आज जब दिल्ली पहुचां तो मै सीधा दोस्त के घर पर चला गया, वहां दोपहर का खाना खाया, ओर खुब डट कर खाया, होटलो का खाना खा खा कर दिल भर गया था, लेकिन फ़िर भी थोडी भुख रख ली, तभी मुझे रंजन जी का फ़ोन आया ( पलटू यानि हमारे आदि के घर से) उन्होने मुझे डिनर पर बुलाया, लेकिन डिनर के लिये मैने मना कर दिया, ओर चाय पर आने का वादा पक्का रखा, शाम को दोस्त वापिस आया तो मेने उसे दुवरिका चलने को बोला, ओर कुछ समय बाद हम रंजन जी के घर पहुच गये.
आदि महा राज हमे लेने के लिये नीचे तक आये थे, रंजन जी ओर उन की बीबी ने हमे पुरी इज्जत दी, हमे अपने बुजुर्गो के समान सम्मान दिया, ओर हमारे आदि मियां तो अपनी शरारतो मै ही मंगन थे, इन्सब लोगो से मिल कर बिलकुल भी नही लगा कि हम इन से पहली बार मिल रहे है, बहुत अपना पन लगा, फ़िर चार के बाद रंजन जी ने बताया कि उन्होने डिनर भी तेयार कर रखा , तो मैने एक रोटी के संग थोडी थोडी सब्जी खा ली, ओर अगली बार भर पेट खाने का वादा भी किया.
कुछ चित्र भी खींचे, आदि की शरारते बहुत लुभावनी थी, फ़िर वहां से वापिस हम दोस्त के घर आये, हमे नीचे तक छोडने आदि के संग संग पुरा परिवार आया, दिल तो चाहता था ओर कुछ देर रुके, लेकिन समय भी हमे देखना था, जब दोस्त के घर आये तो उन के बच्चे तेयार थे कही बाहर खाना खाने को, लेकिन मैने कहा कि मै तो घर का बना खाना खाना चाहता हुं, फ़िर सब ने मेरी बात मान ली, दोस्त दो बीयर ले आया, लेकिन मेने आधी बीयर ही पी.फ़िर खाना खा कर सब बेठ कर बाते करने लगे, ओर फ़िर काफ़ी रात गये हम सोने चलेगे.
दुसरे दिन शनि वार था, ओर मेरे पास भारत मै दो दिन ही बचे थे, लेकिन यह दो दिन बहुत ही अच्छे गुजरे...केसे तो इस बारे कल पढे.
भाटिया जी आदि तो बहुत शरीफ़ लग रहा है आपके सामने? :)
ReplyDeleteरामराम.
अरे ! आप पल्टू से मिलने द्वारका तक आए ! मैं भी तो यहीं रहता हूं, चलो अच्छा है अब मैं भी आदि मिलने का उपक्रम कर सकता हूं...
ReplyDeleteभाटिया जी पता नही क्यों इसे आभासी दुनिया क्यों कहते हैं?मुझे तो असली दुनिया से ज्यादा अच्छी लगती है।आभासी लोग एक दूसरे से मिलने लगे हैं और ये अच्छी पहल है।इससे कम से कम एक दूसरे को जान तो रहे हैं पहचान तो रहे हैं।अच्छा लगा पल्टू,मासूम सी शरारत हमेशा उसके सुन्दर स्लोने मुखड़े पर तैरती रह्ती है।भगवान करे नज़र न लगे।भाटिया जी सच मे आपसे नही मिल पाने का अफ़सोस बढता ही जा रहा है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह मुलाकात....
ReplyDeleteबहुत अच्छा रहा आपका भ्रमण. अगली बार आपके भ्रमण की अवधि और अधिक हो.
ReplyDeleteआप सौभाग्यशाली हैं जी!
ReplyDeleteरंजन आदि से
ReplyDeleteमिलने की
तमन्ना है
हमारी भी।
सुन्दर यादों को खूब संजो कर रखा है आपने राज जी!
ReplyDeleteअब कल पढेंगे भाटिया जी द्वारा ब्लोग मीटिंग के किस्से.
ReplyDeleteरंजन जी और काजल जी से तो अपनी भी मिलने की तमन्ना है ...भारत प्रवास की आपकी अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा
ReplyDeleteअपनी यादों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं राज जी....
ReplyDeleteare wah, aap to aadi se mil bhi liye akele akele..
ReplyDeleteshikayat darj ki jaye
आपकी भेजी फोटोज मिल गई हैं जी, धन्यवाद
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