28/08/10
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी है, हर शाख पे उल्लू बैठे हैं अंजाम गुलिस्ताँ क्या होगा
भारत हम सब का घर है, ओर हम सब मिल कर इन महान नेताओ को इस घर की जिम्मेदारी देते है कि यह देश को समभाले, ओर अच्छे काम करे जिस से हमारा देश दुनिया मै सब से आगे जाये, उन्न्ति करे.... आज मैने एक् लेख पढा ओर पढ कर सर शर्म से झुक गया, मै लेख तो नही लेकिन उस पर दी पहली टिपण्णी यहां प्रकाशित कर रहा हुं, जो रतनाकर जी ने उस लेख पर दी.....आप चाहे तो आप भी हमारे इन महान नेताओ की करतुत को यहां पढे.... ओर जो ईनाम आप देना चाहे आप की इच्छा, पुरा समाचार आप यहां पढे, महबुब खान जी की कलम से
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
देश के बारे में सोचने का समय शायद नेताओ के पास नहीं , लेकिन वेतन जरुर ज्यादा चाहिए
ReplyDeletehttp://thodamuskurakardekho.blogspot.com/
गलती तो हमारी ही है जी, वोट तो हम ही देते हैं. वैसे भ्रष्टाचार सभी सीमाओं को लांघ गया है. हम लोग प्रजातंत्र के लिए अयोग्य हैं.
ReplyDeleteये सफेदपोशों का देश है। सब कंबल ओढ़कर घी पीने में लगे हैं।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभाटिया साहब, प्रोब्लम उल्लुओं की नहीं, वो तो फिर भी मजे में है ! प्रोलम उल्लू के पट्ठों की है जिनसे पूरा गुलिश्तां ही पटा पड़ा है !
ReplyDeleteदुखद
ReplyDeleteअफसोसजनक !
ReplyDeleteये तो तय है की कोई लोकतंत्र में नहीं जी रहे हैं हम.
ReplyDelete28/08/10
ReplyDeleteबर्बाद चमन को करने को,
बस एक ही उल्लू काफ़ी है,
हर शाख पे उल्लू बैठा हैं,
अंजाम गुलिस्ताँ क्या होगा
--
धीरे-धीरे अंजाम सामने आने लगा है!
अधिक काम करने वालों को अधिक वेतन मिल ही गया।
ReplyDeleteअफ़सोस है!
ReplyDeleteएक उम्दा लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद राज जी!
ReplyDeleteआज नेतागिरी देशसेवा न होकर लूट खसोट का व्यापार बन चुका है।