यह चित्र तो मैने बस युही मजाक मे डाल दिया था, लेकिन आप सब ने इसे पहेली बना दिया, ओर मुझे भी बहुत रोचक लगा, अब मै बताता हुं मै कहां बेठा हुं, ओर साथ मे अपने बचपने के दो चित्र भी दे रहा हुं...
नीचे चित्र मे देखे, नीचे से दुसरी लाईन मे एक बच्चा सलाम या सेलूट मार रहा हे इसी लाईन मे आगे चले यानि इस से आगे एक बच्चा छोड कर, जिस बच्चे ने बन्द गले का स्वेटर पहन रखा हे या इसी लाईन मे तीसरा बच्चा, अब सबूत के तॊर पर आप को अपने दो अन्य चित्र भी साथ मे दे रहा हुं, एक मे लडकियो की तरह दिखाई देता हुं( इसी लिये मुझे लडकियो से बहुत प्यार हे :) ) दुसरे मे एक सरदार सा दिखाई दे रहा हू.
फ़ोटो को बडा करने के लिये फ़ोटो पर किल्क करे
अब बहुत से साथियो ने सही पहचाना , जेसे... ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी ने कहा नीचे से दूसरी पंक्ति में बांये से तीसरे !
फ़िर जबाब आया anshumala जी का उन्होने कहा कि...नीचे से दूसरी लाइन में जिस तरफ बच्चा सलामी ठोक रहा है उस तरफ से तीसरे | पर ये बताइये की सही बताया तो मिलेगा क्या | आप जो कहे मै दुंगा!!
फ़िर जबाब आया दर्शन लाल बवेजा जी का उन्होने भी कहा नीचे से दूसरी पंक्ति में बांये से तीसरे !
ऎसा था हमारा बचपन, मैने अपना बचपन कई शहरो मे बिताया हे पंजाब के होशियार पुर मे जन्मा, फ़िर हिमाचल मे एक गांव निग्गी मे , फ़िर दिल्ली, फ़िर आगरा, फ़िर नेपाल, फ़िर दिल्ली, फ़िर रोहतक ओर भी कई शहरो मे रहा, यानि हम जन्म से ही विदेशी थे, ओर होशियार पुर कभी दोवारा नही गया.
आप सभी का धन्यवाद मेरे चित्र को देखने ओर दाद देने ओर पहचानने के लिये, ओर बताईये यह दो नये चित्र केसे लगे,
बहुत अच्छा लगा आपके बचपन के चिक्ष देखकर!
ReplyDeleteबहुत बढिया लगा आपको देखकर ।
ReplyDeleteतो बचपन में आप भी सरदारम् थे।
ReplyDeleteबिल्कुल जासूस लग रहे हैं.. शक्ल सूरत बदलने में माहिर..
ReplyDeleteआपके बचपन की फोटो बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र हैं दोनो ही । तो इस बार जब आयें तो होशियारपुर भी जरूर जायें अपनी जन्मभूमि पर। और फिर नंगल तो पास ही है। शुभकामनायें।
ReplyDeleteयह चित्र पहले ही भेज दिये होते तो बता देते।
ReplyDeleteराज जी , पहचाना तो हमने भी वही यानि नीचे से दूसरी का तीसरा , बस दाये बाये का चक्कर मेँ उलझकर उल्टा लिख दिया था।
ReplyDeleteवैसे बहुत ही सुन्दर तस्वीर है और उससे भी सुन्दर बात कि आप ने सम्हालकर रखा है इतने अच्छे से।
कुछ इसी तरह की एक स्कूली फोटो मेरे बचपन की भी है... पता नहीं कहीं संभाल कर रखी गई है.. निर्मला जी की बात से मैं भी सहमत हूं कि आपको होशियारपुर जाने का कोई बहाना ज़रूर निकालना चाहिये..
ReplyDeleteYani mera tukka flop rahaa. :)
ReplyDeleteह्म्म्म ... अब जा कर पहचाना... :)
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आपके सभी चित्र ये दोनों भी आकर्षक हैं.हम भी आगरा में ३४ वर्ष रहें हैं.
ReplyDeleteफोटो देख कर मज़ा आ गया.वैसे काली सफेद फोटो की बात ही कुछ और थी.
ReplyDeleteपुराने दिनों की याद ताज़ा हो गई।
ReplyDeleteतस्वीरें देख बहुत ख़ुशी मिली.
ReplyDeleteस्वच्छ समाज निर्माण के लिए आप बचपन से ही गंभीर दिख रहे हैं.
नेपाल में किस शहर में प्रवास रहा आपका?
नमस्कार आप सभी को, मुझे सिर्फ़ दिल्ली , रोहतक ओर आगरा की याद हे बाकी नेपाल, पटियाला, हिमाचल बगेरा बगेरा कुछ याद नही, जेसे होशियारपुर की कोई याद नही, नीचे दी फ़ोटो की भी कोई याद नही,कोई भी लोग याद नही रहे एक दो को छोड कर. आप सभी का धन्यवाद
ReplyDeleteबचपन की फोटो बहुत अच्छी लगी....
ReplyDeleteफोटो देख कर मज़ा आ गया
ReplyDeleteबचपन तो सच्चा और मासूम होता ही है ...
ReplyDeleteसुमधुर यादें !
बहुत अच्छी लगी फोटो ।
ReplyDeleteदोनों ही तस्वीरें बहुत ही प्यारी हैं !
ReplyDeleteनहीं मालूम होने पर लोग भाई बहन समझेंगे !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
aadarniy raj ji
ReplyDeletejab aapne itne saare hits de rakhen hain to aapko pahchanane me bhul kaise ho sakti hai.ek photo me to aap vastav me ladki hi lag rahen hain agar aapne bataya na hota to shayad aapko pachan nahi paate.
bahut hi badhiya bachpan ki tasveeren.
poonam
बहुत कम ऐसा होता है की बचपन से मिलता जुलता चेहरा हो। लेकिन आपका चेहरा हूबहू आज के face से मिलता है । पहचानना मुश्किल नहीं। बचपन की तसवीरें अच्छी लगीं।
ReplyDeletewaah !!!!
ReplyDeleteबचपन की तस्वीरें बड़ी प्यारी लगती हैं.
ReplyDeleteख़ूबसूरत यादें...फोटो के माध्यम से
आदरणीय राज भाटिया जी
ReplyDeleteवैसे तो कहीं ताक-झांक सही नहीं … लेकिन आपके बचपन में झांकना बहुत अच्छा लगा ।
शुरू से ही आप तो क़्यूट रहे हैं …
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हा...हा...हा.....
ReplyDeleteराज़ जी आपकी बचपन की तसवीरें देख तो मज़ा आ गया .....
आप तो पक्के सरदार थे ...फिर .....?
पहले माँयें इसी तरह लम्बे बालों की वजह से लड़कों को लड़की बना देतीं थी ....!!
बचपन की मजेदार यादें .
ReplyDeletebadal sakti hai shakal
ReplyDeleteaage ke shabd kya ho aap soche?
vaise ek chhote sardaar ko dekha
ab ek mona se milte hai