चिंतन दुख
आज का चिंतन कुछ अलग सा है, अगर आप को कोई गाली देदै तो आप क्या करे गै??बहुत से भाई तो वापिस गालिया देदेगे, कुछ हाथो से काम लेगे, आप भी यही करेगे जो दुसरे करते है, या आप उसे वेव्कुफ़ या पागल समझ कर बडबडाते निकल जाये गे, ठीक ना, सोचो गे क्या बद दिमाग के मुंह लगना, यही ना, तो लिजिये आज का चिंतन .
गोतम बुद्ध किसी बाग मे आराम कर रहै थै,ओर एकांत देख कर थोडा चिंतन कर रहै थै, वह बाग आमो का था, ओर सभी पेडो पर कच्चे ओर पक्के आम लगे थै, तभी कही से बच्चो का एक झुंड कही से आया, महात्मा उन बच्चो को मुस्कुरा कर देखते रहै, ओर बच्चे जमीन से पत्थर मार मार कर आम तोडने की कोशिश कर रहै थे,तभी त्क पत्थर गोतम बुद्ध जी के माथे पर लगा, ओर खुन बहने लगा,यह सब देख कर बच्चे बहुत डर गये, कुछ बच्चे रोने लगे तो कुछ बच्चो ने महात्मा जी के पाव पकड कर क्षमा मांगी, कि हमारी गलती से आप को चोट आई ओर आप को हम सब ने रुला दिया, बाबा आप हमे माफ़ कर दे.
इस पर बुद्ध ने सभी बच्चो को गले लगा लिया, ओर बोले मै तो दुखी इस बात से हुं कि जब तुम ने पेड को पत्थर मारा तो पेड ने तुम्हे आम दिये, ओर जब मुझे तुम्हारा पत्थर लगा तो मै तुम्हे सिर्फ़ डर ही दे सका, इसी लिये मेरे आंसु निकले बच्चो.
आप का धन्यवाद इस चिंतन को पढने के लिये
ऐसी करुणा व वात्स्ल्य ही उन्हेँ अजातशत्रु बना गया और अमर कर गया -
ReplyDelete- लावण्या
बहुत मार्मिक भाटिया जी !
ReplyDeleteआभार इस श्रेष्ठ प्रेरक प्रसंग के लिए।
ReplyDeleteहां ये तो सोचने वाली बात है की आप समाज को दे क्या रहे हैं ।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी। यह बात भी सिर्फ बुद्ध ही कह सकते थे। दुख को आत्मसात करना आम आदमी के बस की बात नहीं, और जो कर गया वह आम नहीं विशिष्ट आदमी बन जाएगा। शुक्रिया।
ReplyDeleteअच्छी कथा
ReplyDeleteमगर उससे भी अच्छी बात कि इस लिंक पर सिंगल क्लिक से खुल रहा है
आपको बधाई
गूगल महाराज को भी बधाई
" very inspiring story and beyond the thought of a common man, thanks for sharing"
ReplyDeleteregards
sh aaj bhi koi goutam budh hota jisse prerana li ja sakti. ek achhi bodh katha padhane ke liye dhanywad.
ReplyDeleteइस चिंतन से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है ।
ReplyDeleteअच्छी बोध कथा वाली पोस्ट है भाटिया जी। पढ़ने से अधिक मनन करने वाली।
ReplyDeleteधन्यवाद।
राज भाटिया जी आपने आज जो कहानी पढ़वायी, बहुत ही अच्छी लगी। लेकिन आज के समय को देखे तो इस तरह की सोच कोई भी नही रखता चाहे वो कोई साधू संत ही क्यों न हो।
ReplyDeleteबचपन से हमें कहा गया कि कोई गाली दे तो चुप रहो,
ReplyDeleteउसका कहा उसीके पास लौट जायेगा.......इसे अपनाया,बच्चों को विरासत में दी...
पर कई बार यह गलत हो जाता है,
एक चिंतन ने बहुत कुछ सोचने पर विवश किया ,
और एक सीखने वाली कहानी ने मन को सुकून दिया
आभार इस श्रेष्ठ प्रेरक प्रसंग के लिए।
ReplyDeleteआपने एक अत्यंत प्रेरक चिंतन दिया आभार !! वैसे इसकी मुझे अत्यंत आवश्यकता थी!!
ReplyDeleteअच्छा संदेश है. पर जीवन मैं बहुत कम लोग गौतम बन पाते हैं.
ReplyDeleteतथागत के जीवन प्रसंग की श्रेष्ठ कहानी के लिए आपको अनंत धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत सुन्दरतम कहानी !
ReplyDeleteमर्म को छू गया प्रसंग....बहुत बहुत आभार...
ReplyDeleteऐसी ही सोच सिद्दार्थ को बुद्ध बनाती है।
ReplyDeleteअच्छी और प्रेरक पोस्ट ! हम भूतों के भी काम की है !
ReplyDeleteprerak sandesh abhaar
ReplyDeleteबहुत बढीया लेख है।
ReplyDeleteप्रेरणा देती हूई लेख हैं
praerak lekh ke liye aabhar.
ReplyDeleteआपके चिंतन हमेशा प्रेरक रहे हैं... इसे जारी रखिये.
ReplyDeletekyo nahi khul paa rahi thi aapki post main nahi jaanta magar maine miss kiya aapko
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