26/07/10

हीरो या जीरो....?

मैने अपनी पिछली पोस्ट मै ""दाखाऊ"" केम्प जो हिटलर ने बनवाया था, वहां की थोडी बहुत फ़ोटॊ  डाली थी, ओर उन चित्रो को देख कर पत्थर दिल आदमी भी दहल जाता है, ओर नफ़रत करता है ऎसे आदमी से जो किसी दुसरे इंसान को इस तरह से तडप तडपा कर मारता या मरवाता है, लेकिन यह चित्र आईने का एक तरफ़ का हिस्सा है, जब  कि दुसरी तरफ़ का हिस्सा इस से भी गंदा है, जिसे दुनिया इस जुल्म के कारण भुल गई.


जर्मन किसी जमाने मै बहुत बडा था,ओर बहुत ही खुश हाल भी पुरे युरोप मै, मै जब किसी बहुत बुजुर्ग आदमी से मिलता हुं, ओर उन की बाते सुन कर लगता है कि जर्मनी मै भी पहले भारत जेसे ही संस्कार थे लोगो के, मर्द कमाने जाते ओरते घर सम्भालती, अपनी ही बिरादरी ओर जाति मै शादियां होती थी( जातिया गोरो मै भी है.) जेसा कि आज कल भारत के हालात है...... वेसे ही हालात यहां बन गये, यहुदी लोग बहुत अमीर थे... ओर धीरे धीरे वो ओर अमीर होते गये..... साथ मै निर्दयी भी.... आम जनता गरीबी मै पिसने लगी... लोगो के पास खाने को नही होता था, ओर अमीर ,जमींदार, मंत्री सब ओर यहुदियो का बोल वाला था, ओर अपनी मेहनत को निष्फ़ल होते देख नोजवानो का खुन जलता था, सारा दिन मेहनत करे ओर परिवार फ़िर भी भुखा.... ऊपर वाले लोग रोजाना पार्टिया करे नाचे गाये, ओर पेसो को पानी की तरह से बहाये इस गरीब जनता के पेसो पर ऎश करे.....
लोगो ने गरीबी से तंग आ कर आत्मह्त्या कि, चोरी डकेती की...लेकिन कब तक, जो कोई इन चोर उच्च्को के बिरुध आवाज उठाये उसे सरे आम मार दे, या जेल मै बंद कर दे, इन्ही नोजावानो मै एक जवान था एडोल्फ़ हिटलर  जो सब देख ओर समझ रहा था, ओर वक्त से लड भी रहा था, गरीब चाहे भी तो स्कुळ कालेज मै दाखिला नही ले सकता, ले भी ले तो कोई लाभ नही... हालात बद से वतर होते गये ओर नोजवानो ने अंदर ही अंदर एक नयी पार्टी बना ली जुल्म से लडने के लिये, अपना हक लेने के लिये, शान से जीने ओर बाकी जनता को इज्जत से सर उठा कर चलने के लिये...पुरी जान कारी आप को गुगल मै मिल जायेगी हिटलर के बारे.


हिटलर से ज्यादा खतरनाक तो अमेरिका है, जिस ने एक पुरी की पुरी सभ्यता को ही मार कर अपना राज्य स्थापित कर लिया, हिटलर ने जर्मनी को जहां तक पहुचा है, वहा तक पहुचने मै इसे कई सॊ साल लगने थे, हां उस ने उन पुंजी वाद यहुदियो को तडपा तडपा कर मारा जिन्होने कई सॊ साल जनता का खुन पिया जेसे हमारे नेता आज पी रहे है, ओर उन लोगो को मारा जो यहुदियो का समर्थन करते थे, या फ़िर रिश्वत खोर थे, हराम की खाने वाले, हिटलर का एक नारा था कि *काम करो तुम्हे आजादी मिलेगी*
आज भारत के जेसे हालात है अगर एक भी भ्रष्ट नेता जनता के हाथ लग जाये तो जनता उस का क्या हाल करे गी..? अगर कोई ऎसा नेता बनता है जो सच मै देश को सुधारना चाहाता हो तो वो कोन सा रुप धारण करेगा.. गांधी का या फ़िर हिटलर का????
मेरी पिछली पोस्ट का शीर्षक मेरे मेहमान से मुंह से निकले शव्द थे, मै हिटलर को कभी गलत नही मानता, क्योकि जुल्म सहना गलत है ओर जुल्म करने वालो को मारना कोई जुल्म नही..... उस केम्प मै जा कर आदमी के रोंगटे तो खडे होते है.... लेकिन जब लोग सोचते है कि हिटलर को कोन सी मजबुरी थी जो उसे ऎसा करने पर मजबूर किया.
हम सब को यह जरुर सोचना चाहिये कि किसी का हक मारने पर, किसी को मजबुर करने पर, जुल्म करने पर हमे उस का फ़ल भी मिल सकता है, हमे क्या हमारे बच्चो को भी, बस हिटलर से यही शिक्षा लेनी चाहिये.... हिटलर ने एक एक यहुदी को ढुढ ढुढ कर मारा था, जो बेकसुर भी थे  लेकिन कसुर वार के संग थे उन्हे भी मारा
तो हमे कोई ऎसा काम नही करना चाहिये...कि कोई हमारी जड की खत्म कर दे

28 comments:

  1. राज भाई ,
    इस से पहले भी कह चूका हूँ मेरी राय थोडा अलग है सो इस बार भी मैं कुछ और नहीं कहना चाहता !
    बस मेरी मौजूदगी दर्ज कर लें !

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  2. इस पर बहुत लंबी बहस हो सकती है .... पर मुझे लगता है हर किसी की अच्छाइयों को ढूँढना और उन्हे अपने देश अपने समाज के प्रति सही तरीके से इस्तेमाल लाना ही हमारा फ़र्ज़ है ...

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  3. किसी भी मानवता ने भोगे अत्याचारों पर सहानुभुति हो सकती,मज़बूरियां भी समझ सकते है।
    पर क्रूरता,और हिंसा को समर्थन नहिं दिया जा सकता।

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  4. सोचने की बहुत से तरीक़े हैं अलग अलग

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  5. हमे कोई ऎसा काम नही करना चाहिये...कि कोई हमारी जड की खत्म कर दे...
    आपसे सहमत।

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  6. यहूदियों से निपटने के दूसरे रास्ते भी हो सकते थे.

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  7. समाज धीरे धीरे कैसे परिवर्तित होता है, उसका उदाहरण जर्मनी के परिप्रेक्ष्य में।

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  8. मेरे लिए यह सब नयी जानकारी है | इस जानकारी के लिए आभार |

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  9. अगर हिट्लर की फ़ौज हारती नही तो इतिहास अलग लिखा गया होता . अन्याय को मिटाने के लिये अन्याय का ही सहारा लेना पडता है

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  10. aapne chnd alfaazon men antr raashtriy str kaa gmbhir lekhn likhne kaa pryaas kiyaa he jo aaj sfl or saarthk sty he bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajstha

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  11. मै भी आपकी बातो से बराबर सहमत हू .

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  12. हमे कोई ऎसा काम नही करना चाहिये...कि कोई हमारी जड की खत्म कर दे........ बिलकुल सही कहा आपने...

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  13. शठे शाठ्यम समाचरेत्।
    हिटलर ने नफ़रत को नफ़रत से काटा।

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  14. "अगर कोई ऎसा नेता बनता है जो सच मै देश को सुधारना चाहाता हो तो वो कोन सा रुप धारण करेगा.. गांधी का या फ़िर हिटलर का????"

    अत्यन्त विचारणीय प्रश्न है!

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  15. .
    .
    .

    परम आदरणीय राज भाटिया जी,

    क्या कहूँ आपकी इस पोस्ट के बारे में... इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि हम लोग किसी व्यक्ति या घटना के बारे में अपने निष्कर्ष स्वयं के पास उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर ही निकालते हैं...

    थोड़ा और पढ़िये इस बारे में... आप के विचार बदल जायेंगे... यह मेरा मानना है।

    आभार!


    ...

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  16. आपने हिटलर में रहे अच्छे गुण सामने रखें है!... जैसे कि कहने को रावण खलनायक है, लेकिन उसके अच्छे गुण भी सामने रखे जाते है!...बढिया लेख, धन्यवाद!

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  17. आपने बिल्कुल सही लिखा है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! उम्दा प्रस्तुती!

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  18. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
    आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं!

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  19. आदरणीय डा. अरुणा कपूर. जी से सहमत...

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  20. एक सभ्य समाज़ में वैर,बदले और प्रतिशोध के लिये,किसी तर्क,किसी प्रतिक्रिया को कोई स्थान नहिं हो सकता।

    प्रत्येक मानव अपनी अपूर्ण इच्छाओं के लिये दूसरे मानव को जिम्मेदार ठहरा सकता है।

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  21. चिंतन और परिचर्चा के लिए आपने पूरा स्पेस दिया..

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  22. जो भी हो हिटलर एक दानव था.

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  23. पता नहीं क्यों.. पर कई बार मैं भी हिटलर बनने की सोचने लगता हूँ हिन्दुस्तान को सुधारने के लिए.. :P

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  24. सभ्य समाज क्रूरता की इजाजत नहीं देता.

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  25. हिटलर ने जो किया उसके बहुत से कारण थे किन्तु तरीका कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता।
    घुघूती बासूती

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये