आज बहुत समय बाद चिंतन ले कर आया हुं, आशा करता हुं आप सब को पसंद आयेगा...
हम सब इसी समाज से जुडे है, हम सब मै बहुत सी अच्छाईयां भी है ओर बुराईयां भी, लेकिन अगर हम इन दोनो के फ़र्क को समझ जाये तो कितना अच्छा हो... हम जब बुराई करते है बुरी बाते करते है तो हमे आंनद मिलता है जो कुछ पल का ही होता है, लेकिन जब अच्छाई करते है तो मन को शांति मिलती है, तो चले आज के चिंतन की ओर.....
सच कहुं तो अच्छाईयां करने के लिये हमे बहुत मेहनत करनी पडती है, ओर बुराईयां तो हमे अपने आप ही घेर लेती है, बुरे सस्कांर तो हम सब को जन्म जन्मांतरो से ही आसपास देखने को मिल जाते है, परन्तु अच्छॆ संस्कारो को करने के लिये हमे हिम्मत ओर पुरुषार्थ की जरुरत पडती है हमे जागृत होना पडता है, छाया दार ओर फ़ल दार पेड लगाने के लिये हमे वर्षो अथक मेहनत करनी पडती है, लेकिन बेशर्म के झाड तो हर जगह बिना मेहनत के ही हमारे चारो ओर उग आते है, तभी तो इन का नाम बेशर्म पडा है, ओर बुराईयां भी हमारे मन मै हमारे चेतना की पवित्र भूमि पर इन बेशर्म के पोधॊ की तरह ही उगती जा रही है, ओर फ़िर धीरे धीरे हमारे चित की, हमारे मन की भुमि पर इन बेशर्म के पोधो रुपी बुरईयां छा जाती है, ओर फ़िर हमे यह बुराईयां ही अच्छी लगती है, इन्हे उखाड फ़ेकने से कोई लाभ नही, क्योकि इन्हे बार बार काटने से भी यह बार बार ऊग आती है, तो क्यो ना इन्हे जड से ही हमेशा के लिये हटा दे, इन की जड को ही उखाडा जाये, तभी इन बेशर्म रुपी बुराई के झाड का नाश होगा, ओर जो जड शेष रह जाये उस मै मीठा डाल कर चीटिंयो से बिलकुल जड साफ़ कर दो.
जेसे हमे बुराई को हटाने के लिये जागरुक होना पडा है मेहनत करनी पडी है, उसी प्रकार हमे अच्छाई रुपी पोधै को लगाने के लिये भी मेहनत करनी पडती है, भुमि मै पहले अच्छाई के बीज डालने पडते है, फ़िर उस मै अच्छे संस्कारो रुपी पानी से सींचना पडता है, उस की काट छांट करनी पडती है, उसे बेशर्म के झाड से बचाना पडता है....
तो आओ आज हम प्रण करे कि हम अपने आने वाली पीढी के लिये बेशर्क का झाड नही अच्छाई रुपी छाया दार ओर फ़ल दार पेड लगाये.
धन्यवाद, यह चिंतन बचपन मै मेरे पिता जी ने मुझे सुनाया था
बहुत सुन्दर विचार
ReplyDeleteबेहतरीन
ओर जो जड शेष रह जाये उस मै मीठा डाल कर चीटिंयो से बिलकुल जड साफ़ कर दो.
बहुत ही ज्ञानवर्धक चिंतन है !! आभार आपका !!
ReplyDeleteमैंने आपका पोस्ट बहुत ध्यान से पढ़ा और उसके बाद मैं इतना ही कह सकता हूँ की ,आज आपने अपने विचारों का मुझे गुलाम बना लिया और मैं क्या हर किसी को ऐसे अच्छे विचारों का गुलाम बन जाना चाहिए ,फिर देखते है इस धरती पर दुख अपना डेरा कैसे जमाता है ? वाह दिल खुश कर दिया आपने, ऐसे ही चिंतन कर लिखते रहिये, मूर्खों पर भी प्रभाव एक नेक दिन पड़ ही जायेगा /
ReplyDeleteसुन्दर चिन्तन राज भाई। शिक्षाप्रद।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
एकदम सही सन्देश! अनुपम चिन्तन!!
ReplyDeleteआपके पिताजी सत्य कहते थे....
ReplyDeleteबहुत अच्छा........
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट.......
बड़े हमेशा सुन्दर और अच्छी बात बताते हैं ...सुन्दर चिंतन.
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार चिंतन स्वरुप
ReplyDeleteआभार
सुलझा चिन्तन ।
ReplyDeleteआपके विचार बहुत ही नेक हैं ।
ReplyDeleteबहुत अच्छे विचार प्रस्तुत किया है आपने।
ReplyDeleteविचार ही सभी कर्मों के बीज हैं इसलिए हमें सिर्फ अच्छे, शुद्ध बीज ही बोने चाहिए, जिनसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होंगे।
bahut sundar vichar....
ReplyDeleteकल्याणकारी चिंतन
ReplyDeleteअच्छाईयां करने के लिये हमे बहुत मेहनत करनी पडती है.........
ReplyDeleteसहमत.... ग्रहण करने वाली बात....
sundar chintan.. besharm ki jadon me mattha hi daalna chahiye
ReplyDeleteसद् विचारों के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तरीके से समझाया है आपने। बुराइयों को दूर रखने के लिए हमें निरन्तर सजग और संयमित रहना पड़ेगा जैसे खर-पतवार की निराई-गुड़ाई बार -बार करनी पड़ती है।
ReplyDeletesundar chintan
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/
मुझे ऐसे विचार आज भी बहुत प्रभावित करते हैं।
ReplyDeleteअच्छाई रूपी बीजों का अच्छे संस्कारों से सींचा ...
ReplyDeleteचिंतन मनन करते रहना अच्छा लगा ...!!
चिन्तन सार्शक है!
ReplyDeleteकोशिश करूंगा जी
ReplyDeleteबुराईयों के बेशर्म पौधों को उखाडकर, जलाकर नष्ट करने की
इस शिक्षाप्रद चिंतन को हम तक पहुंचाने के लिये हार्दिक आभार
shandar,jandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteshandar,jandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteबहुत सही लिखा आपने सरल तरीके से। अगर अच्छाई न रखी गई अपने में तो खाली जगह भरने को बुराई तो आने को आतुर होती ही है!
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