नमस्कार, आज हम आप को फ़िर से रोम की सेर करवायेगे,ओर आज थो्डा ज्यादा ही घुमे गे,आज सुबह हम सभी जल्दी उठ गये, नहा कर सभी ७,०० बजे तक तेयार हो गये,चाय,दुध पीकरसब घर से जल्द निकल गये,अभी शहर की दुकाने नही खुली थी,एक बेकरी से नाश्ता पेक करबा कर हम ने ,कार पर्किग मे पार्क की ओर ८,०० बजे की ट्रेन पकड कर ८,४५ पर रोम पहुच गयॆ,नाश्ता हम ने ट्रेन मे ही कर लिया था, ईटली मे हम लोगो ने एक बात नोट की यहां भारत की तरह से हर घर के नीचे छोटी छोटी दुकाने हे, कभी कभी तो लगता था हम भारत मे ही कही घुम रहे हे,यहां जर्मन की तरह से सफ़ाई नही,लेकिन भारत की तरह से गन्दगी भी नही सड्कोपर,ओर लोग भी रात को देर तक घुमते हे,
करीब ४५ मिनट के बाद हमारा नम्बर आ गया, इस बीच कई लोग चालाकी दिखा कर पीछे से घुस गऎथे, देखने मे अपने (भारतिया ) लगते थे, यहा पता चला की बच्चो(१६ साल तक ) की कोई टिकट नही हे, हम दोनो की टिकट २२,००€ लगी, अन्दर जाने पर देखा चारो ओर खण्डहार ही खण्डहार थे, यहां पर अलग अलग तरह के खेल होते थे जेसे( Gladiator ) जिस मे दो योध्द आपस मे हथ्यारो से लडते थे ओर हारने बाले को मोत मिलती थी,केदियो ओर गुलामो को अलग अलग भुखे जानबारो के समाने छोडा जाता था, जेसे भुख शेर,बाध ओर इन सब का तमाशा लोग इस कोलोस्सएऊम (मेदान ) मे बेठ कर देखते थे, केसेइन्सानं अपनी जान बचाने के लिय दुसरे को टुकडो मे केसे काटता था, केसे एक भुखा जानवर एकआदमी को चीरफ़ाड कर खाता था, बाकी यहा के बारे ज्यादा जानकारी यहा से आप को मिले गी बाकी कल
नमस्कार.
श्रीमान् आप कब तक इटली को ईटली लिखते रहेंगे?
ReplyDeleteसंजय जी ध्न्यवाद, गलती सुधार ली गई हे, वेसे मेने हिन्दी २७ साल तक न लिखी थी ना ही पढी थी, इसी लिये मुझे मुश्किल होती हे, अब आप लोगो के साथ फ़िर से हिन्दी ठीक करलुगा,
ReplyDeleteफ़िर से धन्यवाद
सुंदर चित्र...सैर कराते रहें... इसी तरह हिंदी का अध्ययन करते रहेंगे तो गलतियाँ खुद बा खुद कम होती जाएँगी।
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