हम दुनिया मे आज कहां है, यह तो पता नही लेकिन कई बाते आज भी हमे हेरान करती है... ओर हमारे लोग, हमारी पंचायते भी इन गलत प्रथा का साथ देती है,ऎसी बकवास सुन कर कोन नही हमे पिछडा कहेगा??
पुरी ओर शर्मनाक खबर यहां पढे
ओर अगर कोई इन की बेटी को छू ले तो? या जो यह लोग इन गरीबो का खुन चुस कर पेसा बनाते है वो भी तो अछूत हुआ ना, आओ ओर मिल कर ऎसी बुराई को समाज से निकाल बाहर करे
कल ही जनसत्ता में यह खबर पढ़ी थी...वाकई सोचनीय.
ReplyDelete______________
'शब्द-शिखर'- 21 वीं सदी की बेटी.
इस देश में किसम किसम के पागल हैं। कुछ नहीं कर सकते। इनको तो इनके हाल पर ही छोड़ दो।
ReplyDeleteis desh ka kya hoga !
ReplyDeleteवह हरामजादा कुते से छुटकारा पाने का बहाना ढूंढ रहा था क्योंकि कुत्ते को खुजली वाली बीमारी होने लगी थी सो यह तरीका सूझ गया ! तरह-तरह के कमीनो से पटा पडा है देश !उस पर तो यह मुकदमा चलाया जाना चाहिए कि उसने अपने एक पालतू जीव को भूखा रखा हुआ था अगर वह भूखा न होता तो रोटी क्यों खाता ?
ReplyDeleteहद है जी...।
ReplyDeleteकबिरा इस संसार में भांति भाति के लोग...
ReplyDeleteइस तरह की कोई भी सामाजिक बुराई तब तक देश से ख़त्म नहीं होगी जब तक सरकारे ईमानदारी से काम नहीं करेगी कड़ी कीजिये कानून व्यवस्था और डालिए सबको अन्दर फिर देखिये कैसे नहीं सुधारते है पर ये जाति व्यवस्था तो पुलिश प्रशासन सारकार हर जगह व्याप्त है तो ये ख़त्म कैसे होगी |
ReplyDeleteहद हो गई राज जी .. ऐसे लोगों की मानसिकता को क्या कहें ....
ReplyDeleteकल पढ़ी थी यह खबर भी ...अजीब मानसिकता है लोगों की ...
ReplyDeleteजाति प्रथा का एक और शिकार।
ReplyDeleteमेरा भारत महान ....
ReplyDeleteइसी पर कुछ यहाँ भी पढ़े
ReplyDeleteयहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?
जाने यहां के लोग कैसे आगे बढेंगें।
ReplyDeleteपंचायत भी राजपूतों की ही होगी।
सचमुच ताकतवर से सब डरते हैं।
खुजली वाले कुत्ते से छुटकारा भी पा लिया और बेचारे गरीब पर 15000 का जुर्माना भी ठोक दिया।
प्रणाम
हद है ...
ReplyDeleteजब जानवरों को भी भेद-भाव में नहीं छोड़ा तो इंसानों की क्या बिसात?
ReplyDeleteभैया अच्छा ही है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या-बाबरी केस पर फिलहाल रोक लगा दी है.. दंगे होते देर न होगी ऐसे बेवकूफों की कृपा से..
यह बहुत बड़ी विडम्बना है कि आजादी के 64 साल बाद भी भेद-भाव समाप्त नही हो सका है!
ReplyDeleteis ko kaliyug kahte hain
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
क्या कहें..
ReplyDeleteसोचनीय स्थिति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में ….बड़ा छछलोल बाड़ऽ नऽ, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
बहुत दुखद.
ReplyDeleteरामराम
पागल है ऎसे लोग .
ReplyDeleteहैरत और हद दोनों !
ReplyDeleteअत्यन्त शर्मनाक
ReplyDeleteSHARM AATEE HAI YAH SUB DEKH-SUN KAR....
ReplyDeleteकमाल है! इन्सान तो इन्सान अब जानवरों पर भी छुआछूत लागू.....ये तो हद ही हो गई!
ReplyDeleteभारत के गांवों का प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यावरण, सामाजिक अच्छाइयां ये तो तेजी से समाप्त होते जा रही हैं। लेकिन बुराइयां जस-की-तस हैं, या हम कहें कि बढ़ती जा रही हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ReplyDeleteशर्मनाक :(
ReplyDeleteShame-Shame !
ReplyDeleteये समाचार पढ़ के सच में बहुत दिल दुखा था सर.. बहुत सुन्दर आह्वाहन :)
ReplyDeleteक्या ऐसा भी होता है हमारे देश में ...
ReplyDeleteशर्मनाक !
हद है यार इन सालों को तो बांध कर पीटा जाना चाहिए ..ताकि अक्ल ठिकाने आ जाए ..ये तो हैवान हो चुके हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteकहानी ऐसे बनी– 5, छोड़ झार मुझे डूबन दे !, राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
अछुत नामक रोग का निदान अभी तक नहीं हो पाया है। इतने कानून बनाने के बाद भी
बेहतरीन लेखन के बधाई
तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
निहायत ही शर्मनाक घटना है ..... इस पर ओशो के शब्द पढ़े बहुत ही अच्छी बात कही है
ReplyDeletehttp://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_24.html
हद हो गई ..
ReplyDeleteशर्मनाक !
ReplyDeleteमुझे तो डर है कि कहीं लोग किसी दलित की पोस्ट पढ कर भी यही न कहने लगें कि हम अछूत हो गये। बहुत शर्मनाक निन्दनीय घटना है। लेकिन जिसने अछूत कहा है ऐसे लोगों का समाज से वहिश्कार होना चाहिये। आभार।
ReplyDeleteक्या कहा जाय......
ReplyDeleteये सब सुनकर सिर्फ़ आश्चर्य ही नहीं बल्कि शर्म आती है! पता नहीं लोगों की मानसिकता में कब बदलाव आयेगा! न जाने क्या होगा देश का!
ReplyDeleteशर्म आती है आज भी ऐसी मानसिकता को देख कर .....
ReplyDeleteMujhey toh yehi samajh nahi aa raha hae ki kya bolu..sharmnaaq ghatna..Yahan na insaan ki kadr hae, na jaanwar hee kisi ginti mae hae.
ReplyDeleteहद तो यह है कि अभी मामले की जांच चल रही है। जांच की यह रफ्तार ही सभी अपराध की जड़ है।
ReplyDeleteपंचायत का फैसला और ही चोकाने वाला है ?
ReplyDeleteये कोनसी सदी में जी रहे है हम ?
तुच्छ मानसिकता का परिचय। अभी भी मानसिक रूप से विकलांग लोगों की जमात कम नहीं हुई है यह घटना इस बात की परिचायक है।
ReplyDeleteतुलसी इस संसार में भाँती भाँती के लोग !
ReplyDelete... behad afsos janak !!!
ReplyDeleteराज़ जी ,
ReplyDeleteगोदियाल जी ने अच्छा जवाब दे दिया .....अब क्या कहूँ .....
सच कहूँ तो कुत्ते को देख मेरे दिल में भी यही ख्याल आया था .....!!
राज़ जी ,
ReplyDeleteगोदियाल जी ने अच्छा जवाब दे दिया .....अब क्या कहूँ .....
सच कहूँ तो कुत्ते को देख मेरे दिल में भी यही ख्याल आया था .....!!
भाटिया साहब,
ReplyDeleteलुधियाना में दैनिक जागरण समाचार पत्र में मैनें भी कुछ ही दिन पूर्व यही खबर पढ़ी थी, तो मन तृष्णा से भर गया था पढ़े-लिखों की समझ पर, किन्तु अगले ही दिन उसी समाचार पत्र में एक बुद्धिजीवी द्वारा बनाया गया और प्रकाशित कार्टून देखा तो मन वह कर उत, जिसमें कहा गया था कि
" अछूत के रोटी खिलने से कुत्ता तो अछूत हो गया पर उसी अछूत के हाथों यदि पंचायत द्वारा लगाया गया १५००० रूपए जुरमाना प्राप्त हुवा तो वह कैसे पवित्र हो जायेगा........."
चन्द्र मोहन गुप्त
ajab -gajab hai haal ,kya kahe aese main .
ReplyDeletecool post frd__________
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