03/06/10

एक ले दुसरा फ़्रि मै....पुराना दो नया लो,


जी ऎसे विग्यापन करीब करीब हर देश मै,हर नगर मै देखने को मिलते है, या कई बार सेल मै लिखा होता है पुराना दो नया लो, या एक खरीदो दुसरा मुफ़त मै.. आप का टी वी खराब हो रहा है, या पुराना हो गया है, या आप का फ़्रिज,वाश मशीन या कुछ भी ऎसा समान जो आप बदलना चाहते है, नया खरीदना चाहते है, तो आप ऎसे विग्यापन की तरफ़ जरुर खींचेगे, अजी जरुर फ़ंसेगे मै यह गारंटी से कह सकता हुं , क्योकि मै भी एक बार फ़ंस चुका हुं.
यह बात मुझे इस लिये याद आई कि आज से चार साल पहले जब युरोप मै फ़ुटबाल मेच होना था तो, मैने नया टी वी खरीदा था,ऎसी ही सेल मै, ओर अपने १५ साल पुराने टी वी कॊ बिना किसी गलती के घर से निकाल दिया,हुआ युं कि एक दिन यहा विग्यापन मै आया कि आप अपना पुराना टी वी हमे दे दो, किसीभी कम्पनी का हो, कितना ही पुराना हो, छोटा बडा हम सब ले ले गे, ओर बदले मै हम आप के टी वी को देख करे ४०० € तक दे देगे,शर्त आप नया टी वी हम से ले, तो जनाब हम गये उस स्टॊर मै परिवार समेत ओर देख डाले सारे टी वी, चला चला कर आवाज तेज कर के, स्टॆशन बदल कर कोई रोकने वाला नही सभी मदद करने वाले, वेसे वहां ओर भी बहुत से मुर्गे हम ने देखे बाकी मुर्गे गोरे थे, एक टी वी हमे पसंद आया जिस की कीमत उस समय करीब ११९९ € थी,हम ने सीधे -४०० किये बाकी ७९९€ हमे दिखे सिर्फ़ ७००€,बीबी ने कहा कि अभी रुक जाओ हमारा टी वी सही चल रहा है, तो हम ने कहा अरे बाजार लुट रहा है कोन देगा इस पुराने टी वी के ४००€, ओर दुसरे दिन हम अपने पुराने टी वी को कार मै लाद कर पहुच गये दुकान पर, ओर उसे दिखाया, स्टॊर मै काम करने वाले ने कहा कि हम तो १५० देगे, मैने मना कर दिया... ओर धीरे धीरे ४००€ पर बात पक्की, बाकी की रक्म हम ने दी ओर नया टी वी घर ले आये.
दो सप्ताह बाद हम अपने एक मित्र के घर गये तो, वहां वोही वाला टीवी ओर वो उसी दिन खरीद कर लाये थे, ६९९€ मै विना किसी स्कीम के, यानि हमे सीधी ५०० की चोट, फ़िर हम ने इस बात पर ध्यान देना शुरु किया कि अब तो हम ठगे गये लेकिन अगली बार ध्यान रखेगे, कुछ दिनो बाद फ़िर से सेल लगी एक खरीदो दुसरा मुफ़त... बाबा हम ने खरीदना तो नही था, लेकिन अपनी अकल बढाने के लिये चलेगे, सब टी वी पर दो दो रेट लगे थे, पूछने पर पता चला की एक रेट बिना स्कीम वाला है दुसरा स्कीम वाला यानि आप को अगर फ़्रि चाहिये तो उस टी वी पर ३,४ सॊ € ज्यादा देने होंगे, लेकिन टी वी तो दो मिल रहे है, तो जनाब हम ने दो चार के मुल्य लिख लिये, दो सप्ताह बाद देखा कि दो टी वी भी उतने मै ही मिल रहे है जितने मै स्कीम वाले मिल रहे थे, तो आप बताये आप स्कीम मै फ़ंसना चाहते है ओर लालच मै ज्यादा पेसे देना चाहते है या आम ग्राहक बन कर समान खरीदना चाहते है.
ओर भी बहुत सी स्कीमे होती है आप १००€ का समान लो हम १५ € का कूपन देगे, जेसे जेसे आप की रकम बढेगी कूपन का दाम भी आप को ज्यादा मिलेगा, लेकिन नगद नही ओर उसी दुकान से कुछ दुसरा समान खरीदना पडेगा, जब की खूपन के पेसे तो पहले ही आप के दाम मै जमा कर लिये जाते है, ओर आप अगर १५, २० € का कूपन लेते है तो क्या खरीदेगे?? जरुर मंहगा समान खरीदेगे अगर नही चाहिये तब भी लालच मै खरीदेगे, ओर कुछ दिनो बाद वही समान वेसे ही अपने असली दाम मै मिलता देख आप अपने को ठगा से महसुस करेगे....

42 comments:

  1. मुफ्त में तो कुछ भी नहीं मिलता... भारत में बेवकूफ बनाने वालों और बनने वालों दोनों की ही संख्या बहुत अधिक है.

    ReplyDelete
  2. स्‍कीम ग्राहकों के लाभ के लिए नहीं निकाली जाती अपितु दुकानदार के लाभ के लिए होती हैं लेकिन लगता ऐसे है कि यह ग्राहक के लाभ के लिए है और बेचारा ग्राहक लुटकर भी खुश होता है। बढिया पोस्‍ट।

    ReplyDelete
  3. सच में मफत में कुछ भी नहीं मिलता...

    ReplyDelete
  4. हमने दुसरी क्लास में पढा था

    माखी गुड में गड़ी रहे,पंख रहयो लपटाय।
    हाथ मलै और सि्र धुनै,लालच बुरी बलाय्॥

    राम राम

    ReplyDelete
  5. सब बाजार के तरीके हैं!!

    ReplyDelete
  6. ओर कोई बेशक फँसे न फंसे लेकिन एक हिन्दुस्तानी तो जरूर इन स्कीमों में फँसेगा ही फँसेगा....बेचारा आदत से मजबूर जो ठहरा :)

    ReplyDelete
  7. बात तो सही है सर.. पर ये भी 'दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य' वाले यक्ष प्रश्न से कम नहीं...

    ReplyDelete
  8. इसीलिए कहा गया है- शिकारी आएगा जाल बिछाएगा, लोभ से उसमे फँसना नहीं !

    ReplyDelete
  9. बिलकुल सच है..ये स्कीम सब लूटने के तरीके हैं.

    ReplyDelete
  10. बाजार का चरित्र ही लाभ कमाना है चाहे लूटकर ही

    ReplyDelete
  11. मुफ्त में कुछ नहीं मिलता ...अक्सर लेने के बाद पता चलता है ...!!

    ReplyDelete
  12. मुफ्तखोरी का चक्कर सचमुच ख़राब है

    ReplyDelete
  13. आईये जाने ..... मन ही मंदिर है !

    आचार्य जी

    ReplyDelete
  14. एक तो आप खरीद ही लें!
    प्री वाला हमें भेज दें!

    ReplyDelete
  15. मंदी पूंजीवाद का आवश्यक फेज है और उस के लिए एक नया तंत्र ईजाद किया गया है कि माल जरूरत के कारण नहीं बिकता। माल खरीदने के लिए जरूरत पैदा की जाती है।

    ReplyDelete
  16. बाजारीकरण का यही सबसे बड़ा नुकशान है भाटिया शहाब , कल दिल्ली से कलकाता की टिकिट बुक करवा रहा था जो टिकिट मैंने आधे घंटे पहले ( वापसी समेत ) १२८००/- जेट लाईट की सेलेक्ट की थी नेट पर बुक करते- करते ( सिर्फ आधे घंटे के अन्दर ) २२२०० की हो गई ! बाद में १३००० में इंडिगो से बुक कर पाया ! सोचिये किसतरह और कितना लूट रहे है ये जरूरत मंदों को !

    ReplyDelete
  17. ठगी इंसानियत और विश्वास पे भारी है | रोचक प्रेरक प्रस्तुती ....

    ReplyDelete
  18. हमारे छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है "लोभिया ला लबरा ठगै" याने कि लालची आदमी को झूठा आदमी ठग लेता है।

    ReplyDelete
  19. बेचनें वालों के पास बड़े दिमाग़ होते है..हम ग्राहक समझ ही नही पातें..पर समझना ज़रूरी है..बढ़िया संस्मरण जो होशियार भी करती है....बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई

    ReplyDelete
  20. सेल-ढेल के चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहिये, आप अधिक लुटकर घर आते हैं ।

    ReplyDelete
  21. bhatiya ji dimag ke darvaje kholne vali post hai . abhaar .

    ReplyDelete
  22. लालच बुरी बला।

    ReplyDelete
  23. ''matabal'' yah ki ulloo banane vale poori duniyaa me faile huye hai.? sundar aur savdhaan karane vali post..dhnyvaad...

    ReplyDelete
  24. राज जी, यहाँ हर कोई लाभ कमाने बैठा है घाटे का सौदा कौन करता है......बस होता यह है कि हम इन की यह तिकड़म समझ नही पाते और फँस जाते हैं........बहुत बढिया विचारणीय पोस्ट लिखी है। आभार।

    ReplyDelete
  25. अब क्या हाल है.. टीवी के...

    ReplyDelete
  26. सब जगह यही हाल है जी
    मैं तो सेल या स्कीम में कोई भी चीज खरीदने से बचता हूं।
    यहां तो एक शर्ट के साथ पांच शर्ट फ्री की स्कीम भी आती रहती हैं।
    200 रुपये की शर्ट के दाम 2000 ले लेते हैं।
    सबको पता है कि कोई दुकानदार बिना कमाई के कुछ नहीं बेचता। फिर भी मुर्गे फंसते रहते हैं।

    प्रणाम

    ReplyDelete
  27. बाजारवाद ने सब चौपट कर रखा है क्या करें।

    ReplyDelete
  28. परेशान कर देते हैं इस तरह के विज्ञापन और सेल्समैन....हम कितनी भी समझदारी दिखाएँ पर कई बार उनकी बातों के जाल में फंस ही जाते हैं...

    ReplyDelete
  29. bilkul sach is dikhave se door rahna chahiye .ek sahi dikhati hui rachna .

    ReplyDelete
  30. आश्चर्य! जर्मनी में भी ऐसा होता है.

    ReplyDelete
  31. भौतिकवाद का असर है मेरे भाई

    ReplyDelete
  32. आप को खरीदने से पहले बदमाश कंपनी पिच्चर देख लेनी चाहिए थी उससे आप को सीख मिल जाती :-)

    ReplyDelete
  33. फिल्म- देशप्रेमी
    गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
    संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल

    नफरत की लाठी तोड़ो
    लालच का खंजर फेंको
    जिद के पीछे मत दौड़ो
    तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
    आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
    देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
    सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
    हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
    कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
    दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो

    मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
    जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
    भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
    पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
    दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....

    तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
    रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
    पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
    इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
    फिर मुझसे बात करो
    ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो

    ReplyDelete
  34. भैया बाज़ार बोले तो... आग लगे बस्ती में हम रहें मस्ती में :) कस्ट से जो मरे... वही तो कस्टमर है भाई

    ReplyDelete
  35. स्‍कीम ग्राहकों के लाभ के लिए नहीं निकाली जाती अपितु दुकानदार के लाभ के लिए होती हैं!

    ReplyDelete
  36. जैसे जैसे पूंजीवाद बढ़ता जायेगा बाज़ार नये नये हथकंडे अपनाता जायेगा ।

    ReplyDelete
  37. बाजारवाद की महिमा.

    ReplyDelete
  38. thagi poore vishv me lagbhag milte-julte tarikon se hi ki jati hai..

    Jai TV... Jai BV...

    ReplyDelete
  39. manhga roye ak bar ,
    sasta roye bar bar .
    sach me kbhi bhi lalch me nahi aana chahiye .

    ReplyDelete
  40. मुझे तो दोष उपभोक्ता का ही लग रहा है भाई जी ! मुफ्त की या फ्री का माल देख तुरंत भागते हैं बाज़ार ! इसी प्रवृत्ति का फायदा उठाते हैं व्यापारीगण !

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये