30/06/10

गांव का मेला आईये कोई झुला झूले जी

इस पोस्ट से पहले मेने मेले की तेयारी की कुछ वीडियो डाली थी, जो ज्यादा बडी नही कोई १० सेकिण्ड की थी तो कोई ज्यादा से ज्यादा ५६ सेकिंड की, जो आप सभी को बहुत पसंद आई आप सभी का धन्यवाद.
हमारा यह गांव कोई खास बडा नही, लेकिन गांव के आस पास लोगो ने अपने अपने खेतो मै घर बना रखे थे, जो अब छोटे छोटे गांव से बन गये है किसी मै दो तो किसी मै चार घर है, यह सभी मिल कर साल मै एक दो बार आपसी मसलॊ पर सलाह करते होंगे, ओर इन मै खेलो की प्रोजोगिताये होती थी, आपसी झगडे सब बेठ कर निपटाते थे, ओर फ़िर सब मिल कर खुशियां मनाते थे, तो यह मेला भी इसी तरह से शुरु हुया होगा,


आज भी सभी दल अपने अपने झंडे ले कर शानोशोकत से आते है बेंड बाजे के संग, ओर फ़िर सब मिल कर खुब बीयर पीते है, मस्ती मै नाचते है, मै उस बीयर हाल मै तो नही गया, क्योकि जाता तो कोई ना कोई मित्र पकड कर बिठा लेता, ओर फ़िर बीयर का पता नही लगता कि कितनी पी ली, इस लिये मै आप सब के लिये मेले की कुछ फ़ोटो लाया हुं, बताईये केसी लगी, एक बार  मैने १० ,१२ बीयर पी ली ओर फ़िर पता नही मैने क्या क्य किया होगा. बस तभी से मैने वहां बीयर पीनी बन्द कर दी... तो लिजिये फ़ोटो का मजा
                                           आप सभी चित्रो को बडा ओर बडा कर के देख सकते है

 यह है बच्चो का झुला, इस झुले के पीछे जो सफ़ेद छत दिख रही है यही हाल बना है बीयर पीने ओर खाने पीने के लिये
 यह भी बहुत छोटे बच्चो का झुला है
 यह है कुदने के लिये कमर से रस्सी बंद कर जितना ऊंचा कुदना चाहो कुदो
 अरे यह तो आटॊ स्कूटर है , जिस मै बेठ कर हम खुब टक्करे मार सकते है
 यह है  मिठाई की दुकान, मीठे पापकोर्न, मीठा सेब, मीठा केला, बादम, ओर भी पता नही क्या क्या
यह ऊपर वाला हमारे यहां पहली बार आया, पता नही क्या था, शायद इस के अंदर मोटर साईकिल चलानी होगी
यह साईड वाली दुकान तो वेबकुफ़ बनाने वाली है जी, पर्चिया निकालो ना० जोडो ओर ईनाम लो
 ओर यह भी साईड वाली दुकान ळूट मचाने वालो की है जी, निशाना मारो ओर ईनाम पाओ, लेकिन इन की बंदुक सही निशाने पर नही होती, एक बार मैने उसे सेट कर दिया ओर दे निशाने पर निशाना.... लेकिन दुकान दार ने ओर निशाने मारने से मना कर दिया
 अजी यह है आठ घोडे चार इन के पीछे है यही तो बीयर को ठो कर यहां तक लाये है, अभी आराम कर रहे है
 अभी भीड नही हुयी क्यो कि फ़ुटवाल मेच जो चल रहा है जी
यह भी ठगो की दुकान है तीन वाल मार कर सात डिब्बे नीचे गिरॊ तो कुछ मिलेगा

19 comments:

  1. itne sundar mele ke chitr dekhe waah, bhut accha lga

    regards

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  2. बहुत बढिया
    मैं तो समझता था ऐसे मेले, झूले और ठगों की दुकाने केवल भारतीय गांवों में ही होते हैं।
    यहां रैडक्रास वाले ऐसे मेलों का आयोजन करते हैं।
    और वो जो पिंजरा सा है उसमें मोटर साईकिल ही चलाई जाती है। मैनें सर्कस में देखा है।
    यहां के मेलों में एक मौत का कुंआ भी होता है, लकडी का बडी बाल्टी जैसा उसमें कार और मोटर साईकिल दोनों चलाई जाती हैं।
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  3. चलो जी घर बैठे जर्मनी का मेला दिखा दिया. बहुत सुन्दर लगे सभी चित्र. आभार.

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  4. मतलब मेला में सबकुछ है... रंग जमेगा खूब.. पहला बार देखे हम जर्मन गाँव मेला.

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  5. आपका मेला देखकर तो आनन्द आ गया । मेले हर जगह एक से ही लगते हैं ।

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  6. यह वृतांत हमें एक कल्पनालोक में ले जाता है। सजीव चित्रण।

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  7. भाई जी !
    आनंद आ गया कृपया ऐसी झांकियां दिखाते रहा करें ! हमारे लिए इस तरह के द्रश्य नए हैं ...आशा है आगे भी ऐसे मेले लगाते रहोगे हमारे लिए ! आभार !!

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  8. आपकी सुन्दर पोस्ट को देखकर
    मेरे मन में भी प्रेरणा जगी है!
    कल झूले पर ही बाल गीत बना दूँगा!

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  9. हमें तो अपने शहर के मेले की याद आ गई भारत की...बढ़िया तस्वीरें.

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  10. Thanks for taking us back decades in our rural fair where so many sweet memories lie still alive.

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  11. आपके इन चित्रों को देखकर हमें तो अपने बचपन में मीनाबाजार जाने वाले दिनों की याद आ गई!

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  12. चित्रों को देखकर लगा ही नहीं यह सुदूर जर्मनी के गाँव में
    लगे मेले की तस्वीरें हैं....बिलकुल अपना सा लगा ये मेला...शुक्रिया

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  13. भाटिया साहब कभी मौका लगा तो भारत से अवश्य माइग्रेट कर जाऊंगा.. सत्ता, भ्रष्टाचार ने देशवासियों को भेड़ियों के हवाले कर दिया है.

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  14. तुलनात्मक रूप से बहुत कुछ भारतीय मेलों की तरह ही लग रहा है.......तकनीकी और रख रखाव की दृष्टि से वहाँ का मेला भव्य है। हम लोगों को घर बैठे वहाँ का मेला घुमाने के लिए आभार।

    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  15. आप जिसे गाँव कह रहे हैं वह तो हमारे शहरों से भी बेहतर लग रहा है....भारत में गाँव का मतलब है-न सड़क,न बिजली,न ढंग का स्कूल और न ही पीने लायक पानी.....
    www.jugaali.blogspot.com

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  16. Dusseldorf में हम भी इस तरह के एक मेले में निकुंज और अमेय को ले गए थे ...क्या भीड़ होती है जबरदस्त ...

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  17. आपके द्वारा लगाये गए चित्र बहुत सजीव प्रतीत होते है | बिना एक पैसा खर्च किये आपने जर्मनी के मेले की सैर करवा दी | आभार

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये