भाई सच कह रहा हुं कि हम अपने देश मै फ़ेले भ्रष्टाचार को जड से खत्म कर सकते है, ओर फ़िर यही देश हमे स्वर्ग से भी अच्छा लगेगा, लेकिन उस से पहले जो कीटांणू भ्रष्टाचार के, जो खुदगर्जी के,अपने मतलब के, हमारा काम बन जाये जेसे तेसे के हमारे अंदर मोजूद है सब से पहले हमे इन से मुक्ति लेनी पडेगी.
थोडे दिन पहले मैने डा० प्रवीण चोपडा जी का एक लेख पढा था, जिस मै उन्होने कहा था कि एक फ़िल्म""Well Done Abba"" जरुर देखे, ओर मैने वादा किया कि मै इस फ़िल्म को कभी ना क्भी देखूगां,वेसे मुझे सदियां हो गई भारतिया फ़िल्म देखे, लेकिन कल रात बच्चे दोस्तो के संग गये थे, टिपण्णियां दे दी, ब्लांग लिखने का मुड नही था, ओर बीबी भी टी वी पर कोई अच्छा प्रोगराम ना आने के कारण बोर हो रही थी, तो सोचा चलो आज इस "Well Done Abba" फ़िल्म को देखा जाये...
सच कहुं कि फ़िल्म एक साफ़ बहुत अच्छी ओर साफ़ सुथरी है, एक सीधे साधे आदमी की, जो साधारण जिन्दगी जी रहा है, जिन्दगी हमारी तुमहारी तरह से ही है, फ़िर वो लोगो की परेशानियां महसुस करता है, ओर एक कुआं खुदवाने की कोशिश करता है जिस से गांव वालो को, पीने का पानी मुफ़्त मिल सके, ओर उस के खेतो को भी पानी मिल सके... ओर यह सारी कहानी भ्रष्टाचार की चाशनी मै डुबी हुयी उस कुये के चारो ओर चलती है.
लेकिन अंत मै हम सब को एक सबक दे जाती है कि हम किस प्रकार इस देश से इन भ्रष्टाचार बिमारी को दुर कर सकते है, यानि इस फ़िल्म मै बहुत बडा संदेश छिपा है, ओर हमारे सिस्टम की पोल पट्टी भी खोलता है.... तो जरु देखे इस फ़िल्म को, ओर फ़िर बताये केसी लगी यह फ़िल्म
bhrshtaachaar ke khilaaf aapki is maarmik apil kaa men smrthk hun aaj hm apne ghr privaar mohlle saathiyon ko iske prti jaagruk kr is abhiyaan ki shuruaat krte hen.akhtar khan akela kota rajathan my hind blog akhtarkhanakela.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत सटीक पोस्ट ....आभार
ReplyDeleteपरशुराम जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये ...
बहुत सटीक पोस्ट ....आभार
ReplyDeleteपरशुराम जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये ...
समाज प्रधान फिल्मे अच्छी होती है हम भी देखेगे
ReplyDeleteविचारपरक -शुक्रिया !सशक्त भाव वीडियो
ReplyDeleteराज जी बहुत ही अच्छी प्रेरक प्रसंग को आपने उठाया है / सच है जिस दिन हमलोग जान की परवाह किये वगैर भ्रष्टाचार और खासकर भ्रष्ट मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों के खिलाप लड़ने की ठान लेंगे / उस दिन इस देश से भ्रष्टाचार क्या साडी बुराइयाँ दूर हो जाएँगी / आप जैसे लोगों को भारत आकर इसके लिए आवाज को बुलंद करने का काम करना चाहिए / तब जाकर इस मुहीम को ताकत मिलेगा /
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ...आभार ...!!
ReplyDeleteहम भी देखेंगे.
ReplyDeleteजो गीत लगाया है क्या वह उसी फिल्म की है?
sahee kahaa bhaatiyaa sahaab, charity bigins at home.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति भाटिया जी । देखते हैं ये फिल्म।
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति भाटिया जी । देखते हैं ये फिल्म।
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति भाटिया जी । देखते हैं ये फिल्म।
ReplyDeleteमैं भी जाकर देखता हूँ यह फिल्म ।
ReplyDeleteजी यह गीत इसी फ़िल्म का है
ReplyDeleteजनता कर सकती है - पर वह नेतृत्व को ताकती रहती है।
ReplyDeleteफिल्म देखने की कोशिश करेंगे हम
ReplyDeleteऔर आपको सेंधा नमक भी भेज देंगे
पटरियां मत उखाड़ने की जुर्रत कीजियेगा वरना वहाँ कि पुलिस भी हमारे देश जैसी हो जायेगी .....
लेकिन आपका नीचे वाला लेख बहुत गंभीर और विचारणीय है ,निरुपमा काण्ड का तो देश भर में शोर व्याप्त है ही ,पर बेहया के पौधे कैसे नष्ट हों इस पर विचार मंथन बहुत जरूरी है
मकान बन्ने में वक़्त तो लगता है ,चलिए एक एक ईंट जुटायी जाए
यह फिल्म तो मैंने भी देखि है...लाजवाब फिल्म है.
ReplyDeleteकुओं की चोरी का F I R और अंत में भ्रस्टाचारियों को मिलने वाले सम्मान का दृश्य अतंत रोचक व आँखें खोलने वाला है.
भाटिया जी, सही चिन्तनपरक पोस्ट....अब आप कहते हैं तो ये फिल्म देख ही लेते हैं...
ReplyDeleteगाना सुना - इसका ठनकाव अच्छा लगा !
ReplyDeleteभ्रष्टाचार केवल जनता ही दूर सकती है वर्ना बाक़ी सब तो केवल काठ के उल्लू हैं.
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा विचार और उम्दा पोस्ट !!
ReplyDeleteकोशिश करते हैं देखने की....
ReplyDeleteभाटिया साहब, जो आदमी भ्रष्टाचार चिल्लाता है, वही मौका मिलने पर करने लगता है.. भारत में असम्भव है...
ReplyDeletebahut sahi likha hai
ReplyDeleteब्लॉगिंग से फुरसत मिली तो....!
ReplyDeleteहमने तो कई सालों से फिल्में देखनी ही बन्द कर दी है किन्तु जब आप सिफारिश कर रहे हैं तो देखनी पड़ेगी इस फिल्म को।
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट है राज भाई , मगर शायद ऐसा तब हो पाएगा जब सभी ऐसा ही सोचें और महसूस करें ।
ReplyDeleteबिलकुल सही सन्देश... ये फिल्म देखता हूँ.
ReplyDeleteआदरणीय भाटिया सर, ये फिल्म मुझे भी बहुत पसंद आयी थी.. अब मेरे कहने पर 'थैंक्स माँ' जरूर देखिये.. कुछ गालियों की वजह से बीच में मत छोड़ियेगा बल्कि अंत तक जाइएगा.. आपको जरूर पसंद आयेगी.
ReplyDeletebahut hi vicharparak lekh....
ReplyDeleteAwashya koshish karungi film dekhne ki...
भाटियाजी
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा है यह फिल्म एक साथ कई संदेस देती है जैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर सही तरीके से उसपर अमल करना ,शिक्षा का सही सदुपयोग एक शिक्षित बेटी कैसे आत्मसम्मान के साथ समाज से लड़ सकती है |
मैंने भी जब ये फिल्म देखि थी तो उस पार पोस्ट लिखना चाह रही थी कितु आपने जानकारी देकर बहुत ही नेक काम किया है धन्यवाद |
Lagta hai dekhni padhegi film ... aaj kal samaajik vishyon par achhe film kam hi banti hain ...
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