लोगो के पास मंहगी से मंहगी कारे होती है, ओर सोने के आभुषण भी यह लोग बहुत पहनते है, यह युरोप मै रह कर भी ज्यादा फ़ेशन नही करते,
इन के बारे पुरे युरोप मै अलग अलग कहानियां है , ओर यह पुरे युरोप मै फ़ेले है, जहां तक मुझे पता है कि  कई सॊ साल पहले भारत से कुछ हजार  लोग जो नाचने ओर गाने मै माहिर थे, उन्हे ईरान के राजा ने ईरान मै बुलाया, ओर उन्हे मान इज्जत दी खुब धन दोलत दिया, ओर वो लोग वही बस गये, लेकिन काफ़ी समय के बाद वहां किसी कट्टर धर्मी राजा का कब्जा हो गया जो नाचने गाने वालो को अच्छा नही समझता था, ओर उस राजा ने इन लोगो को दो दिन मै ईरान को छोड जाने को कहा.... वर्ना.... मोत की सजा, ओर जो भी गायक, ओर नाचने वाले उस के सिपाहियो के हाथ लगे उन्हे मार दिया, तो यह लोग जल्द से जल्द ईरान को छोड दिया, जिन मै से काफ़ी लोग युरोप मै आ गये, अब इन लोगो को यहां अलग अलग नामो से बुलाया जाता है, कोई इन्हे रोमा कहता है तो कोई इन्हे सिगेंना कहता है ओर भी बहुत से नामो से इन्हे बुलाया जाता है,
यह लोग देखने मै बिलकुल हमारी तरह ही है, ओर हम से दोस्ती भी करना चाहते है, लेकिन डरते है, पता नही क्यो, १९८० मै मुझे एक रोमा लडकी मिली मै उसे काफ़ी समय तक तो भारतिया ही समझता रहा था, इन के बारे पुरी जानकारी आप को गुगल मै मिल जायेगी, आप कुछ जानकारी यहां से भी ले सकते है, लेकिन अब यह लोग यहां कम हो रहे है,यह शादिया सिर्फ़ अपनो मै ही करते है,मैने बहुत से लोगो से बात कि यह भारत के बारे कुछ नही जानते, लेकिन यह जिन्दगी मै एक बार भारत जरुर जाना चाहते है, अब इन के बारे पुरा तो पता नही लेकिन हो सकता है यह भी किसी खाना विदोश( जिन्हे हम बागडी लुहार ओर अन्य नामो से बुलाते है) उन्ही परिवारो से हो..... ओर एक दिन हम भी ऎसे ही बन जायेगे, भारतिया.... लेकिन भारत से बिछडे हुये.... मैने अलग अलग तीन लिंक दिये आप आप यहां जा कर इन्हे देख ओर इन के बारे पढ सकते है, अगर हिन्दी मै पढना हो तो सिर्फ़  रोमा   लिख कर गुगल मै रिसर्च मारे

 चित्र गुगल से लिया है, अगर किसी को ऎतराज होगा तो झट से हटा लिया जायेगा***

32 comments:

  1. बड़ा रोचक रहा इस कबीले के बारे में जानना.आभार.

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  2. जानकारी के आपका बहुत बहुत आभार !

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  3. रोमा समुदाय के सन्दर्भ के लिए धन्यवाद. यह समुदाय लम्बे समय से यूरोप में दमन का शिकार होता रहा है. जिप्सी शब्द का प्रयोग इन्हीं लोगों के लिए होता था. इनके बच्चों को ज़बरदस्ती छीन लिया जाता था. हिटलर ने भी यहूदियों के साथ अनेकों रोमाओं को मौत के घाट उतार दिया था. इंदिरा गांधी के शासनकाल में इन्हें जोड़ने के आधिकारिक प्रयास हुए थे. आज के यूरोप में भी इन्हें अधिकांशतः दुर्व्यवहार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से वे खानाबदोशों की ज़िंदगी गुजारते हैं.

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  4. स्मार्ट इंडियन जी ने रोमा समुदाय के बारे में काफी कुछ बता दिया है .....रोमा समुदाय के लोगो का हमारे देश से पुराना नाता है....आभार

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  5. रोमा समुदाय के बारे में बहुत रोचक जानकारी मिली। धन्यवाद।

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  6. बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्द्धक जानकारी। आभार।

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  7. जिप्सी हों या हिप्पी सबके बाबा यहीं से गये हैं , यह सर्वविदित है ।

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  8. राज जी भारतीयता की झलक लिए ऐसे बहुत से समुदाय अलग अलग जगह पर जीवन व्यतीत कर रहे है हमें पता नही चल पता..आपका बहुत बहुत शुक्रिया रोमा समुदाय के बारे में चर्चा की...बढ़िया आलेख..धन्यवाद

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  9. यह श्रंखला बहुत अच्छी रही राज भाई ! कृपया इसे जारी रखें इस प्रकार की जानकारी यहाँ नयी है ! शुभकामनायें !

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  10. रोमा समुदाय के बारे में जानकार अच्छा लगा. सन ५६/५७ की बात है. उन दिनों हम रेडिओ पर नए नए स्टेशन ढूंडा करते थे. हमें एक स्टेशन मिला. रेडिओ रोमा. यहाँ से हिंदी में (अजीबसी) प्रसारण हुआ करता था.

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  11. आपने आज एक बिल्कुल ही अछूते विषय को छुआ है राज जी! रोमा, जिसे कि रमसेना, लमसेना और जिप्सी के नाम से भी जाना जाता है, जाति मूलतः भारतीय ही है किन्तु इनके इतिहास के विषय में अत्यन्त अल्प जानकारी मिलती है। आपके इस पोस्ट को पढ़कर मुझे लगभग चालीस साल पहले पढ़े एक लेख की याद आ गई जिसमें इस जाति को राम के काल से जोड़ा गया था।

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  12. ये तो जी एकदम नई जानकारी दी है।

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  13. भाटिया जी,
    रोहतक से बागड़ो उड़ै बी पहुंच गी के थारे साथ।
    अरे बागड़ो रेएएएएएएएएएएएए
    चोधरी होssssssssssssssओ

    बहुत अच्छी जानकारी जुटाई आपने

    आभार

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  14. रोचक और एकदम नई जानकारी
    आभार

    प्रणाम

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  15. अच्छी जानकारी से भरपूर पोस्ट ....इसतरह की श्रंखलायें चलते रहें क्योंकि ब्लॉगजगत में ऐसी जानकारी की काफी कमी है...
    www.jugaali.blogspot.com

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  16. नयी व रोचक । इन पर कोई शोध ?

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  17. पराये देश मैं इतने अपने, काश हम भी मिल पाते ऐसे लोगो से .

    कंही ये राम, रोमा और ये रोम एक ही तो नहीं हैं.

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  18. bahut badhhiyaa jaankaari upalabdh karai hai aapane, dhanyawaad!

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  19. बहुत रोचक जानकारी दी है आपने दोनों पोस्ट पढ़ी बहुत रोचक लगा इन लोगों के बारे में जानना ..

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  20. बहुत ही बढ़िया जानकारी मिली...रोमा समुदाय के बारे में...आभार

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  21. roma smaj ke bareme pdhkar nai jankari mili
    abhar

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  22. जानकारी के आपका धन्यवाद !

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  23. बिल्‍कुल नई जानकारी !!

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  24. रोमा समुदाय मेरे लिए अबतक गुमनाम थी पर अब इतनी जानकारी उभर कर सामने आ गयी.

    लिंक्स देने के लिए बहुत शुक्रिया!!

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  25. बहुत बढ़िया जानकारी दी हामरे अपने बिछड़ों के बारे में ....वैसे बीयर से आपने पिछली जर्मनी यात्रा को ध्यान दिला दिया ...लोग क्या पागल है जर्मनी में बीयर के लिए

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  26. ऐसे बहुत से कबीले न जाने कहाँ कहाँ बिखरे हैं .. ज़रूरत है सब को देश से अपने से जोड़ने की ...

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  27. बहुत बढिया जान्कारी उपलब्ध कराई है आपने!...धन्यवाद!

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  28. Watch movie "latcho drom" on daily motion, to know about Romas movement from India to Europe.

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये