07/04/11

इसे कहते हे सच्ची आजादी....:)

10वीं के छात्र के साथ भागी 44 साल की महिला पुरा समाचार पढने के लिये यहां किल्क करे
इस नारी कि जगह अगर कोई मर्द होता तो  सभी मर्द खराब होते, बेरहम होते, लुच्चे होते, टुच्चे होते...अरे अरे यह मै नही कहता, यह तो हमारी .......... कहती हे, अभी वो यहां आ कर दो चार कमेंट देगी, फ़िर इस पोस्ट को अपने ब्लाग पर लगा कर शोर मचायेगी:)

34 comments:

  1. अत्यंत शर्मनाक

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  2. अरे! ये खबर तो हमारे मोहल्ले वाली रचना बी की पढ़वानी पड़ेगी |

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  3. पिछले साल भी बल्लभगढ से एक 37 वर्षीय अध्यापिका अपने 12वीं के 17वर्षीय छात्र के साथ भागकर रोहतक में रह रही थी।

    प्रणाम

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  4. रोचक तथ्य तो यह है कि लड़का महिला के साथ उसके तीनो बच्चे भी साथ ले भागा पुलिस ने को यह जानकारी दी।
    http://www.pradeshtoday.com/new_details.php?news=44+old+woman+run+with+16+year+old+boy

    do a little more research and you will find she ran away with her children from a violent husband

    my god when a senior person who the bloggers call as "dada" brings up such news i feel pity and nothing more
    and when he writes यह तो हमारी .......... कहती हे, and lets the comments like one the from NSR published i dont even feel pity because हमारी .......... could be his wife , daughter , beloved , sister etc

    an use less post to show how woman are using independence without going into the depth of cirumstance

    shame shame

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  5. so the comment has been deleted which by itself says that the moto of the post is not what it is saying

    in germany slandering in any form even without name is a punishable offence and that also if its a woman then its under a law of harasmaent

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  6. बेहद शर्मनाक.

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  7. this is a wrong news i gave the link of correct news and it was deleted

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  8. जैसी तरक्की पायी है उसमें ऐसी बातों से ऐतराज क्यों.शर्मनाक क्यों. भौतिकता ही अभीष्ट हो तब यही सब होगा ही.

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  9. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (09.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  10. दिल है कि मानता नहीं.. जै हो..

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  11. हम दो चार दिनो मे लोट के आयेंगे जी. अभी व्यस्त हे.
    यह सुंदर टिपण्णी हमे रचना जी ने मेल से भेजी हे, जिसे हम ज्यो की त्यो यहां प्रकासित कर रहे हे...
    रचना
    an mich

    Details anzeigen 11:16 (vor 5 Stunden)

    रचना has left a new comment on your post "इसे कहते हे सच्ची आजादी....:)":

    रोचक तथ्य तो यह है कि लड़का महिला के साथ उसके तीनो बच्चे भी साथ ले भागा पुलिस ने को यह जानकारी दी।
    http://www.pradeshtoday.com/new_details.php?news=44+old+woman+run+with+16+year+old+boy

    do a little more research and you will find she ran away with her children from a violent husband

    my god when a senior person who the bloggers call as "dada" brings up such news i feel pity and nothing more
    and when he writes यह तो हमारी .......... कहती हे, and lets the comments like one the from NSR published i dont even feel pity because हमारी .......... could be his wife , daughter , beloved , sister etc

    an use less post to show how woman are using independence without going into the depth of cirumstance

    shame shame

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  12. thank you for your honesty in publishing the comment because when one strikes some one below the belt then one should be prepared to bear the brunt

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  13. हम ईमान दार हे या नही इस के लिये हमे किसी के प्रमाण पत्र की जरुरत नही.किसी ने किसी को अपने कमेंट मे एक बार कहा था लोग खुद की लडाई मे किसी की मां बहन को क्यो लाते हे, आप ने तो बीबी कॊ भी खींच लिया:) वैसे मैने आज तक किसी का भी कामेंट नही रोका, चाहे वो गाली ही क्यो ना हो.

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  14. यह तो हमारी .......... कहती हे,

    its not me but you wo has written this and when you write कहती हे,it signifies four woman in your life
    your mother
    your daughter
    your beloved and
    your sister

    i merely pointed it out to you so that not only you but others should follow what has been written in between the lines
    comments published or deleted dont matter for me because i believe its important to raise the voice against injustice , inequality , gender bias and harasment .

    i before commenting at least check the counter facts and then comment .

    गाली oh my god this sainthood !!!

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  15. देखिये आपने बुलाया वे आ गयीं -ब्लॉग जगत में सर्वव्यापी हैं देवि!

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  16. और कोई ३७ साल का व्यक्ति किसी १७ साल की लड़की से साथ भाग जाये तो?

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  17. ओह लिंक के नीचे लिखे गए कमेंट्स को तो ठीक से पढ़ा भी नहीं था..... लगता है यह कुछ और ही बात है..... :-)

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  18. @वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) भाग जाये तो भाग जाये हमे क्या...जी हम उस खबर को यहां दे देगे:) जैसे यह खबर दी...

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  19. अँधेरी नगरी.... फिर क्या कहना.....जागते रहो..जागते रहो !

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  20. क्या ये शीर्षक ऐसा नहीं हो सकता था कि 44 साल की महिला के साथ भागा 10 बी का छात्र

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  21. राज जी, ऐसी ही एक घटना हमारे शहर में भी हो चुकी है.

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  22. दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे
    श्रीमान आप मेरे ब्लॉग पर आगमन जारी रखिये , मैं कोशिश कर रहा हूँ की प्रेमचन्द जी की अधिक से अधिक रचनाएँ आपसे बाँट सकूं |
    avaneesh99.blogspot.com
    premchand-sahitya.blogspot.com

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  23. आदरणीय राज जी नमस्कार बहुत ही बेबाक और सुन्दर लेख आप का नारी चाहे बच्चे ले के भागे ये उन्हें नहर में डूबा के या उनका गला दबा के या अपने प्रेमी के साथ मिल के पति और घर वालों को ठिकाने लगा दे कुछ भी हो सकता है किसी मोड़ पर तब हो हल्ला नहीं होता ये सब विचार आप के जायज हैं जनाब पर इसमें क्या कहीं पुरुष की भागीदारी आप को नजर नहीं आती दोनों एक सिक्के के पहलू और चट्टे बट्टे हैं -है न ??
    कहीं हमने संयुक्त परिवार के बारे में आप के विचार पढ़े अच्छा लगा उसे भी यहाँ लाया हूँ परिवार का विघटन रोकना है थोड़ी हम में ढिलाई होनी चाहिए कोई नौकरी करने जाये तो जाये वहां वे स्वछन्द हो अपने मन की भी कर पाती हैं न -हम उन्हें अपने घर बिठा जबरन भोजन दें जरुरी नहीं उस का मन मन ही जाये -सब समय समय पढाई लिखाई पर भी निर्भर करता है
    वाह जी एक अति सुंदर विचार संयुक्त परिवार के दोष ओर गुणो को दर्शाता, लेकिन संयुक्त परिवार मे दोष कम हे लाभ ज्यादा,गर संयुक्त परिवार हे तो मेरे ख्याल मे नारी को नोकरी की जरुरत ही नही होती, क्योकि हम नोकरी किस लिये करते हे, सुखी जीवन ओर पैसो के लिये( सेवा भाव से कोई नही करता) ओर जब हम कम मैसो मे ही सुखी जीवन जी सकते हे, तो खाम्खा मे दोड धुप किस लिये, बच्चो का बचपन क्यो तबाह करे, क्योकि बच्चे मां ओर दादी से बहुत कुछ सीखते हे, अच्छे संस्कार मां दादी या संयुक्त परिवार से ही मिल सकते हे, किसी संस्था या किराये की दाई या आय़ा से नही, ओर ना हॊ किताबो से.
    बाकी जब हम संयुक्त परिवार मे रहते हे तो हम सब की डुय्टी बनती हे कि हम सब अपनी अपनी जिम्मेदारी भी इमान दारी से निभाये,
    धन्यवाद

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये