31/07/10
क्या यह सच कह रहे है हमारे बीरवल जी? पढिये इसे जरुर लेकिन समय निकाल के....
यह कहानी मैने बहुत समय पहले पढी थी, जो बाते दिल को अच्छी लगी वो दिमाग मै कही ना कही जगह बना लेती है, यह कहानी भी दिमाग मै बसी रही, कई बार सोचा इसे लिख कर अपने ढंग से नया रुप दे कर प्रस्तुत करूं, लेकिन दिमाग की हार्ड डिस्क से आधी कहानी बीच बीच मै मिट गई थी, अब बिमार हुआ तो इसे ढुढां,हां मिल तो गई लेकिन उस जगह से नही मिली जहां मेने इसे पढा था, लेकिन अच्छी बाते जरुर बांटनी चाहिये... तो लिजिये आप भी इस कहानी को पढे.... लेकिन इसे समय निकाल कर ओर आराम से पढे, मजा तभी आयेगा...बस नीचे दिये कहानी के नाम पर किल्क करे,
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सराहनीय प्रेरक प्रस्तुती ,वास्तव में हमसब मुर्ख हैं जो भ्रष्ट कुकर्मी शासकों के खिलाप लराई लड़ने की जगह आपस में ही लड़तें रहते है और हमसब की इस कमाजोड़ी का फायदा ये भ्रष्ट मंत्री या अधिकारी बखूबी उठाते है ...
ReplyDeleteबहुत उम्दा पोस्ट से परिचय करवाया आपने ! आभार !
ReplyDeleteraaj ji deri se aane ke liye maafi .. aapko to pata hi hai ki accident hua tha. aapki ye post mujhe bahut bhayee hai .. ye saachi baat hai ki ham sabse bade moorkh hai , jo ki aapas me vivaad karte hai /
ReplyDeletebadhayi sir
बढिया कहानी।
ReplyDeleteकिसी की आंखें तो खुले।
बीरबल तो लाजवाब हैं ही !आपने अच्छा किया उनकी कहानी पढ़वाकर .
ReplyDeleteमीडिया में मुस्लिम औरत http://hamzabaan.blogspot.com/2010/07/blog-post_938.html
An appropriate story modified according to current face of India!
ReplyDeleteजी पढते हैं,अभी जाकर
ReplyDeleteआभार
कहानी पढ़कर लगना तो चाहिए कि बात उस जमाने की है. चलिए अकबर बीरबल के बहाने एक अच्छा कटाक्ष पढ़ने को मिला.
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर कहानी लगी।
ReplyDeleteबहुत उम्दा पोस्ट से परिचय करवाया आपने !
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आप को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
आरक्षण करने से मुझको ये फायदा हुआ कि मूर्खों की एक टोली अब मूर्खों की दो टोलियों में बँट गयी है – इन्हें जितना बाँटते जाओगे, शाशन करने में उतनी ही आसानी होगी.
ReplyDeleteआप जब देखो ताऊओं के पीछे पडे रहते हो? उनके राज को राज भी रहने दिया करिये कभी.:)
रामराम
बिरबल के जवाब का समर्थन करना मुश्किल है ....क्यों कि हम यही के निवासी है!...फिर भी समझ में नही आ रहा हमारे देश के लोग ऐसा क्यों कर रहे है!....कहानी शिक्षाप्रद है, धन्यवाद!
ReplyDeletejhamaajham.
ReplyDeleteएक बढ़िया रचना प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद राज जी..बीरबल का विश्लेषण सही ही था..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
एक बहुत शिक्षाप्रद कहानी पढवाने के लिए आभार | सचमुच यह आज के परिपेक्ष में देखा जाए तो सत्य बात भी है | आज हम मूर्ख तो हम पर साशन किया जा रहा है |
ReplyDeleteएक बहुत शिक्षाप्रद कहानी पढवाने के लिए आभार | सचमुच यह आज के परिपेक्ष में देखा जाए तो सत्य बात भी है | आज हम मूर्ख तो हम पर शासन किया जा रहा है |
ReplyDeleteakbar birbal ki kahaniyo ke to ham bachpan se hi shoukeen rahen hain.bahut hi achhi post saath hi unaki kahaniyo ko aapke jariye punah yaad karne ka mouka mila.
ReplyDeletepoonam