13/10/08

चिंतन दुख

चिंतन दुख
आज का चिंतन कुछ अलग सा है, अगर आप को कोई गाली देदै तो आप क्या करे गै??बहुत से भाई तो वापिस गालिया देदेगे, कुछ हाथो से काम लेगे, आप भी यही करेगे जो दुसरे करते है, या आप उसे वेव्कुफ़ या पागल समझ कर बडबडाते निकल जाये गे, ठीक ना, सोचो गे क्या बद दिमाग के मुंह लगना, यही ना, तो लिजिये आज का चिंतन .
गोतम बुद्ध किसी बाग मे आराम कर रहै थै,ओर एकांत देख कर थोडा चिंतन कर रहै थै, वह बाग आमो का था, ओर सभी पेडो पर कच्चे ओर पक्के आम लगे थै, तभी कही से बच्चो का एक झुंड कही से आया, महात्मा उन बच्चो को मुस्कुरा कर देखते रहै, ओर बच्चे जमीन से पत्थर मार मार कर आम तोडने की कोशिश कर रहै थे,तभी त्क पत्थर गोतम बुद्ध जी के माथे पर लगा, ओर खुन बहने लगा,यह सब देख कर बच्चे बहुत डर गये, कुछ बच्चे रोने लगे तो कुछ बच्चो ने महात्मा जी के पाव पकड कर क्षमा मांगी, कि हमारी गलती से आप को चोट आई ओर आप को हम सब ने रुला दिया, बाबा आप हमे माफ़ कर दे.
इस पर बुद्ध ने सभी बच्चो को गले लगा लिया, ओर बोले मै तो दुखी इस बात से हुं कि जब तुम ने पेड को पत्थर मारा तो पेड ने तुम्हे आम दिये, ओर जब मुझे तुम्हारा पत्थर लगा तो मै तुम्हे सिर्फ़ डर ही दे सका, इसी लिये मेरे आंसु निकले बच्चो.
आप का धन्यवाद इस चिंतन को पढने के लिये

25 comments:

  1. ऐसी करुणा व वात्स्ल्य ही उन्हेँ अजातशत्रु बना गया और अमर कर गया -
    - लावण्या

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  2. बहुत मार्मिक भाटिया जी !

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  3. आभार इस श्रेष्‍ठ प्रेरक प्रसंग के लिए।

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  4. हां ये तो सोचने वाली बात है की आप समाज को दे क्या रहे हैं ।

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  5. मर्मस्‍पर्शी। यह बात भी सि‍र्फ बुद्ध ही कह सकते थे। दुख को आत्‍मसात करना आम आदमी के बस की बात नहीं, और जो कर गया वह आम नहीं वि‍शि‍ष्‍ट आदमी बन जाएगा। शुक्रि‍या।

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  6. अच्छी कथा
    मगर उससे भी अच्छी बात कि इस लिंक पर सिंगल क्लिक से खुल रहा है
    आपको बधाई
    गूगल महाराज को भी बधाई

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  7. " very inspiring story and beyond the thought of a common man, thanks for sharing"

    regards

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  8. sh aaj bhi koi goutam budh hota jisse prerana li ja sakti. ek achhi bodh katha padhane ke liye dhanywad.

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  9. इस चिंतन से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है ।

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  10. अच्छी बोध कथा वाली पोस्ट है भाटिया जी। पढ़ने से अधिक मनन करने वाली।
    धन्यवाद।

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  11. राज भाटिया जी आपने आज जो कहानी पढ़वायी, बहुत ही अच्छी लगी। लेकिन आज के समय को देखे तो इस तरह की सोच कोई भी नही रखता चाहे वो कोई साधू संत ही क्यों न हो।

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  12. बचपन से हमें कहा गया कि कोई गाली दे तो चुप रहो,
    उसका कहा उसीके पास लौट जायेगा.......इसे अपनाया,बच्चों को विरासत में दी...
    पर कई बार यह गलत हो जाता है,
    एक चिंतन ने बहुत कुछ सोचने पर विवश किया ,
    और एक सीखने वाली कहानी ने मन को सुकून दिया

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  13. आभार इस श्रेष्‍ठ प्रेरक प्रसंग के लिए।

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  14. आपने एक अत्यंत प्रेरक चिंतन दिया आभार !! वैसे इसकी मुझे अत्यंत आवश्यकता थी!!

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  15. अच्छा संदेश है. पर जीवन मैं बहुत कम लोग गौतम बन पाते हैं.

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  16. तथागत के जीवन प्रसंग की श्रेष्ठ कहानी के लिए आपको अनंत धन्यवाद !

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  17. मर्म को छू गया प्रसंग....बहुत बहुत आभार...

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  18. ऐसी ही सोच सिद्दार्थ को बुद्ध बनाती है।

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  19. अच्छी और प्रेरक पोस्ट ! हम भूतों के भी काम की है !

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  20. बहुत बढीया लेख है।

    प्रेरणा देती हूई लेख हैं

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  21. आपके चिंतन हमेशा प्रेरक रहे हैं... इसे जारी रखिये.

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  22. kyo nahi khul paa rahi thi aapki post main nahi jaanta magar maine miss kiya aapko

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