15/07/10

गलत आदमी के हाथ ताकत आ जाये तो....बच्चो को दिखाने से पहले आप देखे फ़िर ....

पिछले सप्ताह मेरे यहां एक मेहमान आये भारत से, मेरे पास दो दिन रहे( एक रात) बहुत मुश्किल से समय निकाला उन्होने किसी ओफ़िसियल काम से आये थे, मैने भी झटपट छुट्टी लेली,पहले उन के प्रोग्राम का पता नही था, लेकिन आते ही बोले की मै तो मिलने आया हुं रात की ट्रेन से वापिस चला जाऊंगा, अब रिश्ते दारी थी ( बुआ जी का बडा लडका) ओर उम्र मै मै काफ़ी बढा भी था, बचपन मै खुब पिटाई भी की है सो थोडा जोर जवर्द्स्ती से उसे अगले दिन के लिये रोक लिया. अब कुछ घंटो मै उसे क्या दिखाये??? यह बात हम ने उस पर छोड दी कि तुम क्या देखना चाहते है, एक जगह पुरव की ओर है तो दुसरी पश्चिम की ओर , ओर दोनो ही देखने  लायक है, लेकिन एक पुरे दिन मै एक ही जगह जा सकते हो, तो जो जगह उस ने चुनी वो थी हिटलर का केम्प, जहां उस ने लोगो को यातना दे कर किस तरह रखा.... हम तो वहां जब भी जाते है भगवान  से यही प्रार्थना करते है कि किसी गलत आदमी को इतनी ताकत मत देना, मै अपना केमरा घर ही भुल गया था लेकिन मोबाईल से कुछ चित्र खींच कर लाया हूं अगर देखना चाहे तो देखे.....
 पहले तीन फ़ोटू उन भट्टीयो के है जिन मै मरे हुये लोगो को जलाया जाता था,




 ऊपर वाला ओर साथ वाला चित्र एक ही स्थान के है

 साथ वाला चित्र उन बेरको का हे जहां इन केदियो को रखा जाता था फ़ोटो के नीचे जि लिस्ट लगी है यह उसी समय की है, लेकिन यह फ़ोटो कापी कर के यहां लगाई गई है.
 यह कोई फ़ोव्वारा नही जेसे हमारे यहां जानवरो को पानी पिलाने के लिये बनाया जाता है ,वेसे ही यह उन केदियो को मुहं हाथ धोने के लिये यहां पानी मिलता था
 यह लकडी के बिस्तर थे, जिन पर उन्हे एक कम्बल दे कर सोने के लिये छोड दिया जाता था, जब कि बाहर सर्दी -२२c से भी ज्यादा होती थी
 यहां काम करने के बाद उन की तलाशी ली जाती थी, ओर उन का समान यही रखा जाता था.
 यहां कमरे के रख रखाव के बारे मै लिखा जाता था
























 साथ वाले चित्र मै जो कमरा दिखाई दे रहा है, यहां घुप अंधेरा रहता था हर समय , कई केदियो को यहां रखा जाता था,

यह चित्र भी उसी कमरे के एक तरफ़ से लिया है, इसी मै सोना, इसी मै टायलेट, ओर नहाने ओर मुंह धोने के लिये भी यही सामने जो दिवार पर काला सा निशान बना है वहा वास बेशिन होती  थी, इन कमरो मै रोशनी की एक किरण भी नही आती थी, मैने गेस चेम्बर की  वा ओर भी बहुत सारी फ़ोटो खींची थी, लेकिन पता नही कहां गई, यह सब फ़ोटो मेने अपने मोबाईल से खींची है, इस लिये साफ़ नही आई, ओर कही कही फ़्लेश भी फ़ोटो पर पडी है.
 जो भी इंसान इसे एक बार देख ले कितना ही पत्थर दिल क्यो ना हो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाता है अंदर तक हिल जाता है

40 comments:

  1. शानदार पोस्ट

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  2. आपकी इस सचित्र पोस्ट से बहुत कुछ जानने को मिला!

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  3. तकलीफ देह,
    दुर्लभ सामग्री दी है आपने भाई जी

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  4. तस्वीरों के माध्यम से घूम लिए और जानकारी भी मिली...आभार.

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  5. इसीलिए हिटलर बदनाम था।
    बहुत लोगों को मरवाया उसने

    उम्दा पोस्ट


    भूली बिसरी बात पुरानी,
    याद आई है एक कहानी

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  6. हृदयविदारक और मार्मिक। यदि हिटलर की श्रेष्ठता के सिद्धान्त की यह परिणित थी तो हम अश्रेष्ठ भले। उस समय जो लोग अपने को इस यातना से निकाल कर ला पाय, उनकी सहनशीलता स्तुत्य है।

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  7. ओह दिल चीर देने के लिये काफी हैं तस्वीरें। कोई इतना निर्दय कैसे हो सकता है? भगवान भी अपनी ऐसी कृति को देख कर आँखें चुरा लेता होगा। धन्यवाद।

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  8. ह्रदय विदारक चीख !!
    काश विश्व से ऐसी फासीवादी सोच का नाश हो!
    हमज़बान पर प्रभाष जी से संवाद करें.

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  9. कुछ तस्वीरें देख कर तो दिल दहल गया. हिटलर के बारे में काफी जानकारियां दी आपने, बहुत खूब!

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  10. क्रूरता की पराकाष्‍ठा है। मन घिन से भर गया।

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  11. चित्रों के माध्यम से चलचित्र जैसा एहसास

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  12. आप को धन्यवाद .........कम से कम उस जगह के चित्र तो देख लिए !
    बाकी मेरा नजरिया थोडा अलग है इस लिए कुछ और नहीं कहुगा ! हाँ यह जरूर है कि इंसान खुद को मिली हुयी शक्ति का सदुपयोग बहुत कम ही कर पता है !

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  13. जानकारी के लिए धन्यवाद !

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  14. अच्छा या बुरा पर एक ख़ासियत तो है की अपने इतिहास को अच्छे से सॅंजो कर रखा हैं जर्मन वासियों ने .... बहुत सुंदर चित्र हैं सब .... लगता नही मोबाइल से लिए हैं ...

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  15. उफ़!
    हृदयविदारक!!
    जघन्य!!!

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  16. ....आप ही के साथ हम इस जगह पर घुमने गए थे!...दर्दनाक किस्से कहानियां यहां पर मौजूद है!.. हिटलर के युग में प्रवेश करने की अनुभूति होती है!

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  17. दिल दहल गया..तस्वीरें देख....सच कहूँ तो सारी देखी भी नहीं गयीं.
    पर अब तक फिल्मों में ही देखीं थीं....आपके द्वारा खींचे चित्रों का शुक्रिया...

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  18. भाटिया जी
    बहुत ही शानदार पोस्ट
    हिटलर और रावण दो ऐसे करेक्टर हुए हैं जिनके बारे में आदमी यह कहने को मजबूर हो जाता है कि अरे जब हिटलर का राज या रावण का राज नहीं रहा तो फिर .... (कोई नाम) क्या रहेगा.
    तस्वीरें बहुत ही शानदार है.

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  19. इन्सान इतना क्रूर, इतना निर्दयी भी हो सकता है! इसे तो दरिन्दगी की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा....

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  20. post parhte huye dukh hua, kitane barbar they ve din. insaan jab haivaan ho jataa hai, tab aisa hi hotaa hai. lekin achchha lagaa ki aapne dil se likha. chitra bhi kheenche.

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  21. हिटलर से क्या कोई शिक्षा ली जा सकती है

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  22. आपकी इस सचित्र पोस्ट से बहुत कुछ जानने को मिला!

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  23. हिटलर पर एक कविता कभी लिखी थी ....

    अय हिटलर !
    तुझे कभी देखा नहीं
    फिर भी तुम हर उस शख्स में
    नज़र आ जाते हो , जो चाहता है
    आधिपत्य .....!!

    चित्र धरोहर हैं .....बहुत सी जानकारी मिली .....!!

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  24. राज जी मैने सुन रखा था हिटलर की तानाशाही के बारे में पर आपने जो कुछ सचित्र प्रस्तुत किया वो बेहतरीन है..ऐसे दुर्लभ चित्र देख पाना मेरे लिए संभव ही नही था..सच में एक युग था जर्मनी में वो भी जब वहाँ के लोगो को ऐसे दिन देखने पड़े..

    आज कल बड़े बड़े से कैदियों को भी ऐसे स्थान में इस तरह की यातनाएँ नही दी जाती हैं...राज जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति..बढ़िया जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  25. जिस बारे में थोड़ा बहुत पढ़ा था आपकी पोस्ट के माध्यम से देख भी लिया. धन्यवाद.

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  26. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  27. हमने भी देख लिए....
    ___________________
    'पाखी की दुनिया' में समीर अंकल के 'प्यारे-प्यारे पंछी' चूं-चूं कर रहे हैं...

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  28. दिल दहलाने के लिये इतनी फोटो काफी हैं भाटिया जी ।

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  29. यह चित्र देखकर दंग हूँ....

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  30. चित्र देखकर सोचने पर मजबूर....

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  31. आपने शीर्षक में ही बहुत कुछ शार्थक कह दिया !!
    फोटो भले ही मोबाइल से लिए है पर झकास है ...बिना जाए ही हमने सब कुछ घूम लिया :)

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  32. इस सब के बाद भी भारत को ऐसे ही कैदखानों और एक अदद हिटलर की आवश्यकता है. नहीं??

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  33. जानवरों को हम यु ही जानवर कहते है ?निरीह बेचारे ?
    हिटलर कोनसी श्रेणी में आता है ?शायद शब्द भी नहीं मिल रहा है |
    रोंगटे खड़े हो गये |

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  34. हम तो घर बैठे घूम लिए. आभार.
    ..हिटलर जैसे तानाशाह से और क्या उम्मीदें रखी जा सकती हैं !
    ..उम्दा पोस्ट.

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  35. थर्रा गया दिमाग सोच के कि कैसे इंसान इंसान ही तड़पाता है। चित्र मे भी भयावता कम नहीं हो पाई है। ईरानी राष्ट्रपति को कितने सबूत चाहिए होलोकॉस्ट के....

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  36. हृदयविदारक! तानाशाह यही करते आये हैं फासीवाद, नाज़ीवाद, माओवाद, जिहाद्वाद, आतंक्वाद, नाम कोई भी हो हिंस्र हत्यारों का काम सदैव आसुरी ही रहा है।

    कुछ नादान फिर भी कहते हैं कि तानाशाह ज़रूरी हैं। कुछ मक्कार कहते है कि होलोकास्ट हुआ ही नहीं।

    ईश्वर सभी पीडितों की आत्मा को शांति दे!

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  37. हृदयविदारक! तानाशाह यही करते आये हैं फासीवाद, नाज़ीवाद, माओवाद, जिहाद्वाद, आतंक्वाद, नाम कोई भी हो हिंस्र हत्यारों का काम सदैव आसुरी ही रहा है।

    कुछ नादान फिर भी कहते हैं कि तानाशाह ज़रूरी हैं। कुछ मक्कार कहते है कि होलोकास्ट हुआ ही नहीं।

    ईश्वर सभी पीडितों की आत्मा को शांति दे!

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये