यहां मुनिख मै हमारे एक दोस्त है, उम्र मै तो हमारे पिता समान है, ओर हम उन की इज्जत भी वेसे ही करते है, लेकिन कभी अंकल नही कहा, नाम से ही बुलाते है, शनिवार को वो हम से मिलने आये, तो अपने पोते की बाते बता रहे थे, जो कि अभी दो साल का है, ओर सारी बात हिन्दी मै ही करता है, ओर वो इग्लेंड मै अपने मामी पापा के संग रहता है, वेसे तो यहां रहने वाले भरतीया ६०% लोग अपने बच्चो के संग अग्रेजी मे या यहां कि लोकल भाषा मै ही बात करते है, लेकिन कुछ मेरे जेसे सिर फ़िरे है जो अपने बच्चो को हिन्दी मै ही बोलना सीखाते है, जिस से वो अग्रेजी ओर लोकल भाषा तो स्कुल मै सीख लेते है....
अब बात करता हुं उस पोते कि, हमारे मित्र जो ८० साल से ऊपर है रोजाना अपने पोते को ले कर बाहर घुमने जाते थे, ओर पोते को भी एक दोस्त दादा के रुप मे मिल गया, सारा दिन दादा ओर दादी के संग रहता ओर उन के कान खाता, ओर खुब हिन्दी बोलता...... एक दिन दादा ओर पोता घुमने गये, अब पोता जिस भी चीज को दॆखता तो झट से दादा को उस चीज का नाम ले कर ऊंगली का इशारा कर देता, ओर दादा खुश होते ओर हां हां कर देते... थोडा आगे गये तो बहुत सुंदर सुंदर फ़ुल खिले थे, जब पोते की नजर फ़ुलो पर पडी तो पोता साहब चिल्ला पडे फ़ुल फ़ुल..... ओर उस तरफ़ ऊंगली का इशारा भी करे..... दादा जी ने जब फ़ुलो की तरफ़ देखा तो वहां उन फ़ुलो को एक अग्रेज पानी दे रहा था, जो बच्चे की आवाज सुन कर इन की तरफ़ देखने लगा... ओर बच्चा चिल्ला रहा है फ़ुल फ़ुल.... दादा जी जल्दी से वहां से खिसके, ओर हमे यह किस्सा बताया तो हम सब का हंस हंस कर बुरा हाल था....... बेचारा अग्रेज :)
हो सकता है सच बोल रहा हो।
ReplyDeleteha ha ha .......
ReplyDeleteकुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
राज जी,
ReplyDeleteऐसे बहुत सी चीजे है जिनका विज्ञानं आजतक जवाब नहीं ढूंड पाया है, इसलिए आप शायद सहमत न हो लेकिन यदि आप चाहे तो मेंरे कुछ सवालो के जवाब आप दे दीजिये विज्ञानं की द्रष्टि से .... आपके जवाब का इंतजार रहेगा
thodi hansi aai aur kuch seekh bhi mili.......
ReplyDeleteapni bhasha ko janane ka haq aur dayitva dono hamari nai peedhi ka hai..... yah unhen milna chahiye.
संस्मरण बहुत बढ़िया लगा!
ReplyDeleteवाह-वाह,बहुत बढिया-
ये अंग्रजी भी भले चंगे आदमी को
फ़ूल-फ़ूल बना देती है।
उम्दा पोस्ट के लिए आभार
खोली नम्बर 36......!
hahahaha......
ReplyDeleteबच्चों के मुख से कभी-कभी बातें सच निकल पडती हैं। उसने सच ही कहा होगा।
ReplyDeleteराज जी इस फूल की बात पर एक बात बताती हूँ, कि हमें कहीं बाहर जाना था और हम गाडी में आकर बैठ गए, तभी एक रोगी आ गया और हमारे पतिदेव वापस गाडी से उतर कर चले गए। वे बहुत देर बाद आए और उन्हें समझ आ रहा था कि मुझे बुरा लग रहा होगा। वे आते ही बोले कि तुमने आज फुल मून (पूर्णिमा का चांद) देखा है? मैंने उन्हें कहा कि मैं तो फूल मून ( मेरे पति का नाम चन्द्र कुमार है) देख रही हूँ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, मज़ेदार और साथ ही साथ अच्छी सीख मिली! हम चाहें अपने देश या विदेश में क्यूँ न रहे पर अपनी भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए !
ReplyDeleteबच्चों के तो यूँ भी सारें गुनाह माफ़ है, ग़लतफ़हमी का तो कहना ही क्या.
ReplyDeleteबिलकुल सही कह रहा था हमारी भाषा मे इसके जितने मर्जी अर्थ निकाल लो ये तो सामने वाले पर निर्भर है कि वो इसे क्या समझेगा। सुन्दर शुभकामनायें
ReplyDelete:)
ReplyDeleteयंहा भारत भ्रमण पर आने वाले अंग्रेज तो बहुत बढ़िया हिन्दी समझ लेते है आप वाले नहीं समझ पाते है |
ReplyDeleteयह दौर ही भाषाई संक्रमण का है..फिर तो ऐसी चीजें होंगी ही.
ReplyDelete________________
'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
प्रवीण पाण्डेय said...
ReplyDeleteहो सकता है सच बोल रहा हो।
दादाजी ने घर पहुंच कर ही सांस ली होगी :-)
ReplyDeleteअच्छा अनुभव है .... पर बच्चे भी तो मन के सच्चे ही होते हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढिया.
ReplyDeleteरामराम.
बच्चा बड़ा बदमाश निकला जी
ReplyDeleteहा हा! बढ़िया.
ReplyDeleteकहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं...तो भगवान कोई झूठ थोडे ही बोलता है :)
ReplyDeleteहाहा ..अरे ये तो बच्चे के मुँह से सच निकला ...:)
ReplyDeleteहा हा!बहुत बढ़िया
ReplyDeletebacchhe to baachhe hain....khair hamen bhi mazaa aa gayaa...sach....ha...ha..ha...ha...ha...ha....
ReplyDeletebacchhe to baachhe hain....khair hamen bhi mazaa aa gayaa...sach....ha...ha..ha...ha...ha...ha....
ReplyDeletebacchhe to baachhe hain....khair hamen bhi mazaa aa gayaa...sach....ha...ha..ha...ha...ha...ha....
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDelete"एक बार मच्छी पकडी तो महीने भर हाथो से बदबू आती रही.... "
ReplyDeleteहा..हा..हा...हा... आज बहुत हंसाया आपने भाई जी ! यह मच्छी कहाँ से पकड़ी थी ..:-)
....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!
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