इस ऊपर वाले विडियो मै बाद मै गांव के बडे बुजुर्ग आते है, अपनी अपनी पोशाक मै, विडियो के अंत मै एक बुजुर्ग आप को दिखेगे टोपी वाले, असल मै यही पोशाक यहां कि है, ओर टोपी मै एक पंख लगा है,ओर तरह तरह के झंडे लिये यह लोग भी मेले कि ओर जा रहे है....
ओर इस तीसरी विडियो मै हमारे गावं के फ़ायर बिर्गेड वाले है, जिन मै कई तो मुफ़त मै काम करते है, यह भी आज अपनी बर्दी ओर अपने झंडे के संग मेले का उदघाटन करने आये है...
ओर इस विडियो मै बावेरिया के लोगो कि असली पोशाक है, यह लोग खास खास मोको पर ही यह पोशाक पहनते है, यह निक्कर या पुरी पोशाक बहुत मंहगी होती है, ओर महिल्यो की पोशाक भी उतनी ही मंहगई होती है जितन पुरषो की, फ़िर बंदुक ओर अन्य हथियार( अन्य हथियार इन के पास नही है) लेकिन लोगो के गले मै मेडलो की माला भी पडी हुयी है, यह लोग आस पास के छोटे छोटे गावं से अपने अपने झंडे ले कर यहां मेले की शोभा बढाने आये है, ओर यह मेला पुरे पांच दिन चलता है, लेकिन मेले से ज्यादा रोनक इन जलुसो मै होती है, मेले मै तो यह लोग सिर्फ़ हाल मै बेठ कर बियर ही पीते है.
इस ऊपर वाली विडियो मै जो बेंड वाजा है ओर जो लोग इस मै शामिल है वो मेले मै अलग अलग काम करने वाले है, कोई वहा गीत गाने वाला है तो कोई वहां बीयर देने वाली है, तो कोई वहां किचन मै काम करने वाला है, तो कोई बर्तन मांजने वाला, लेकिन सब मिल कर ओर शान से आगे बढ रहे है, ओर यहा बर्तन मांजने वाले की भी उतनी ही इज्जत है जितनी गांव के सरपंच की, मेने टुकडे टुकडे कर के खास खास सिन ही इस विदियो मै डाले है, वर्ना तो यह जलुस एक डेढ घंटे चलता.
ओर इस अंतिम विडियो मै है हमारे गांव के वह लोग जो हमारे गाम्व की कमेटी मै ओर दफ़तर मै काम करते है, ओर फ़िर घोडा गाडी पर हमारे गांव का सरपंच अपनी बीबी ओर बच्चे के संग बेठा सब को हाथ हिला हिला कर नमस्ते कर रहा है, ओर उस की घोडा गाडी के पीछे एक ओर घोडा गाडी है जिस मै बीयर के बडे बडे ड्राम पडे है, ओर सरपंच मेले मै पहुच कर सब से पहले एक ड्राम से बीयर निकाल कर मेले का उदघाटन करेगां उस के बाद हमारे गांव का मेला शुरु जो पुरे पांच दिन चलेगा, मेले के चित्र मै अगली पोस्ट मै डालूंगा, सभी विडियो मैने लम्बे नही रखे, ताकि आप लोगो को देखने मै ज्यादा समय ना लगे, तो बताईये केसा लगा हमारे गांव के मेले का उदघाटन,
दुनिया का सब से बडा मेला मुनिख मै लगता है, जो करीब सितम्बर के अन्त मै ओर अक्तुबर के पहले सप्ताह के आसपास लगता है, उस मेले का जलूस कई घंटे चलता है, ओर वहा आने वाले मेहमान करोडो मै होते है.
ओर इस मेले को देख्कर मुझे एक गीत याद आता है कि चलुघी तेरे संग मेले मै लेकिन छोए को नही ऊठाऊंगी, यानि एक पत्नी अपने पति से कहती है कि मै भी जोर जबर्दस्ती से तेरे संग मेले मै जाऊंगी ओर लडके को भी नही ऊठाऊंगी
तो बताये केसा लगा यह हमारे गांव का मेला
वाह क्या बात है. बिंदास.
ReplyDeleteअपने गांव यूं घुमाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
बहुत मजेदार वीडियो हैं!
ReplyDelete--
सुन्दर रहा मेले का चित्रण!
घर बैठे आपके गाँव के मेले की सैर कर ली...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
बहुत सुंदर संकलन गांव के विभिन्न आयामों का।
ReplyDeleteअपुन के लिए तो यह पराये देश के गाँव का मेला आपके रहने से प्रिय हो गया -और है भी शानदार !
ReplyDeleteइस मेले की सैर का बहुत मजा आया....उस बियर फेस्टिवल मेले की सैर भी आपने हाल ही में की होगी, जो हर साल होता है!...पिछ्ले साल मैने भी उस मेले की सैर की थी...आपका और मेरा परिवार साथ साथ था!...अर्लांगन मे...बडा मजा आया था!
ReplyDeleteगांव के मेलों की बात ही निराली है। आपकी पोस्ट पसंद आई
ReplyDeleteवाह बहुत्6 सुन्दर लगा मेला। वेडिओ कमाल के हैं धन्यवाद।
ReplyDeleteमजा आ गया जी आपके गांव का मेला देख कर।
ReplyDeleteलेकिन आप नहीं दिखे मेले में। दिखते और भी मजा आता।
लगता है आपके गांव में बिना बियर के कोई काम नहीं होता।
अब बताईए हम भी बिना बियर के ही मेला देख रहे हैं।
मेला है एकाध ड्रम तो इधर भी भी भिजवाईए,फ़िर यहां भी मेला है। हा हा हा
वाह! मेले की तैयारी तो बड़ी जोरदार है!! अवश्य ही मेला भी शानदार होगा!!!
ReplyDeleteजन्मदिन की देरी से शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteमजा आ गया जी बिना बीयर पिये
ReplyDeleteआपके गांव लोग भी बहुत सुन्दर हैं।
मुझे घोडे भी बहुत प्यारे लगे, शायद जर्मनी के घोडे दुनिया भर में मशहूर हैं।
मेले के बारे में और बातें भी बताईयेगा जी
किसी की याद में या किस खुशी में लगता है, यह जुलूस कहां से शुरू होता है और कहां खत्म होता है और आप इस मेले में कैसे भाग लेते हैं।
प्रणाम
अले वाह, कित्ता मजेदार मेला..मजा आ गया.
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'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !
बहुत बढ़िया ......आनंद आ गया !
ReplyDeleteblog ke jariye mele ka aanand utha liya ,sundar sabhi kuchh .
ReplyDeleteमजा आ गया... विडियो भी खूब सुन्दर बनाए आपने... आपके होने से कितना प्रिय लग रहा है सचमुच यह पराया देश. जय हो इस मेले की.
ReplyDeleteइंतज़ार है अगले दृश्य का.
विडिओ तो मेरे यहाँ चल नहीं रहा. फोटो लगाइए तो देखूं. वर्ना एक वीक बाद ही देख पाऊंगा.
ReplyDeleteमेले का कुछ इतिहास भी बताएं तो और भी आनन्द आएगा। बहुत अच्छी सोच है। भारत में भी रोज ही मेले लगते हैं लेकिन उस गाँव में सेवारत लोगों का जलूस खास बात है। अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteमजा आ गया।
ReplyDeleteअरे वाह भाटिया जी, जब तैयारी इतनी जोरदार है तो मेला तो वाकई गजब का होगा...आनन्द आया
ReplyDeleteबहुत मजेदार लगा :)
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