25/05/10

आईये आज आप को अपने गांव के अंदर घुमा लाये भाग १...

हमारे गांव का नाम है ईसन (Markt Isen ) जो बबेरिया का एक छोटा सा गांव है, यहां बहुत से किसान भी है, ओर एक एक किसान के पास सॊ दो सॊ गाये होती है, ओर उस के पास जमीन हजारो एकड होती है, ओर खेती के सारे काम मशीनो से ही होते है, खेतो मै रासायनिक खादे कम ओर गोबर खाद ज्यादा डाली जाती है, किसानो घर भी उतने ही साफ़ होते है जितने हमारे, ओर गाय ओर जानवरो की गंदगी उन के कमरो से बाहर नही आती, गोबर ओर उन के मुत्र को एक बडे कुये नमुना पक्के गड्डे मै डाला जाता है, जिस से यह गेस बना लेते है ओर फ़िर उसे मोटर से एक टेंक मै भर कर खेतो मै डाल देते है, बेहतरीन खाद के रुप मै.

यहां साल मै एक ही  फ़सल होती है, गेहूं, मक्का ओर सब्जियां भी बस एक बार होती है साल मै आलू, फ़ुल गोभी, मोटी मिर्च( शिमला मिर्च) ओर ब्रकोली ओर अन्य बहुत सी य्रुपियन सब्जियां, सेब, अंगुर ओर नाशपति जेसे एक फ़ल( बिरने) अखरोट, बादाम ओर भी बहुत से फ़ल  लगते है, फ़िर हजारो तरह के फ़ुल ओर फ़िर स्ट्राबरी, चेरी ओर भी अलग अलग मिनी फ़ल भी यहां खुब लगते है.

यहां के गावं ओर शहरो मै ज्यादा फ़र्क नही, बस गांव मै लोगो को शोर गुल से शांति मिल जाती है, ओर बच्चे गलत संगत मै जाने से बच जाते है, यानि गांव मै लोग सीधे होते है शहरो के मुकाबले.....
हर शहर, हर गांव मै प्रवेश करते ही आप को ऎसे बोर्ड मिले गे, बीच मै शहर का नकशा है ओर चारो ओर शहर ओर गांव की कम्पनी ओर होटलो के पते, हमारे गांव का नाम है इसन, लेकिन आस पास के दो दो ओर चार चार घरो के गांव वाले हमारे गांव मै ही गिने जाते है इस लिये यहां का नाम पडा Markt Isen  चित्रो मे तो मै सडके ओर गलियां ही दिखा पाया हुं, अगर आप इसे गुगल मेप से देखना चाहे तो  Markt Isen पर क्लिक करे.ओर पुरे गांव को देख सकते है,हमारा गांव एक घाटी ओर आस पास के टीलो पर बसा है.ओर करीब ५ हजार घरो की आबादी है आसपास के गांवो को मिला कर,हमारे गांव के सरपंच या MLA  को करीब बीस सल से हम देख रहे है, उस की इसी गांव मै जुतो की दुकान है, वो हमारी तरह ही आम नागरिक है, कोई वाडी गार्ड नही, जब चाहो उन से जा कर मिलो, ओर जब चाहो गांव के पेसो का पुरा हिसाब किताब देख सकते है.


 यह साथ वाला चित्र है हमारे गांव की नगर पालिका का, जहां हमारे गांव का सरपंच बेठता है, ओर हमे अपने एडांटी कार्ड, ओर पास पोर्ट, वा अन्य कारणो से यहां जाना पडता है, पुरे गांव की देख भाल ओर गांव की सफ़ाई का जिम्मा इसी के जिम्मे होता है, सरपंच के पास कोई नोकर या चपडासी नही , आप के जाने पर वो खुद ऊठ कर दरवाजा खोलेगा, ओर हाथ मिलायेगा इज्जत से ओर बेठने के लिये आप को खुद कुर्सी ला कर देगा, फ़िर आप की शिकायत सुनेगा, (जो जल्द ही दुर हो जायेगी) फ़िर आप को दरवाजे तक छोडने आयेगा
यह चित्र भी हमारे नगर निगम का ही है,लेकिन इसे यहां""रथ हाऊस"" कहते है,








 यह दोनो डिब्बे एक छोटा ओर एक बडा आप को हर घर, हर बिलडिंग, हर कम्पनी मै जरुर मिलेगा, छोटे वाला डिब्बा हमारा है, जिस मै हम अपनी पुराने समाचार पत्र, गत्ते के डिब्बे, गत्ते के पेकिंग से जुडे समान, ओर कागज ओर गत्ते से सम्बंधित सामग्री इस मै फ़ेंकते है, नगर पालिका महीने मै एक बार आ
 कर इसे खाली कर देती है
 यह दो डिब्बे देखने मै तो एक ही तरह के है, लेकिन एक का ढक्कन काला है, ओर दुसरे का थोडा लाल रंग का, जिस पर लाल हरा ओर सफ़ेद रंग का स्टीकर भी लगा है,काले रंग वाले डिब्बे हम  घर का गंद् फ़ेकते है, लेकिन इस मै कांच,पलास्टिक, ओर लोहा फ़ेंकना मना है, ओर इसे हर १५ दिनो बाद नगर निगम की गाडी आगे कर खाली करती है, ओर दुसरा डिब्बा जिस पर Biotonne लिखा है ओर जिस का ढक्कन लाल है इस मै हमे सिर्फ़ खाने का बचा हुआ, ओर सब्जियो के छिलके, घास वगेरा, बरेड , रोटी के बचे हुये टुकडॆ ही फ़ेकने है, ओर इसे भी हर १५ दिनो बाद खाली करते है.

यह बडा डिब्बा भी सभी प्रकार की गंदगी को फ़ेकने के लिये है, लेकिन यह अकेले घर के लिये नही होता, बडी बिल्डिंगो मै जिन मे अलग अलग फ़लेट होते है , ओर कम्पनियों के लिये होते है, इन मै भी कांच लोहे ओर पलास्टिक के समान को फ़ेंकना मना है.


पिछली *आईये आज हम आप को अपने गांव के आस पास घुमा लाये* पोस्ट पढने के लिये आप यहां क्लिक करे

 

ओर कल आप को ले कर चलेगे हम एक किसान के यहां, ओर आप को दिखायेगे केसे यहां के किसान अपना सारा काम करते है, ओर रासायनिक खादो से केसे बचते है

38 comments:

  1. काश! ऐसा गाँव अपने हिंदुस्तान में भी होता....

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  2. पता नही यहाँ कभी ऐसा हो पाएगा या नही..।आपके गाँव के बारे मे पढ़ कर
    अच्छा लगा।धन्यवाद।

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  3. हमारे गांव ऐसे कब होंगे भाटाया जी ?

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  4. वाह्! भाटिया जी...एक ये गाँव और कहाँ हिन्दुस्तानी गाँव......भारत में ऎसा हो पाना तो अगली सदी तक भी सम्भव नहीं लगता....

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  5. बढ़िया घुमाया!! धन्यवाद!

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  6. अपने गाम की यात्रा कराने का धन्यवाद, भाटिया जी!

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  7. बहुत बढिया
    सपना दिखा रहे हैं या गाँव

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  8. प्रेमचंद के होरा की कहानी भी कुछ बदलाव के साथ वही है। सो गांव तो क्या बदलेगा हमारे देश का। औऱ रहे पंचायत और विधायक महाशय ये ऐसे होंगे संभव ही नहीं.....सूरज पश्चिम से उग जाएगा. पर ये नहीं सुधरने वाले..हां हजारों में से चंद की बात में नहीं करता।

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  9. कल की पोस्ट का फिर इन्तजार रहेगा

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  10. भारत मे भी आपके गान्व की टक्कर का एक गावं है लेकिन वहा गाय नही पलती खेती नही होती वह है गुडगांव

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  11. रिपोर्ट पढ़कर तो मन कर रहा है की अभी आपके गाँव पहुंच जाऊ और आपके गाँव को अपनी नजरों से देखूं / बहुत ही शानदार प्रस्तुती / भगवान ने चाहा तो आपके गाँव जरूर आऊंगा /

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  12. गांव पसन्द आया! पंचायतघर और कचरे के डब्बे भी।

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  13. आपका गाँव व वर्णन दोनो ही उत्तम । इतने अच्छे विधायक को हमारी शुभकामनायें ।

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  14. भाटिया साहब, अगर ईश्वर ने मौका दिया तो मैं भी आपके यहां जरूर आऊंगा.. बहुत खुशी हुई ये सब देखकर..

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  15. काश! ऐसा गाँव अपने हिंदुस्तान में भी होता....

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  16. भाटिया जी, सच कहूं तो मुझे ये ख्याल नहीं आ रहा कि हमारे भारत के गांव भी ऐसे ही होते। हर जगह की अपनी-अपनी संस्कृति होती है। मैं कभी हिमालय पर जाता हूं तो कहता हूं कि वाह, ऐसे गांव!
    आज जर्मनी का एक गांव देखा तो भी कह रहा हूं कि वाह, ऐसा गांव।

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  17. "हर शहर, हर गांव मै प्रवेश करते ही आप को ऎसे बोर्ड मिले गे, बीच मै शहर का नकशा है ओर चारो ओर शहर ओर गांव की कम्पनी ओर होटलो के पते, हमारे गांव का नाम है इसन, लेकिन आस पास के दो दो ओर चार चार घरो के गांव वाले हमारे गांव मै ही गिने जाते है"

    भाटिया साहब, यहाँ, हमारे गानों में अगर ऐसा बोर्ड लगा होता तो पता है उसपे का चिपका रहता ?
    मायावती और मुलायमसिंह की फोटो !!

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  18. भाटिया जी,
    आपका गाँव बड़ा प्यारा
    बहुत स्वच्छ

    आपने बड़े आराम से घुमाया

    आगे और घुमने की इच्छा है

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  19. pasand aaya, jaari rakhein bhatiya sahab

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  20. बहुत ही बढ़िया विवरण ...और मैं इंतज़ार में थी इस तरह के पोस्ट की.....इतना आत्मीय स्पर्श लिए विवरण कहीं और नहीं मिलेगा...प्रतीक्षा है..अगली कड़ियों का

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  21. क्यों ललचा रहे हैं जी आप
    मैं भागकर आ जाऊंगां आपके गांव में फिर आप निकाल भी नहीं पायेंगें ;-)

    प्रणाम

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  22. यहां भारत में तो महानगर भी ऐसे नहीं हैं जी
    और MLA तो क्या किसी 1000 आबादी वाले गांव के सरपंच से मिलना ही मुश्किल होता है

    प्रणाम

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  23. ये तो सपनों का गाँव ही लगता है |
    ले तो आये है ,हमे सपनों के गाँव में
    कुछ ऐसा ही लगा सुंदर गाँव सुन्दर वर्णन |
    आभार

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  24. ओर दुसरा डिब्बा जिस पर Biotonne लिखा है ओर जिस का ढक्कन लाल है इस मै हमे सिर्फ़ खाने का बचा हुआ, ओर सब्जियो के छिलके, घास वगेरा, बरेड , रोटी के बचे हुये टुकडॆ ही फ़ेकने है, ओर इसे भी हर १५ दिनो बाद खाली करते है.
    in 15 dino mw yah khana mahakata aur gandh nahi aati ?

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  25. @ गोदियाल साहब , यहां सरकारी ओर गेर सरकारी साईन बोड पर कोई भी दुसरा अपना पोस्ट्र नही लगा सकता, वो चाहे यहां का प्रधान मत्री ही क्यो ना हो, ओर ऎसा करने पर जुर्माना देना पडता है,
    @मिश्रा पंकज जी. यह गंद वाले डिब्बे घर से बाहर रखे होते है, ओर अच्छी तरह से ढक्के होते है, इस लिये इन से बाहर बादबू नही आ सकती, ओर यह सब खाद बनाने के काम आता है.
    आप सभी का धन्यवाद मेरे गांव को पसंद करने के लिये

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  26. राज अंकल आपने हमारे जिज्ञासा का समाधान किया इसके लिए धन्यवाद और सपनों सा प्यारा है आपका गाव !
    कभी हमें भी बुलाइए ना :)
    कहिये तो RESUME भेजू :)

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  27. वाह क्या गाँव है !

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  28. सर जी आपका गाँव बड़ा प्यारा.. मैं तो हूँ पछताया..... बिन आये वहाँ रे...

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  29. Bhatiya...main to ise dekhe bagair nahi maan sakta....Kab Bula Rahe Ho..?

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  30. इस गांव भ्रमण के बाद वाह-वाह के साथ आह भी निकला!

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  31. हा-हा-हा

    लगता है जलजला सचमुच जलजला लाकर ही छोडेगा

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  32. भाटिया जी,
    पूरी श्रंखला ही अदभुत है , बिल्कुल आपके अनोखे गांव की तरह । आपकी पोस्ट पढ कर रेडियो जर्मनी की एक रिपोर्ट याद आ गई जिसमें बताया गया था कि इन दिनों प्रयोग के तौर पर वहां ऐसे कूडेदानों का उपयोग किया जा रहा है जो स्वागत और धन्यवाद करते हैं , मतलब उनमें से ध्वनि आती है ऐसी । आगे की पोस्ट का इंतजार रहेगा ।

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  33. मैं जब रशिया में थी तो सुना था कि जर्मनी बिलकुल रशिया जैसा ही है ..आज आपका विवरण पढ़कर और तस्वीरें देख कर उन बातों पर यकीन हो गया .और वहां देखा मक्सिम गोर्की का गाँव याद हो आया. बहुत शुक्रिया आपका इतना सुन्दर गाँव दिखाने का

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  34. आपके गांव की यात्रा सुखद रही....

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  35. बेहद स्वच्छ, खूबसूरत गांव है. स्वर्ग की कल्पना में कुछ इसी किस्म के गांव आ सकते हैं.

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  36. गोरों का गाँव बड़ा प्यारा ।
    बढ़िया लगा भाटिया जी ।

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  37. तस्वीरें और वर्णन ढेर सारी लज़्ज़ा और कुछ ईर्ष्या जगाती है,
    क्या भारतीय सच में असभ्य और सामाजिक रूप से गैरजिम्मेदार हैं ?

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये