घर से निकल कर सब से पहले यह चित्र लिया, सामने एक बीयर वार है, थोडा आगे एक पिजरिया, एक सडक दाये मुड गई ओर एक बिल्कुल सामने....
आज सच मे बाते कम ओर चित्र ज्यादा, वेसे आज चित्र बहुत ही ज्यादा है इस लिये आधे चित्र आज ओर आधे चित्र कल की पोस्ट मै आप अगर मेरे इस नन्हे से गांव को देखना चाहे तो यहां क्लिक कर के देख सकते है ओर यहां मेरा गांव आप गूगल मेप से पुरा देख सकते है.
जब मैने पीछे मुड कर देखा तो गांव का दुसरा हिस्सा भी मैने केमरे मै उतार लिया, यह सामने वाला लाल रंग का जो मकान दिख रहा है, यह दवाईयो की दुकान है
यह चित्र उसी सडक का है जहां नीचे बीयर वार देखा था, मै अब ऊपर आ गया हू, वो सामने नीचे लाल पत्तो वाला पेड पिजरिये के ठीक सामने है, ओर मेरे घर के बिलकुल नजदीक... चलिये अब आगे बढे...
यह सडक हमारे गांव की मेन सडक है, ओर मै खडा हुं इस समय पंचायत घर के बगल मै, इस चित्र मै बहुत दुर एक नीले ओर सफ़ेद रंग का एक बहुत बडा सा खम्बा दिख रहा है, इसे जर्मनी के हर गांव ओर शहर मै देख सकते है, इसे मई बाऊम( मई का पेड) कहते है, ओर इस पर छोटी छोटी तख्तियां जिन पर अलग अलग आकृतिया बनी है, कोई लोहार की कोई मोची
की तो कोई वकील की, कोई डाकटर की कोई बेक की यानि जिस जिस धंधे के लोग इस गांव मै रहते है उन सब की, ओर इसे पहली मई को बहुत धुम धाम से ओर इज्जत से यहां लगाया जाता है, ओर् पिछले मई बाऊम को शान से ऊतार कर उस के टुकडो को बेचा जाता है
इस का अर्थ जो कोई अजनबी इस गांव या शहर मै आता है उसे पता चल जाता है कि यहा किस किस धंधे के लोग रहते है, नीला ओर सफ़ेद रंग बबेरिया के झंडे का रंग है.
मै अभी पंचायत घर के सामने ही खडा हुं, ओर यह चित्र सडक से दुसरी तरफ़,सामने एक छोटा सा पेट्रोल पंप है जो शाम ६ बजे तक खुलता है, फ़िर आटो मेटिक, यानि आप कार्ड से जितना पेट्रोल डालाना चाहे डाले, ओर उस के वायु मै एक छोट सा स्टोर है जहां से हम सुखा समान खरीद सकते है, हमारे गांव की यह इकलोती लाल लाईट है बच्चो के लिये आगे स्कुल जो है
अब मै नीचे से करीब २० कदम ऊपर आ गया हुं, यहां दो बीयर वार ओर रेस्टोरेंट है, जहां शुद्ध जर्मन खाना मिलता है मै एक बार ही यहां आया हूं, क्योकि हम लोग मीट नही खाते, ओर मै इस समय टीले के काफ़ी ऊपर भी आ गया हुं.
यह मुर्ति इन की किसी देवी की है, ओर नीचे सेनिक बने है, दुनिया की पहली लडाई जो १९१४ से १९१८ तक चली थी, ओर फ़िर दुसरी लडाई जो १९३९ से १९४५ तक चली थी उस लडाई मै मरे सेनिको की याद मै
यह चित्र ओर भी पहले वाले चित्र का ही एक रुप है यह थोडा दुर से लिया है, ओर इस के नीचे चारो ओर एक फ़ोव्बारा है जिस का पानी पीने लायक है
यह चित्र ऊपर वाले चित्र से ही लिया है, यह नीचे फ़ोब्बारे का है, जहां दिन रात साफ़ पानी बहता रहता है( सिर्फ़ गर्मियो मै) ओर इसे प्यास लगने पर हर कोई पी सकता है
यह चित्र मैने ठीक फ़ोब्बरे के बगल से लिया है, नीचे यह सडक मेन सडक से मिल जाती है, ओर वो दुर सामने फ़िर से एक बीयर वार, बाबेरिया मै लोग बीयर बहुत पीते है, ओर बीयर यहां बहुत सस्ती भी है, यहां के लोग खुब लम्बे चोडे होते है, क्योकि इन का खाना ओर बीयर पीना इन की अलग ही पहचान है, लेकिन बहुत ही मिलन सार, दिक के द्यालू, अग्रेजॊ से बिलकुल अलग.
यह चित्र मैने फ़ोबबारे वाली सडक का ही लिया है लेकिन दुसरी तरह का, राईट साईड मै एक जनरल स्टॊर है, जहां खाने पीने का समान मिलता है, उस से थोडा आगे कापी किताबो की एक दुकान है, फ़िर उस से आगे एक प्रेस, फ़िर एक बीयर बार, दायी ओर सामाने बेंक की बिलडिंग है, ओर जो दाई तरफ़ दुर दो लाईटे दिख रही है, वहां A लिखा है उस का मतलब यहां दवाईयो की दुकान है.
जब आदमी दवाई ओर दुआ से ठीक ना हो तो वो फ़िर यहां आ जाता है, यह हमारे गांव का कब्रिस्थान है, ओर एक ही कब्र मै सारे खानदान को दफ़नाया जाता है, ओर परिवार वाले या फ़िर जान पहचान वाले या फ़िर जिन्हे जिम्मा दिया जाता है वो इन कब्रो पर फ़ुल चढने, साफ़ सफ़ाई करने आते है.
ओर इन कब्रो की खुब देख भाल होती है, कीमती से कीमती पत्थर लगाया जाता है जीते जी यह लोग आपस मै चाहे ना प्यार करे, अपने बच्चो के लिये इन के पास समय ना हो, लेकिन मरने के बाद उस के चाहने वाले घंटो यहां आ कर उस से दिल की बाते करेगे.....
रोयेगे, अगले जन्म मै फ़िर से साथ निभाने का जिम्मा लेगे वादे करेगे, सफ़ाई आप को यहां हर तरफ़ मिलेगी, अगर कोई सडक पर कागज फ़ें दे तो दुसरा उसे झट से टोक देगा
यह सभी चित्र मैने कब्रिस्थान से ही लिये है, ओर यह कब्रिस्थान गांव मै मध्यम ओर ऊचाई पर बना है, मैने यहा से पीछे गांव के कुछ हिस्से की फ़ोटो भी ली... शेष फ़ोटो कल की पोस्ट मै
आप मै से जो भी यहां आये मै उस का स्वागत करुंगा, ओर मेरे पास जितना समय हुया घुमाने मै उतनी मदद भी जरुर करुंगा
अरे इतना सुन्दर गाँव मेरे देखने से रह कैसे गया .....अभी पिछली कड़ियाँ देख कर आती हूँ
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत गाँव है! मैंने इतना सुन्दर गाँव कभी नहीं देखा! मनमोहक चित्र लगाये हैं आपने और देखकर तो अभी जाने का मन कर रहा है! बड़े ही सुन्दरता से आपने विस्तारित रूप से वर्णन किया है जो बेहद अच्छा लगा! उम्दा पोस्ट!
ReplyDeleteइत्शे डंके! धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका गाँव तो बहुत ही जोरदार लगा फोटो देखकर पता चल जाता है.... फोटो बढ़िया हैं .. सुन्दर प्रस्तुति ...आभार
ReplyDeleteसुंदर गांव है। अभी घूम रहे हैं। आप ने हमारी बहुत दिनों की इच्छा पूरी की है। गांव के कुछ लोगों को भी साथ के साथ मिलाते जाते तो और अच्छा लगता।
ReplyDeleteअद्भुत -यह तो पूरा शहर है -हिट है आपकी यह सीरीज !
ReplyDeleteखाली खाली सड़कें..सुन्दर वर्णन!
ReplyDeleteऐसे सुन्दर गांव हो तो लोग शहरों में बसना ही छोडदे |
ReplyDeleteराज जी यह गाँव कहीं भी किसी शहर से कम नही लग रहें बस भीड़ नही है..और हाँ आपकी यह प्रस्तुति सिरीज़ देख कर ऐसा लग रहा है जैसे हम जर्मनी की शैर कर रहें हो...बहुत बढ़िया प्रस्तुति..राज जी धन्यवाद स्वीकारें
ReplyDeleteमजा आ गया घूम कर!! अब तो आना ही पडे़गा! :)
ReplyDeleteकितने सुन्दर चित्र हैं.......मनभावन....
ReplyDeleteregards
मजा आ रहा है आपके गाँव में घूमते हुए!
ReplyDeleteकाश कि हमारे यहां के शहर आपके गांव जैसे हो सकें.
ReplyDeleteआप अपने गाँव को बहुत अच्छे से घुमा रहे हैं... हम एक एक चीज़ को समझ रहे हैं.... ये सफ़र जारी रहे. आपने मिलने की वहां आने की आशा जगा दी है.
ReplyDeleteghum raha hu aapke sath hi aapke gaon me,
ReplyDeleteshukriya, lekin ek bat bataiye har sadak karib karib sunsan hi dikh rahi hai,aisa kyn?
मुझे तो आप उस किसान के यहां गायों को नहलाने और देखभाल करने की नौकरी लगवा दें। तभी आ सकता हूं जी आपके गांव में
ReplyDeleteफोटोज के लिये हार्दिक धन्यवाद
अपने गांव के कुछ दोस्तों और पडोसियों से भी मिलवाते चलें जी, मजा आ रहा है
प्रणाम
बहुत ही अच्छी चल रही है यह सिरीज़ आनंद आ रहा है आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण ये गाँव देख.
ReplyDeleteआपने तो घर बैठे ही अपने गांव की सैर करा दी...बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गाँव है | ऐसा गाँव भारत में हो तो मै वही बसना चाहूँगा |इस प्रकार की रोचक जानकारी का आभार | समय मिला तो गूगल अर्थ के द्वारा भी आपका गाँव देखूंगा |
ReplyDeleteभाटिया साहब, हमें तरसाते रहो , अपना गाँव दिखा दिखा कर ! पर जब मैं भी बहुत सारे पैसे वाला हो जाउंगा न तो अपने गाँव को भी ऐसा ही ख़ूबसूरत बनाउंगा !
ReplyDeleteयूं लगा मानो हम भी आपके साथ ही गांव में धूम रहे हों.
ReplyDeleteबहुत रोचक . प्रवाहपूर्ण एवं प्रशंसनीय रिपोर्ताज ।
ReplyDeleteकितना ही शांत और सुन्दर गाँव है आप का ।चित्र भी बहुत सुन्दर लिए है आप ने ।धन्यवाद गाँव की सैर करवाने का ..
ReplyDeleteभाटिया जी, अपने घर का भी तो फोटू दिखाओ। बल्कि यह तो पहले ही दिखाना चाहिये था।
ReplyDeleteखूब सारी रोचक जानकारियों के साथ भ्रमण कराया आपने.. बेहतरीन और आदर्श गाँव है.. आभार सर. पर क्या शाम को गोधूली बेला में गायें और धूल होती है? क्या कुंए पर गाँव की महिलायें अपने-अपने घड़े लेकर आती हैं? क्या घर में पाक रही कढ़ी की सुगंध पाकर बगल वाले घर से कोई कटोरी लेकर आता है? क्या वहाँ भी शाम को पंचायत के बाहर बड़े-बूढ़े मिल कर किस्सा कहानियाँ सुनाते हैं? अफ़सोस कि अब ये दुनिया के किसी गाँव में नहीं होता.. भारत में भी नहीं.
ReplyDeleteबीयर की दुकाने बहुत है मेरे गांव मे भी कई घर मे कच्ची शराब बनती और बिकती है .
ReplyDeleteखूसूरत फोटोग्राफी और सुंदर वर्णन.
ReplyDeleteवाह!
पंख होते तो उड़ आते रे..
मस्ती में झूम के गाते रे....
तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा
आके यहाँ रे..
आके यहाँ रे..
...आनंद आ गया..हम पूर्वी उत्तरप्रदेश वालों के लिए तो यह गाँव सपने देखने जैसा है.