करीब करीब दो सप्ताह के बाद २६/११ को मैने वापिस घर का रुख किया, प्लेन भारत से ही लेट चला इस कारण आगे भी फ़लाईट छुट गई, ओर देर से घर पहुचां, वो तो मोबाईल के कारण घर वालो को पहले ही बता दिया कि मै इस समय पहुच जाऊंगा, इस लिये बेकार की लम्बी इंतजार से बच गये, मुझे लेने पुरा परिवार आया था, बर्फ़ बारी खुब हो रही थी, प्लेन से उतर कर बाहर आया ओर फ़िर खुद ही ड्राईविंग कर के घर आया.
थकावट के वाजूद भी घर पर सब ने घेर लिया, इसी बीच बीबी गर्मा गर्म चाय बना लाई ओर फ़िर सिलसिला शुरु हुया, पूछ ताछ का सब को जान कारी चाहिये, यह केसा हे वो केसा हे, वो कितना लम्बा होगया, यह कोन सी कलास मे पहुच गई, फ़िर बच्चो ने मेरा समान खोलना शुरु किया, ओर अटेची बेग खाली कर के बाहर रखे ताकि कुछ ताजी हवा लगे ओर फ़िर रख दे. फ़िर सब ने ब्लांग मिलन के बारे बाते पुछी.इसी बीच बीबी ने खाना बनाया ओर मैने काफ़ी दिनो के बाद घर का खाना खाया.
अब बच्चे अपने कमरो मे पढने चले गये, तो मैने भी थोडा आराम किया, फ़िर लेटे लेटे भारत मे बिताये वो पल याद आये जोसब ब्लांगर साथियो के संग बीते थे, ब्लांग मिलन मे कम लोग आ पाये लेकिन जो आये वो दिलो दिमाग पर छा गये सब से अपना पन मिला, मान सम्मान मिला, बहुत कुछ मिला सब साथियो से, बिछुडते समय भी ओर अब फ़िर से कह रहा हुं कि अगर मेरे से कोई गलती हुयी हो, आप सब की सेवा मे कोई कमी रह गई हो तो छोटा समझ कर नादान समझ कर माफ़ कर दे.
जब १२/११ की रात को दिल्ली पहुचा तो टेक्सी पकड कर सीधा ससुराल गया, वहां आधी रात को मेरा इंतजार मेरी साली का छोटा लडका कर रहा था, क्योकि किसी को नही पता था कि मै आ रहा हुं, फ़िर हम बाते करते रहे हमारी आवाज सुन कर बडा आया ओर आंखे फ़ाडे मुझे देख रहा था, मैने उसे चुप रहने के लिये बोला, फ़िर रात को हम एक ही कमरे मै सॊ गये, सुबह उठने पर खुब मजा आया सब को यकीन नही हुया, फ़िर बातो का सिलसिला चला, अब एक दिन की केद हमे हमारी साली ने सुनाई, यानि एक दिन हमे वहां रुकना पडा,दुसरे दिन सुबह नाशता बगेरा कर के मैने वहां से टेक्सी मंगवाई ओर रास्ते से अमित जी को पकडा ओर रोहतक पहुच गये, फ़िर घर की सफ़ाई वगेरा के लिये किसी को बोला ओर हम निकल लिये ब्लांग मिलन की जगह तलाशने, ओर दोपहर का खाना भी हम ने अमित जी के मित्र के यहां किया, खुब डट के खाया, पांच सात घंटे के बाद जब घर आये तो घर साफ़ मिला, तो हम ने बिस्तरो का इंतजाम किया, फ़िर अमित जी खाने के बारे विचार करने लगे कि खाने का क्या किया जाये, दो चार फ़ोन किये, ओर अंत मै मुझे एक ना० दिया,साथ मे ठंडी ठंडी बीयर का मजा लिया, ओर खाना खाया ओर फ़िर अमित जी चलेगये,
दुसरे दिन् सुबह सुबह मेरी आंख खुली तो देखा की साथ वाले घर से कोई बुला रहा हे, देख कर मेरी चिंता दुर हो गई, अरे वो रेखा थी, जो काफ़ी समय से हमारे घर पर खाना बनाती रही थी, अब कुछ समय से नही, तो मैने उस से पुछा कि रेखा क्या तुम मेरा खाना बना दोगी तो उस ने छुटते ही कहा हाम भाईया क्यो नही, तो जनाब हम ने इस दिन भी गर्मा गर्म परोठे खाये, ओर खाने का झंझट भी खत्म.
फ़िर आई २० तरीख इस दिन हमारे घर पधारे ललित जी ओर योगेंदर जी ओर भी कई लोगो ने आना था लेकिन आ नही पाये किसी कारण, फ़िर मेने अमित जी को भी फ़ोन कर के बुला लिया, खुब बाते हुयी, शाम तक चाय का दोर चला, कुछ बिस्तर ओर मंगवायेगे, फ़िर पेग शेग भी चले, खाना रेखा ने बना दिया( जब भी रेखा खाना बनाने आती तो मैने उसे पहले ही कह दिया कि मेरे खाने के साथ साथ अपना ओर बच्चो का खाना यही बना लेना,ओर तुम चाहो तो यही खाना खा लेना या साथ ले जाना फ़िर उस के साथ मै भी खाना खा लेता था लेकिन आज रेखा अपना खाना साथ ले गई ) हम ने भी उस के जाते ही खाना खाया ओर फ़िर चला बातो का सिलसिला. खुब ठहके भी चले, रात को १२ बजे अमित जी चले गये.
मुझे भी करीब रात दो बजे नींद ने घेर लिया, ओर हम तीनो नीचे फ़र्श पर बिस्तर लगा कर लेट गये, अब जनाब बिस्तर पर लेटते ही ललित जी ओर योगेंदर जी तो झट से सो गये, मुझे नींद ना आये, अरे बाबा इतने लम्बे ओर जोर दार खराटे........ हम ने तो बोरी बिस्तर उठाया ओर दुसरे कमरे मै जा कर लेट गये दो चार घंटे सोये, ओर फ़िर सुबह सवेरे जग गये, बरतन तो रेखा साफ़ कर गई थी, मैने बिना शोर किये अपनी दिन चर्या शुरु की जब चाय बनाने लगा तो एक रजाई से आवाज आई भाटिया जी चाय मै अदरक जरुर डाल ले, तभी दुसरी रजाई से आवाज आई एक कप हमारे लिये भी, तो हम ने सब ने मिल कर चाय पी, थोडी देर बाद ललित जी ने चाय बनाई बहुत मजे दार, सच्ची कहुं मेरी चाय मेरी बीबी मेरे बच्चे नही पीते थे क्योकि मुझे बनानी ही नही आती, लेकिन यहां सब ने बहुत तारीफ़ की, फ़िर सब मे काफ़ी ओर कापुचिनो का मजा भी लिया, फ़िर अमित जी भी पहुच गये, ओर फ़िर इन की कार से हम सब ओर मेरे भाई का लडका भी हमारे साथ चल पडा तलिया झील की तरफ़... रेखा आई तो मैने उसे आज दोपहर के खाने के लिये मना कर दिया,
बाकी बाते तलियार झील की अगली पोस्ट मे..... अरे हां मेरा लेपटाप कुछ दिनो के लिये वापिस डीलर के पास जा रहा हे, कल इस मै कुछ गडबड हो गई हे, भारत मै य्ह चल नही पाया, जिस के कारण मै नेट भी नही ले पाया, अब या तो वो इसे ठीक कर के वापिस भेजेगे या नया भेजेगे, या मेरे पेसे वापिस देगे, इस की दो साल की गारंटी हे, तो इस बीच्मै बच्चो के लेपटाप से या पीसी से कुछ समय ही नेट पर आ पाऊंगा इस लिये अगली पोस्ट पता नही कब लिख पांऊ, तब तक नमस्ते.वेसे कुछ लोगो को बता दुं कि मेरी हर पोस्ट के नीचे लिखा आता हे आप की राय ओर उस के नीचे लिखा आता हे रचना के बारे अब इस का कोई क्या अर्थ लगता हे ? बस इतना ही कहुंगा कि भडकाऊ लोगो से साबधान
किसी ज़माने में कपिलदेव कहा करते थे- पॉमोलिव दा जवाब नहीं...
ReplyDeleteअब इसे बदल कर मैं कहता हूं...राज जी दा जवाब नहीं...
आपने तिलयार में दिखाए प्यार से हम सबको अपना मुरीद बना लिया है...
जय हिंद...
रोहतक में सम्मेलन करा आपने कई ब्लॉगरों के मिलने की इच्छा पूरी कर दी। वाह, यही माहौल बना रहे।
ReplyDeleteयात्रा वृतांत बढ़िया लगा ....
ReplyDeleteरचना (यात्रा वर्णन )बहुत बढ़िया है |आपसे मिलकर जो खुशी हुई उसे शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है | आपके प्यार और स्नेह की वजह से सब लोग एकत्रित हुए और सबका आपस में परिचय हुआ हम आपके बहुत बहुत आभारी है |
ReplyDeleteराज जी, आप वापस पहुंच भी गए? अकेले ही आए थे आप यह भी अभी पोस्ट से ही मालूम पड़ा। यहाँ से मिठाई वगैरह तो ले गए होंगे ना परिवार के लिए? आपने जिक्र ही नहीं किया। आपसे मिलने की इच्छा मन में ही रह गयी।
ReplyDeleteहमें तो पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है, आप लोगों ने वहां इकट्ठा होकर आनन्द लिया.
ReplyDeleteबड़ी खुशी यह है कि आप अभी भी जड़ों से जुड़े हैं..
भाई जी राम-राम,
ReplyDeleteआपसे मिल कर मज़ा आया....आपकी विनम्रता-विनय शीलता का कायल हूँ...
सच में आप का साथ उम्मीद से बढ़िया रहा....
समय ने आज्ञा नहीं दी वर्ना रात को पुन: रुकता... खैर फिर कभी सही. घर में भाभीश्री को चरण-स्पर्श आप मेरी ओर से भी कर लें. बच्चों को आशीष........
आपका, घर पहुंच कर यूं पोस्ट लिखना भी अच्छा लगा. आशा है कि आपका लैपटाप जल्दी ही ठीक होकर लौट आए.
ReplyDeleteएक दिन रुकने के लिये एक दिन की कैद वाह ।रेखा के हाथ के गर्म परांठे पहले कब खाये थे यह भी लिखदिया होता ।एक तो जोर दार खर्राटे और बहुत दिन वाद नीचे सोना जगह भी बदल गई तो नींद देर तक न आना स्वाभाविक था। भडकाउ लोगो से सावधान किया है धन्यवाद
ReplyDeleteआपने बहुत ही तफ़्सील से यात्रा वृतांत लिखना शुरू किया है, आपका लेपटोप आरोग्य पाकर जल्द ही लौते यही शुभकामना है जिससे आगे का वृतांत भी आपकी जुबानी सुना जा सके.
ReplyDeleteरामराम
दिलचस्प रहा यात्रा वृतांत.
ReplyDelete... ye kaun mahaashay hain jo kharraate ... fatfati ki tarah chalaa rahe the ... rochak post !!!
ReplyDeleteरोहतक सम्मलेन के लिए आपको बधाई. अब घर पहुँच ही गए हैं आपके अगले पोस्ट का इंतज़ार रहेगा.
ReplyDeleteआपकी यह यात्रा घटना पूर्ण रही ....और कुछ लिखूंगा तो लोग बाग़ उसमें दादा कोंडके को ढूंढ लेगें ...अब बाल बच्चों के साथ पूरा समय दीजिये !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteक्या खूब वर्णन किया है राज जी. मज़ा आ गया पढ के.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और आत्मीयता से भरा संस्मरण।
ReplyDeleteभारत यात्रा विस्तार से सुनाइए. लैपटॉप कितने दिनों के लिए गया है?
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुती....आपने रोहतक में ब्लोगरों को एकजुट किया इसके लिए आपका हार्दिक आभार.....
ReplyDeleteाब जा कर पूरा हुया ब्लाग मिलन का वृताँत। आप घर पहुँच गये बहुत बहुत बधाई। आपका सस्नेह आमन्त्रण और सेवा भाव हमेशा याद रहेगा। भाभी जी को नमस्कार कहें। शुभकामनायें।
ReplyDeleteब्लोगर्स के मिलन का आत्मीयता भरा संस्मरण ........ सुंदर वृतांत
ReplyDeleteगलतियां तो आपसे बहुत हुई हैं जी
ReplyDeleteखैर हमने भी आपको छोटा समझकर माफ कर दिया :)
आदरणीय क्यों शर्मिन्दा कर रहे हैं आप हम सबको
रेखा बहन का धन्यवाद, उन्होंने आपके और हमारे खाने-पीने का बहुत ध्यान रखा।
एक गुजारिश है जी आप मुझे अमित की बजाय अन्तर सोहिल सम्बोधित किया करें, मुझे यह नाम बहुत अच्छा लगता है।
प्रणाम
हो सके तो बंटी चोर की सभी टिप्पणियां रिमूव कर दें। यहां से भी और मुझे शिकायत है से भी
ReplyDeleteघर में सबको मेरी नमस्ते कहियेगा
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ReplyDeleteआत्मीय संस्मरण ! अच्छा लगा !
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अफ़सोस कि हम चाहकर भी आपसे मिलने रोहतक नहीं आ सके। दिल्ली में व्यस्तता कुछ ज्यादा ही हो गयी।
ReplyDeleteखैर आप सबका संस्मरण पढ़कर ही संतोष कर रहा हूँ।
हमें आपका ये यात्रा वृतान्त और सम्मेलन रिपोर्ट पढकर ही इतना आनन्द आया तो सोच सकते हैं कि आप सब लोगों नें मिलकर कितनी मौज की होगी.....अफसोस है कि आपसे चाहकर भी न मेल हो पाया.
ReplyDeleteकाफी दिनों तक नेट से दूर रहने के कारण आपके द्वारा आयोजित ब्लोगर मिलन की रिपोर्ट तो नहीं पढ़ पायी...अब फुरसत से सब देखूंगी.
ReplyDeleteअच्छा लगा जान...सबकुछ बढ़िया से संपन्न करा आप सकुशल अपने गाँव लौट गए.
अफ़सोस मै और माधव आपसे नहीं मिल पाए
ReplyDeleteमीठी यादों के गुलदस्तों से सजा हुआ, आत्मीयता से भरे पलों में जिया हुआ संस्मरण पढ़ कर अच्छा लगा ! कभी कभी लगता है अगर जीवन में मीठी यादें न होतीं तो क्या होता !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आप की जितनी भी तारीफ की जाए, कम ही है!....आप ने ब्लोगर्स स्नेह संमेलन का आयोजन कर के सभी को एक जगह पर इकठ्ठा करने का भगिरथ कार्य किया है!...इस संमेलन का आपका अपना अनुभव जानना अभी बाकी है..इंतजार है!
ReplyDelete........धन्यवाद!
ब्लोगर्स के मिलन का ........ सुंदर वृतांत
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