जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
हा-हा-हा
ReplyDeleteबच्चे का नाम फत्तू था
हा हा।
ReplyDeleteमस्त आयटम है जी :)
ReplyDeleteमुंडा जल्दी बड़ा हो गया।
ReplyDeleteWah!...bilkul sahi javaab diyaa jee!
ReplyDeletewaah re kalyug.......
ReplyDeletewestern culture ka ek or udahran..
बालक तो तत्वज्ञानी जान पड़ता है.
ReplyDeleteWAHHHH KYA BAAT HAI........
ReplyDeleteआपने फ़ेस बुक से चोरी की यह आपकी सोच है।
ReplyDeleteइस बात हमें गुदगुदी होगी यह आपका वहम है।
बहुत उम्दा...
ReplyDeleteसच में अब बच्चे ऐसे ही हो गये है |
ReplyDeleteलेकिन बच्चे का जवाब है तो सही ही
ReplyDelete:)
????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
ReplyDeleteबहुत ही रोचक ...:)
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteचोरी का ऐसा ही माल उडाया जाता है :)
ReplyDeleteजरूर जीनियस होगा ( हमारी सोंच ) ...... और शायद बचपन की उम्र में गलती से पचपन का रोग लग गया होगा. (हमारा वहम )
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...सच में आजकल बच्चों को छोटा समझाना वहम ही है....
ReplyDelete*समझना
ReplyDeleteवाह जी वाह !!
ReplyDeleteमज़ेदार है!!
ReplyDeleteमजा आ गया जी। शुक्रिया।
ReplyDeleteबच्चे बड़े हो गए...
ReplyDeletesundar kavitaa dee hai aapne.
ReplyDelete.बड़ा सटीक व्यंग्य है.
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ReplyDeleteभाटिया जी.. आप भी ना
हम सब वहम में ही जी रहे हैं |
ReplyDeleteमजा आ गया.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रहा यह चोरी का माल!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रहा यह चोरी का माल!
ReplyDelete.
ReplyDeleteUnfortunately , teachers enjoy such answers.
Loss of ethics , moral values and culture is very well depicted in this small poetry.
I wish readers must not read it as a joke but try to see this as a sarcasm on the current state of affairs.
Pathetic state of children !
.
Zeal से सहमत.
ReplyDeleteअले ले ले तो तू बड़ा हो गया है रे मेरा लल्लू !हा हा हा !
ReplyDeleteजनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
ReplyDelete@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी
सही तो कह रहा है………हा हा हा
ReplyDeleteहास्य अच्छा है, मगर आज की स्थिति भी यही है
ReplyDeleteha ha ha ha
ReplyDeletehad hai
bachcho ki soch ka jawab nahi ,bahut badhiya .gantantra divas ki badhai ,vande matram .
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआप सभी कों गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteआप को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं!
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