24/03/10

तुम्हारी हत्या पर भी रख लेंगे २ मिनट का मौन

(अभागे भारतीय की फरियाद पर सिक-यू-लायर(Sick you Liar, बीमार मानसिकता वाले  झुट्ठे) नेता द्वारा सांत्वना भरे कुटिल उपदेश की तरह पढ़ें)

अच्छा!!!   वो दुश्मन है? बम फोड़ता है? गोली मारता है?
मगर सुन - दोस्ती में - इतना तो सहना ही पड़ता है
तय है - जरुर खोलेंगे एक और खिड़की - उसकी ख़ातिर
मगर - हम नाराज़ हैं - तेरे लिए इतना तो कहना ही पड़ता है

तुम भी तो बड़े जिद्दी हो -  दुश्मन भी बेचारा क्या करे
इतने बम फोड़े - शर्म करो - तुम लोग सिर्फ दो सौ ही मरे ? (कितने बेशर्म हो तुम लोग)
चलो ठीक है - इतने कम से भी - उसका हौंसला तो बढ़ता है
और फिर - तुम भी तो आखिर १०० करोड़ हो(*) - क्या फर्क पड़ता है?
[(*) ११५ करोड़ में १५ करोड़ तो विदेशी घुसपैठिये हमने ही तो अन्दर घुसाएँ हैं वोटों के लिए]

अच्छा!   समझौते की गाड़ियों में दुश्मन भी आ जाते हैं???
क्या हुआ जो दिल लग गया यहाँ - और यहीं बस जाते हैं
बेचारे - ये तो वहां का गुस्सा है - जो यहाँ पर उतारते हैं
वहां पैदा होने के पश्चाताप में - यहाँ पर तुम्हें मारते हैं (क्यों न मारें?)

क्या सोचता है तू ? मरना था जिनको - वो तो गए मर
तू तो जिन्दा है ना - तो चल - अब मरने तक हमारे लिए काम कर
और क्या औकात थी उन मरने वालों की ?  सिर्फ २०० रुपये मासिक कर  (*१)
हम क्या शोक करें - क्यों शोक करें अब - ऐसे वैसों की मौत पर ?

अच्छा!  आतंकवादी तुम्हें लूटता है? मारता है? मजहब के नाम पर ?
पर आतंकवादी का तो कोई मजहब ही नहीं होता - कुछ तो समझा कर (बेवकूफ कहीं के)
तू सहिष्णु है - भारत सहिष्णु है - यह भूल मत - निरंतर याद कर
क्या कहा? आत्मरक्षार्थ प्रतिरोध का अधिकार? - बंद यह बकवास कर (अबे,वोट बैंक लुटवायेगा क्या)

इन बेकार की बातों में - न अपना कीमती वक्त बरबाद कर
भूल जा - कुछ नहीं हुआ - जा काम पर जा - काम कर

तेरे गुस्से की तलवार को - हमारी शांति की म्यान में रख
हमने दे दिया है ना कड़ा बयान - ध्यान में रख
जानते हैं हम - इस बयान पर - वो ना देगा कान
चिंता ना कर - तैयार है - एक इस से भी कड़ा बयान

दे रक्खा है उसे - सबसे प्यारे देश का दरजा  (*२)
चुकाना तो पड़ेगा ना - इस प्यार का करजा
दुनिया भर से - कर दी है शिकायत - कि वो मारता है
दुनिया को फुरसत मिले - तब तक तू यूँ ही मर जा

किस को पड़ी है कि - कौन मरा - और मार गया कौन
आराम से मर - तेरे लिए भी रख लेंगे - २ मिनट का मौन 

क्रमश.....

*1 : Profession Tax Rs.200/-per month
*2 : Most Favoured Nation

रचयिता : धर्मेश शर्मा
संशोधन, संपादन : आनंद जी. शर्मा

10 comments:

  1. सच्चाई को गहरे तक स्पर्श करती रचना ...रोज़ होने वाली इन घटनाओं ने शायद हमारी संवेदनाओं को निर्जीव कर दिया है

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  2. हे भारतीय मर
    मर जायेगा तो क्या जायेगा ?
    वोट बैंक भी तो नहीं है
    फिर क्या पता कितने अपने कितने विपक्षियों के होते
    हो सकता है कि साम्प्रदायिक होते,
    धर्मनिरपेक्षियों के लिये न होते...
    इसलिये मर..
    आत्मा है अजर, अमर
    इस पर विश्वास कर...
    मर..
    मरेगा तभी तो शहीद का दर्जा पायेगा...
    तभी तो वादा कर पायेंगे तेरे बुत लगाने का..
    एक पेट्रोल पम्प दिलाने का...
    तू मरेगा तभी तो नोबेल शांति का हमें मिलेग..
    शांति की जमीन पर ही तो खड़ा होता है दोस्ती का महल..
    चल घर से निकल, टहल..
    अपनी चेकपोस्ट पर पहुंच,
    सीमा पर पहरेदारी कर,
    और इंतजार कर,
    दुश्मन की गोली का,
    नेताओं की बेशर्म ठिठोली का,
    घर से निकल,
    बाजार चल, यात्रा कर,
    और फिर इंतजार कर,
    बम के फटने का, एक दुर्घटना घटने का,
    कफन का, भाषण का..
    नेताओं की कुटिल राजनीति के
    राशन का.
    मर.

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  3. अच्छी प्रस्तुति है। आगे का इंतजार है।

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  4. क्या कहें? हमारे नेता हमारे भाग्यविधाता है और उन्होंने हमारे भाग्य में लिख दिया है कि या तो जीते जी मर या फिर बम से मर!

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  5. सशक्त विचार प्रवाह ।

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  6. बहुत खूब!!ढेरों सवाल यहाँ हैं जिनका देश समाज को जवाब देना है!

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  7. आज तो बहुत तन्मय होकर लिखा है जी!

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  8. भाटिया जी, आज तो आपका कुछ ओर ही रंग दिखाई दे रहा है...आपकी रचना नें तो सोचने पर विवश कर दिया।

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