आज हमारे यहां करीब छ महिनो बाद इतना सुंदर मोसम हुआ, ओर आज गर्मी भी करीब +२६c के करीब थी, सोचा चलो एक लम्बा सा चक्कर मार कर आये,पहले हम ने एक तरबुज खाया, ओर फ़िर इस लम्बे चक्कर के लिये घर से निकले, पेदल ही, चलिये आप भी चले हमारे संग हम आप को अपना गांव भी साथ साथ मै दिखायेगे, पेदल पुरा एक घंटा लगता है, हम घाटी से जायेगे ओर फ़िर धीरे धीरे एक टीले नमुना पहाडी से होते हुये वापिस आयेगे, आप सभी चित्रो को बडा कर के भी देख सकते है, ओर जिन्हे कोई चित्र चाहिये तो ले सकता है
यह चित्र हमारे पाडोसी के घर की दिवार का है , बहुत सुंदर फ़ुल देखे तो एक दो चित्र लेने को मन हो गया...
चलो आज हम पांच सात किलो मीटर घुम आये
अरे अभी तो दो मिन्ट भी नही चले....अच्छा अच्छा फ़ोटो खिचवाने के लिये बेठे है....
यह जो सामने साईन बोर्ड सा दिख रहा है, यह कोई साईन बोर्ड नही है, बल्कि यह कुत्ते का मल फ़ेंकने के लिये लगा है, अगर आप अपने कुत्ते के संग घुमने निकले है ओर कुत्ते ने कही भी सडक पर या घास पर मल कर दिया तो आप यहां से ऊपर वाले डिब्बे से एक पलास्तिक की थेली निकाल कर, उस से मल को ऊठा कर इस नीचे वाले डिब्बे मै डाल दे, क्योकि हम मै से किसी को भी यह मल लग सकता है, ओर फ़िर हमे अपने गांव को साफ़ भी तो रखना है, जी नफ़रत??? तो ठीक है आप कुत्ता मत पाले, वर्ना बहुत भारी जुर्माना भुगतने के लिये तेयार रहे, अगर आप ने कानून का पालन नही किया तो.
सामने पगडंडी पर मेरे बच्चे, दोनो बेटे, ओर उन के लेफ़्ट साईड मै एक किसान कोई काम कर रहा है, ओर हमारे राईट साईड मै कल की कटी हुयी घास पडी है.
यह मोड कर अपने ट्रेकटर को सुखी हुयी घास की ओर ले जा रहा है
यह ट्रेकटर वाला सुखी हुयी घास को ऊठा कर अपनी ट्राली मै भर रहा है
किसान कल की कटी घास को जो सुख गई है, अपने ट्रेकटर से उलट पलट कर रहा है, ताकि कल तक सुख जाये
ऊपर वाला चित्र, किसानो ने मेदान मै घास काट ली है, जो आज ही काटी है, ओर सुख रही है
ओर यह चित्र हम ने लिया है गांव की ओर जाते समय काफ़ी आगे जा कर हम टीले पर पहुच जाते है धीरे धीरे..
यह चित्र जब हम टीले से आगे आ रहे है, गांव की तरफ़ तो किसी ने यहां यह क्रास की मुर्ती लगा दी है, हम सब यहां आते जाते इसे प्रणाम कर के जाते है
यह नीचे वाला चित्र भी टीले से ही लिया गया है, चारो ओर खेत ही खेत
यह चित्र हमारे घर से काफ़ी दुर से लिया है, हम एक टीले पर है ओर सामने नीचे आधा गांव है
बहत सुंदर चित्रों के साथ .... सुंदर पोस्ट.... कुछ फ़ोटोज़ को वालपेपर के लिए सेव कर लिया है....
ReplyDeleteअरे वाह राज जी. बहुत शानदार तरीके से आपने अपने साथ हमें भी सैर करवा दी, वो भी पैदल. सुन्दर, सजीव तस्वीरें. कुछ कड़े नियम हमारे देश में भी बन जायें तो कितना अच्छा हो.
ReplyDeleteसुंदर तस्वीरें हैं। लेकिन गांव कहां है? यह तो गाँव का बाहर हुआ।
ReplyDeleteआह !! ६-७ किलोमीटर घुमा दिया आपने... थक गए अब तो... :(
ReplyDeleteलेकिन इन मनोरम दृश्यों के आगे थकन कुछ भी नहीं. .. :)
अच्छा लगा आपका गाव देखकर और साथ में सफाई का तरीका
ReplyDeleteकाश ऐसा हमारे गाव में भी होता :(
अगर मोसम दो चार दिन ओर अच्छा रहा था, आप को अपने गांव कि सडको ओर गलियो मै घुमायेगे, हाम इस पोस्ट मै एक फ़ोटो गायब हो गई है गेंहू के खेत वाली, वो डाल दुंगा
ReplyDeleteअरे अभी तो मैंने आपकी पोस्ट पर कमेन्ट दिया था..... गायब हो गया.....
ReplyDeleteआनन्द आ गया दृश्यो वृत्तांत के साथ देखकर.
ReplyDeleteअच्छा लगा, गांव की याद ताजा हो गई
ReplyDelete@mahfooj ali ji-gaayab aaya, aaya gaayab yaad dila diya...
ReplyDeleteaapka gaaon bahut khoobsoorat hai..
लगता है अब तो जल्दी ही आपसे मिलने का प्लान बनाना ही पड़ेगा सर.. :)
ReplyDeleteचलो मजा आ गया आपका गाँव देखकर ...में भी इधर शिकागो के एक गाँव में रहता हूँ और बड़ी मुस्किल से तापमान में गर्मी देखी है कुछ दिनों से
ReplyDeleteकल शिकागो गए थे तो पार्किंग मिलाना भी मुस्किल हो रही थी और बीच की हालत तो पूछो मत बस ...लोग पागल थे बहार निकलने के लिए
देखो इश्वर का खेल - भारत में लोग गर्मी से परेशान और हम इधर गर्मी की आश में परेशान
आभार राज जी,बहुत बढिया सैर करा दी आपने आज।काश! हमारे यहाँ भी सफाई का इसी तरह ध्यान रखा जाता तो कितना अच्छा होता।
ReplyDeleteवाह भाटिया जी, प्रकृ्ति के नजारे लेते हुए आपके साथ साथ हम भी सैर कर लिए...चित्र एकदम बढिया आए हैं...
ReplyDeleteअब आपके पैत्रिक /मातृभूमि के गाँव को देखने की इच्छा है !
ReplyDeleteअच्छा तो जर्मनी के गाँव ऐसे होते हैं? भै वाह...!! गाँव शब्द से जो छवि बनती आयी है अबतक उसे तो आपने धराशायी कर दिया। :)
ReplyDeleteआपका गांव देखकर मन प्रसन्न हो गया | काश हम भी अपने गांवों को इतना साफ़ सुथरा रख सकें !
ReplyDeleteबढ़िया सफर रहा आपके साथ मनभावन!
ReplyDeleteSheershak se laga Rohtak le jaoge par aapne to german gaon ki sair kara di par ye nahi bataya ki is gaon ka naam kya hai....?
ReplyDeleteकई सालों के बाद पैदल घूमना हुआ जी, मजा आ गया घूम कर और आपका गाँव देखकर!
ReplyDeletewaah behd manbhavn or sjiv chitran...
ReplyDeleteregards
पोस्ट पढ़कर और चित्रों को देख कर
ReplyDeleteगर्मी में ठण्डक मिली!
बहुत बढ़िया लगा आपका गाँव देख कर !! आभार !!
ReplyDeleteवाह ! बहुत अच्छा लगा गांव घूम कर. घुमाई के लिए आपका धन्यवाद.
ReplyDeleteराज जी,
ReplyDeleteगाँव का नाम तो बता दीजिये, लगता नईं है की ये हमारे ही देश का गाँव है. आपने तो बस गाँव के बाहर चक्कर लगवा दिया अन्दर वालों से भी मिलवानाथा.
bhai jaan humen to pata hi nahi chala ki ye gaanv hai......aise bhi gaanv hai dunia mai tajjub hai
ReplyDeleteor is baat ka to bahut hi jyada ki kutte ke mal ko uthakar uski sahi jagah bhi daal dete h ........
yahan to kisi ko aisa kah bhi diya to usi ke ghar jake kutte ko halka karayega or sath m bandook bhi dikhayega .......
kash : ye mansik parivartan yahan bhi ho
ऐसा खुबसूरत गाँव तो पहली बार देखा है , ये तसवीरें कहा की है सर
ReplyDeletenice
ReplyDeleteफर्क साफ़ नजर आ रहा है हिन्दुस्तानी और यूरोपियन गाँवों का , खूब चित्रण, भाटिया साहब !
ReplyDeleteखूब घूमा लेकिन थका नहीं। एक बार तो आना ही पड़ेगा आपका जलवा-जलाल देखने के लिए। बहुत ही शानदार।
ReplyDeleteसुन्दर गाँव है आपका ।
ReplyDeleteभाटिया साहब,
ReplyDeleteपहली बात तो ये कि आपने गांव का नाम नहीं बताया।
बहुत सुन्दर नजारे हैं। मैं आज ही दिल्ली से जर्मनी जाने वाली ट्रेन का स्लीपर में टिकट रिजर्व कराता हूं।
उम्दा और मनमोहक दृश्य दिखाती गाँव / शानदार प्रस्तुती /
ReplyDeleteआपका गाँव तो बहुत सुन्दर लगा | हमें तो अब ईर्ष्या होने लगी है |
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