सबसे मशहूर भारतीय पेंटर का नाम पूछा जाए तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग़ में एमएफ़ हुसैन का नाम आएगा लेकिन भारत के सबसे महँगे पेंटर को लोग कम ही जानते हैं.
एमएफ़ हुसैन के ठीक विपरीत, सैयद हैदर रज़ा विवाद तो क्या, पत्रकारों से भी कोसों दूर रहते हैं, पुराने पेरिस के एक गुमनाम से अपार्टमेंट में, बिल्कुल एकांत में अपने रंगों के साथ.पुरी खबर पढने के लिये यहां नीचे कहानी के शीर्षक कर किल्क करे
सर बहुत आभारी हूँ आपका ये महत्वपूर्ण इंटरव्यू सुनाने के लिए.. विनम्रता की मूर्ति लगे श्री सैयद हैदर रजा साब
ReplyDeleteसैयद हैदर रज़ा के बारे में पढ़वाने के लिये धन्यवाद भाटिया साहब!
ReplyDeleteआपके मार्फत एक बेहतरीन शख्सियत से परिचय हुआ।
ReplyDeleteआपके मार्फत एक बेहतरीन शख्सियत से परिचय हुआ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDelete.... इंटरव्यूसे बहुत जानकारी हासिल हुई!...आपने सैयद हैदर रज़ा जैसी महान हस्ती से परिचय करवाया है, धन्यवाद!
ReplyDeleteभाट्या जी,
ReplyDeleteआप ग़ज़ब की जानकारी चुन-चुन कर लाते रहते हैं।
आभार!
सैयद हैदर रज़ा एक बहुत ही उत्कृष्ट चित्रकार और सहज इंसान हैं....उनके बारे में इतनी अच्छी जानकारी उपलब्ध कराने बहुत बहुत शुक्रिया...
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ReplyDeleteभाटिया जी, रज़ा साहब के बारे में बताने का शुक्रिया। हमारी दुआ है कि उनकी दिली ख्वाहिश पूरी हो। उनके बारे में और कुछ जानकारी दे सकें, तो अच्छा लगेगा।
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स्टोनहेंज के रहस्य… ।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..
रजा साहेब को उनके कृतित्व के लिये प्रणाम और भारत में स्वागत और शुभकामनायें।
ReplyDeleteआज आपने एक ऐसे कलाकार से मिलाया जिसे देखकर, जिनके बारे में जानकर, मन श्रद्धा से नतमस्तक हो गया. साथ ही साथ गर्व हुआ कि अपने देश की माटी पर जो एक ऐसे इंसा को वापस खींच लाने की शक्ति रखती है जो साठ साल से फ्रांस की धरती पर शान से जीवन यापन करता रहा है.
ReplyDelete..आभार.
राजा साहब खुद अपने बारे में बहुत नहीं बोलते लेकिन उनकी पेंटिंग बोलती है...
ReplyDeleteनीरज
बड़ा ही सुखद लगा यह पढना...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार पढवाने के लिए.....
बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम
नाम कमाया कला में, जाय बसे परदेश।
ReplyDeleteहिन्दुस्तानी में भरा, जहर भरा सन्देश।।
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http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/235.html
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
सैयद हैदर रज़ा के बारे में पढ़कर अच्छा लगा..शानदार interview...
ReplyDeleteकभी 'डाकिया डाक लाया' पर भी आयें...
बहुत उम्दा जानकारी हासिल हुई
ReplyDeleteखूबसूरत..अच्छा लगा यहाँ आकर...
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'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'
रज़ा साहब सही मायने मे सच्चे हिन्दुस्तानी है हम से भी ज्यादा . रज़ा साहब का इन्टरवियू सुनकर एक रुहानी ताकत मिली . उनके अनुभव से प्रेरणा मिली है मुझे .
ReplyDeleteसैयद हैदर रजा के विचारों को नमन. वे भारत आना चाहते हैं, यह अनुकरणीय है. लेकिन यह भी विचारणीय है कि आज भारत में केवल प्रतिभा को उचित सम्मान नहीं मिलता.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़कर सैयद हैदर रज़ा जी के बारे में! लाजवाब इंटरवीऊ !
ReplyDeleteरज़ा साहिब के जज़्वे को सलाम। धन्यवाद।
ReplyDeleteसैयद हैदर रज़ा के बारे में पढ़वाने के लिये धन्यवाद|
ReplyDeleteरजा साहब के के बारे में मैं जानता था.....पर उनकी इस इच्छा की जानकारी नहीं थी....शरीर कहीं भी हो..दिल तो अपनी ही माटी में मिलना चाहता है.....भगवान उनकी इच्छा जल्द पूरी करे....
ReplyDeleteराज साहब
आपकी हिटलर वाली पोस्ट पढ़ी....गांधी या हिटलर..ये सवाल कई बार मुझे भी मथता है..जो कत्लेआम हिटलर ने मचाया, उसके पीछे के कारण देखना शुरु किया तो मुझे पता चला कि प्रथम विश्व में हारे जर्मनी पर लादे कर्ज को चुकाने में जर्मनी की कमर टूट गई....पर यहूदी लोग काफी संपन्न थे उन्होंने शायद मदद नहीं की....इससे उनके प्रति हिटलर में नफरत बढ़ी उनके खिलाफ....ऐसे में मन उसकी तरफ झुकता है मेरा....पर उसकी हिंसा मन में उसके खिलाफ आक्रोश को भी जन्म देता है....जिस कारण में शुरु में फिलिस्तीन समर्थक होकर भी अब कुछ हद तक इजरायल का भी समर्थन करता हूं. जिस कारण मुझे अपने कुछ फिलस्तीनी दोस्त खोने पड़े पर परवाह नहीं. जो गलत का विरोध न करें, वो साथ न रहें...अब जर्मनी जैसे ही आज के परिवेश में अगर हिंदुस्तान का कोई ईमानदार या राष्ट्रभक्त मौका मिलेगा तो काफी कुछ हिटलर की तरह बनने का प्रयास करेगा..पर हिटलर के नरसंहार के तरीकों को कोई हिंदुस्तानी नहीं अपना पाएगा, क्योंकी भारतियों के खून में बर्बरता नहीं है.....हां हो सकता है कि कुछ हद तक वो अत्याचार करे..पर वो सीधा मारेगा. न कि इस वहशी तरीके से..
इस मथने वाले सवाल को आपने फिर से हरकत दे दी है....अजीब बात है न...
राज जी
ReplyDeleteरजा साहब जी के बारे में मेरे पास जानकारी थी....ये भी हाल ही में पता लगा था कि किसी भारतीय पेंटर की पेंटिग काफी महंगी बिका है..पर पूरी खबर पर ध्यान नहीं देने से पता नहीं था कि ये पेंटर वो ही हैं....अंतिम समय में मन अपनी ही माटी में समाने को चाहता है....अपनी जमीं पुकारती है....दिल से दुआ करता हूं कि वो जल्द से जल्द भारत की भूमि को चूम सकें...
राज जी
पहले तो माफी कि हिटलर की पुरानी पोस्ट पर यहां टिप्पणी....हिटलर या गांधी ये प्रशन अक्सर सालों से मुझे मथता रहता था..जब मैने उसकी क्ररुता के कारण के बारे में जानना चाहा तो मुझे पता चला कि प्रथम विश्व युद्ध में हारे जर्मनी पर लादे गए जुर्माने को चुकाने के कारण जर्मनी के टूकड़े हुए. जर्मन जनता की हालद बदतर हो गई....पर वहां के यहूदी लोग काफी संपन्न होने के बाद भी आगे नहीं आए थे जर्मनी के लिए...इस कारण के बाद मन उसकी तरफ झुका...पर बाद में उम्र बढ़ने के बाद उसकी क्ररुता के कड़वे सच पूरी तरह सामने आए तो उसकी उस हिंसा के कारण दिल फिर से उसके इस काम के खिलाफ हो गया....इस कारण पिछले एक दो सालो से इजराइल का कुछ समर्थन भी किया है मैने..इससे कुछ फिलिस्तीनी दोस्तों का साथ छुटा है..पर जो गलत है चाहे वो दोस्त भी क्यों न करे विरोध करना ही चाहिए..
वैसे अगर आज के माहौल में भारतीय कोई ताकत पाएगा तो वो चाह कर भी हिटलर नहीं बन पाएगा...अत्याचार करवाएगा तो अधिकतर सीधे मार डालेगा या फांसी.....पर इतनी क्रूरता नहीं कर पाएगा भारतीय इतने बड़े पैमाने पर..क्योंकी बर्बरता उसके खून में नहीं है.....
वैसे इस सोए सवाल को आपने फिर से उठा दिया.है न अजीब
ओह लंबी टिप्पणी हो गई है.....
इतनी सुंदर जानकारी बांटने के लिए आपका आभार.
ReplyDeleteरज़ा साहब के ख़यालात सुन कर अजीब पसोपेश में पड़ गया. एक नामी-गिरामी चित्रकार अपने देश लौटने की बात करता है और यहाँ का टैलेंट वीज़ा पाने की दौड़में लगा हुआ है. देश को आज़ादी के ६३ वर्षों में हुक्मरानों ने चाहे जो स्वरूप दिया हो फिर भी,
ReplyDeleteसारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा.
रज़ा साहब जिंदाबाद
राज साहब आप भी जिंदाबाद क्योंकि आज अपने अलावा दूसरों को हाईलाईट कौन करता है.
आप भी कहाँ कहाँ से हीरे खोजकर लाते हैं ...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया इसे पढ़वाने के लिए ....
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