05/05/10

अच्छाई ओर बुराई

आज बहुत समय बाद चिंतन ले कर आया हुं, आशा करता हुं आप सब को पसंद आयेगा...
हम सब इसी समाज से जुडे है, हम सब मै बहुत सी अच्छाईयां भी है ओर बुराईयां भी, लेकिन अगर हम इन दोनो के फ़र्क को समझ जाये तो कितना अच्छा हो... हम जब बुराई करते है बुरी बाते करते है तो हमे आंनद मिलता है जो कुछ पल का ही होता है, लेकिन जब अच्छाई करते है तो मन को शांति मिलती है, तो चले आज के चिंतन की ओर.....

सच कहुं तो अच्छाईयां करने के लिये हमे बहुत मेहनत करनी पडती है, ओर बुराईयां तो हमे अपने आप ही घेर लेती है, बुरे सस्कांर तो हम सब को जन्म जन्मांतरो से ही आसपास देखने को मिल जाते है, परन्तु अच्छॆ संस्कारो को करने के लिये हमे हिम्मत ओर पुरुषार्थ की जरुरत पडती है हमे जागृत होना पडता है, छाया दार ओर फ़ल दार पेड लगाने के लिये हमे वर्षो अथक मेहनत करनी पडती है, लेकिन बेशर्म के झाड तो हर जगह बिना मेहनत के ही हमारे चारो ओर उग आते है, तभी तो इन का नाम बेशर्म पडा है, ओर बुराईयां भी हमारे मन मै हमारे चेतना की पवित्र भूमि पर इन बेशर्म के पोधॊ की तरह ही उगती जा रही है, ओर फ़िर धीरे धीरे हमारे चित की, हमारे मन की भुमि पर इन बेशर्म के पोधो रुपी बुरईयां छा जाती है, ओर फ़िर हमे यह बुराईयां ही अच्छी लगती है, इन्हे उखाड फ़ेकने से कोई लाभ नही, क्योकि इन्हे बार बार काटने से भी यह बार बार ऊग आती है, तो क्यो ना इन्हे जड से ही हमेशा के लिये हटा दे, इन की जड को ही उखाडा जाये, तभी इन बेशर्म रुपी बुराई के झाड का नाश होगा, ओर जो जड शेष रह जाये उस मै मीठा डाल कर चीटिंयो से बिलकुल जड साफ़ कर दो.

जेसे हमे बुराई को हटाने के लिये जागरुक होना पडा है मेहनत करनी पडी है, उसी प्रकार हमे अच्छाई रुपी पोधै को लगाने के लिये भी मेहनत करनी पडती है, भुमि मै पहले अच्छाई के बीज डालने पडते है, फ़िर उस मै अच्छे संस्कारो रुपी पानी से सींचना पडता है, उस की काट छांट करनी पडती है, उसे बेशर्म के झाड से बचाना पडता है....
तो आओ आज हम प्रण करे कि हम अपने आने वाली पीढी के लिये बेशर्क का झाड नही अच्छाई रुपी छाया दार ओर फ़ल दार पेड लगाये.
धन्यवाद, यह चिंतन बचपन मै मेरे पिता जी ने मुझे सुनाया था

26 comments:

  1. बहुत सुन्दर विचार
    बेहतरीन
    ओर जो जड शेष रह जाये उस मै मीठा डाल कर चीटिंयो से बिलकुल जड साफ़ कर दो.

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  2. बहुत ही ज्ञानवर्धक चिंतन है !! आभार आपका !!

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  3. मैंने आपका पोस्ट बहुत ध्यान से पढ़ा और उसके बाद मैं इतना ही कह सकता हूँ की ,आज आपने अपने विचारों का मुझे गुलाम बना लिया और मैं क्या हर किसी को ऐसे अच्छे विचारों का गुलाम बन जाना चाहिए ,फिर देखते है इस धरती पर दुख अपना डेरा कैसे जमाता है ? वाह दिल खुश कर दिया आपने, ऐसे ही चिंतन कर लिखते रहिये, मूर्खों पर भी प्रभाव एक नेक दिन पड़ ही जायेगा /

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  4. सुन्दर चिन्तन राज भाई। शिक्षाप्रद।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  5. एकदम सही सन्देश! अनुपम चिन्तन!!

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  6. आपके पिताजी सत्य कहते थे....

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  7. बहुत अच्छा........

    बढ़िया पोस्ट.......

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  8. बड़े हमेशा सुन्दर और अच्छी बात बताते हैं ...सुन्दर चिंतन.

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  9. बहुत सुंदर विचार चिंतन स्वरुप
    आभार

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  10. आपके विचार बहुत ही नेक हैं ।

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  11. बहुत अच्छे विचार प्रस्तुत किया है आपने।
    विचार ही सभी कर्मों के बीज हैं इसलिए हमें सिर्फ अच्‍छे, शुद्ध बीज ही बोने चाहिए, जिनसे श्रेष्‍ठ फल प्राप्‍त होंगे।

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  12. कल्याणकारी चिंतन

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  13. अच्छाईयां करने के लिये हमे बहुत मेहनत करनी पडती है.........

    सहमत.... ग्रहण करने वाली बात....

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  14. sundar chintan.. besharm ki jadon me mattha hi daalna chahiye

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  15. बहुत सुन्दर तरीके से समझाया है आपने। बुराइयों को दूर रखने के लिए हमें निरन्तर सजग और संयमित रहना पड़ेगा जैसे खर-पतवार की निराई-गुड़ाई बार -बार करनी पड़ती है।

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  16. sundar chintan

    http://athaah.blogspot.com/

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  17. मुझे ऐसे वि‍चार आज भी बहुत प्रभावि‍त करते हैं।

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  18. अच्छाई रूपी बीजों का अच्छे संस्कारों से सींचा ...
    चिंतन मनन करते रहना अच्छा लगा ...!!

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  19. कोशिश करूंगा जी
    बुराईयों के बेशर्म पौधों को उखाडकर, जलाकर नष्ट करने की
    इस शिक्षाप्रद चिंतन को हम तक पहुंचाने के लिये हार्दिक आभार

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  20. बहुत सही लिखा आपने सरल तरीके से। अगर अच्छाई न रखी गई अपने में तो खाली जगह भरने को बुराई तो आने को आतुर होती ही है!

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये