मेने पिछली पोस्ट मै अपने गांव के मेले की कुछ झलकियां दिखाई थी, बीयर का हाल नही दिखाया था, जहां करीब ५० हजार से ज्यादा लोग बेठ जाते है, लेकिन काफ़ी झुले दिखाये थे, अब आप को बताऊ कि यह झुले वाले ८०% भारतिया है, लेकिन इन की भाषा हम सब से अलग है,इन के रीति रीवाज हम से काफ़ी कुछ मिलते जुलते है, यह खाना बदोशो की तरह से ही रहते है, लेकिन यह अपने घरो मे हमे नही ले जाते, लेकिन इन की पुजा मै हम ने कई बार देखा है कि यह भी कई भारतीया देवताओ को ही मानते है, ओर इन मै से कईयो की शकले भी हम जेसी ही है,
यह लोग शादियां भी अपने ही कबिले मै ही करते है.
यह लोग ज्यादा तर तो मेलो मै ही दुकाने लगते है, कुछ लोग हेरा फ़ेरी भी करते है, तो बाकी लोगो का नही पता, लेकिन इन लोगो के पास मंहगी से मंहगी कारे होती है, ओर सोने के आभुषण भी यह लोग बहुत पहनते है, यह युरोप मै रह कर भी ज्यादा फ़ेशन नही करते,
इन के बारे पुरे युरोप मै अलग अलग कहानियां है , ओर यह पुरे युरोप मै फ़ेले है, जहां तक मुझे पता है कि कई सॊ साल पहले भारत से कुछ हजार लोग जो नाचने ओर गाने मै माहिर थे, उन्हे ईरान के राजा ने ईरान मै बुलाया, ओर उन्हे मान इज्जत दी खुब धन दोलत दिया, ओर वो लोग वही बस गये, लेकिन काफ़ी समय के बाद वहां किसी कट्टर धर्मी राजा का कब्जा हो गया जो नाचने गाने वालो को अच्छा नही समझता था, ओर उस राजा ने इन लोगो को दो दिन मै ईरान को छोड जाने को कहा.... वर्ना.... मोत की सजा, ओर जो भी गायक, ओर नाचने वाले उस के सिपाहियो के हाथ लगे उन्हे मार दिया, तो यह लोग जल्द से जल्द ईरान को छोड दिया, जिन मै से काफ़ी लोग युरोप मै आ गये, अब इन लोगो को यहां अलग अलग नामो से बुलाया जाता है, कोई इन्हे रोमा कहता है तो कोई इन्हे सिगेंना कहता है ओर भी बहुत से नामो से इन्हे बुलाया जाता है,
यह लोग देखने मै बिलकुल हमारी तरह ही है, ओर हम से दोस्ती भी करना चाहते है, लेकिन डरते है, पता नही क्यो, १९८० मै मुझे एक रोमा लडकी मिली मै उसे काफ़ी समय तक तो भारतिया ही समझता रहा था, इन के बारे पुरी जानकारी आप को गुगल मै मिल जायेगी, आप कुछ जानकारी यहां से भी ले सकते है, लेकिन अब यह लोग यहां कम हो रहे है,यह शादिया सिर्फ़ अपनो मै ही करते है,मैने बहुत से लोगो से बात कि यह भारत के बारे कुछ नही जानते, लेकिन यह जिन्दगी मै एक बार भारत जरुर जाना चाहते है, अब इन के बारे पुरा तो पता नही लेकिन हो सकता है यह भी किसी खाना विदोश( जिन्हे हम बागडी लुहार ओर अन्य नामो से बुलाते है) उन्ही परिवारो से हो..... ओर एक दिन हम भी ऎसे ही बन जायेगे, भारतिया.... लेकिन भारत से बिछडे हुये.... मैने अलग अलग तीन लिंक दिये आप आप यहां जा कर इन्हे देख ओर इन के बारे पढ सकते है, अगर हिन्दी मै पढना हो तो सिर्फ़ रोमा लिख कर गुगल मै रिसर्च मारे
चित्र गुगल से लिया है, अगर किसी को ऎतराज होगा तो झट से हटा लिया जायेगा***
बड़ा रोचक रहा इस कबीले के बारे में जानना.आभार.
ReplyDeleteजानकारी के आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteरोमा समुदाय के सन्दर्भ के लिए धन्यवाद. यह समुदाय लम्बे समय से यूरोप में दमन का शिकार होता रहा है. जिप्सी शब्द का प्रयोग इन्हीं लोगों के लिए होता था. इनके बच्चों को ज़बरदस्ती छीन लिया जाता था. हिटलर ने भी यहूदियों के साथ अनेकों रोमाओं को मौत के घाट उतार दिया था. इंदिरा गांधी के शासनकाल में इन्हें जोड़ने के आधिकारिक प्रयास हुए थे. आज के यूरोप में भी इन्हें अधिकांशतः दुर्व्यवहार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है और इसी वजह से वे खानाबदोशों की ज़िंदगी गुजारते हैं.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteस्मार्ट इंडियन जी ने रोमा समुदाय के बारे में काफी कुछ बता दिया है .....रोमा समुदाय के लोगो का हमारे देश से पुराना नाता है....आभार
ReplyDeleteरोमा समुदाय के बारे में बहुत रोचक जानकारी मिली। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और ज्ञानवर्द्धक जानकारी। आभार।
ReplyDeletebahut achha laga padhker
ReplyDeleteजिप्सी हों या हिप्पी सबके बाबा यहीं से गये हैं , यह सर्वविदित है ।
ReplyDeleteराज जी भारतीयता की झलक लिए ऐसे बहुत से समुदाय अलग अलग जगह पर जीवन व्यतीत कर रहे है हमें पता नही चल पता..आपका बहुत बहुत शुक्रिया रोमा समुदाय के बारे में चर्चा की...बढ़िया आलेख..धन्यवाद
ReplyDeleteयह श्रंखला बहुत अच्छी रही राज भाई ! कृपया इसे जारी रखें इस प्रकार की जानकारी यहाँ नयी है ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteरोमा समुदाय के बारे में जानकार अच्छा लगा. सन ५६/५७ की बात है. उन दिनों हम रेडिओ पर नए नए स्टेशन ढूंडा करते थे. हमें एक स्टेशन मिला. रेडिओ रोमा. यहाँ से हिंदी में (अजीबसी) प्रसारण हुआ करता था.
ReplyDeleteआपने आज एक बिल्कुल ही अछूते विषय को छुआ है राज जी! रोमा, जिसे कि रमसेना, लमसेना और जिप्सी के नाम से भी जाना जाता है, जाति मूलतः भारतीय ही है किन्तु इनके इतिहास के विषय में अत्यन्त अल्प जानकारी मिलती है। आपके इस पोस्ट को पढ़कर मुझे लगभग चालीस साल पहले पढ़े एक लेख की याद आ गई जिसमें इस जाति को राम के काल से जोड़ा गया था।
ReplyDeleteवसुधैवकुटुंबकम
ReplyDeleteये तो जी एकदम नई जानकारी दी है।
ReplyDeleteभाटिया जी,
ReplyDeleteरोहतक से बागड़ो उड़ै बी पहुंच गी के थारे साथ।
अरे बागड़ो रेएएएएएएएएएएएए
चोधरी होssssssssssssssओ
बहुत अच्छी जानकारी जुटाई आपने
आभार
रोचक और एकदम नई जानकारी
ReplyDeleteआभार
प्रणाम
अच्छी जानकारी से भरपूर पोस्ट ....इसतरह की श्रंखलायें चलते रहें क्योंकि ब्लॉगजगत में ऐसी जानकारी की काफी कमी है...
ReplyDeletewww.jugaali.blogspot.com
नयी व रोचक । इन पर कोई शोध ?
ReplyDeleteपराये देश मैं इतने अपने, काश हम भी मिल पाते ऐसे लोगो से .
ReplyDeleteकंही ये राम, रोमा और ये रोम एक ही तो नहीं हैं.
bahut badhhiyaa jaankaari upalabdh karai hai aapane, dhanyawaad!
ReplyDeleteबहुत रोचक जानकारी दी है आपने दोनों पोस्ट पढ़ी बहुत रोचक लगा इन लोगों के बारे में जानना ..
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जानकारी मिली...रोमा समुदाय के बारे में...आभार
ReplyDeleteroma smaj ke bareme pdhkar nai jankari mili
ReplyDeleteabhar
जानकारी के आपका धन्यवाद !
ReplyDeleteबिल्कुल नई जानकारी !!
ReplyDeleteरोचक जानकारी।
ReplyDeleteरोमा समुदाय मेरे लिए अबतक गुमनाम थी पर अब इतनी जानकारी उभर कर सामने आ गयी.
ReplyDeleteलिंक्स देने के लिए बहुत शुक्रिया!!
बहुत बढ़िया जानकारी दी हामरे अपने बिछड़ों के बारे में ....वैसे बीयर से आपने पिछली जर्मनी यात्रा को ध्यान दिला दिया ...लोग क्या पागल है जर्मनी में बीयर के लिए
ReplyDeleteऐसे बहुत से कबीले न जाने कहाँ कहाँ बिखरे हैं .. ज़रूरत है सब को देश से अपने से जोड़ने की ...
ReplyDeleteबहुत बढिया जान्कारी उपलब्ध कराई है आपने!...धन्यवाद!
ReplyDeleteWatch movie "latcho drom" on daily motion, to know about Romas movement from India to Europe.
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