नमस्कार आप सभी को, तीसरे दिन जब मै अकेला पढ गया तो मन बहुत उदास हो गया, सुबह नाश्ता भी नही किया, ओर दोपहर को भी खाना नही खाया कारण एक तो दिनेश जी मेरे पास नही थे, दुसरा अकेले को खाना वेसे भी अच्छा नही लगता , ओर तीसरा अब तक होटल का खाना खा खा कर दिल भर गया था , शाम को मोसी के घर गया ओर वहां पर मक्की की दो रोटिया ओर सरसॊ का सांग खा कर आया.
दिन मै अमित (अंतर सोहिल ) जी का फ़ोन आया, बात चीत मै उन्होने आने की बात कही, तो मेने झट से उन्हे बुला लिया, ओर दुसरे दिन उन्होने आने की बात कही साथ मै नीरज जाट जी को भी लाने की बात कही, मुझे रात को नींद बहुत कम आती थी, ओर सुबह सवेरे आंख खुल जाती थी, मै सुबह सवेरे ऊठा नहा धो कर, मै फ़िर मोसी के घर मिलने चला गया ओर मुळी के दो परोठे खा कर आगया,फ़िर अमित जी से बात की ओर फ़िर बाजार जा कर कुछ समान ले आया.
थोडी देर मै अमित जी ओर नीरज जाट जी आ गये, ओर इन से भी पहली बार ही मिला, लेकिन मिल कर ऎसा लगा जेसे मै इन्हे बहुत पहले से जानता हुं, नीरज जी बिलकुल शांत स्वभाव के लगे, ओर आधे से ज्यादा भारत के बारे मै जानते है, ओर दोनो मै ही संस्कारो की कमी नही, सुलझे हुये, समझदार, इसी बीच मेने खाना मंगवा लिया शायद इन दोनो को बिलकुल भुख नही थी या खाना अच्छा नही था, सो इन्होने ने थोडा थोडा खाया, फ़िर अमित जी के कहने पर हम तीलयार झील घुमने चलेगे,वहां घुमने के संग संग बहुत सी बाते हुयी, ओर खुब सारी फ़ोटॊ भी खींची, पता नही इस समय ब्लांग पर मै तीन से ज्यादा चित्र नही डाल पा रहा हुं, चित्र तो बहुत खींचे है,बाकी चित्र ओर्कुट पर डाल दुंगा.
फ़िर शाम को वापसी मै अमित जी ने बीयर मंगवा ली, लेकिन नीरज जाट जी तो भगत लगे उन्होने नही पी, मेने ओर अमित जी ने बीयर पी, ओर फ़िर वो जुदाई का समय आया, जब कि हम तीनो ही चाहते थे कि वक्त यही रुक जाये, लेकिन मन के चाहने से क्या होता है, ओर फ़िर वो जुदाई का वक्त भी आ पहुचां, ओर भीगे मन से इन दोनो से जुदा हो कर मै फ़िर होटल के कमरे मै आ गया, दुसरे दिन दिल्ली जाना था.
बिस्तर पर लेट गया पता नही कब आंख लग गई, ओर फ़िर सुबह सवेरे तीन बजे आंख खुल गई, दो घंटॆ करवटे बदलता रहा, ओर मन ही मन कुडता रहा कि अगर लेपटाप ले आता तो यह बोरियत तो ना होती, फ़िर सुबह सवेरे नहा धो कर समान को समभालां ओर जाने कि तेयारी कर ली, फ़िर अपने मोहल्ले मै जा कर सब से मिला भाई से मिला , उस के बच्चो से, मोसी के घर जा कर सब से मिला, ओर फ़िर दिल्ली की तरफ़ चल पडा.
दिल्ली पहुच कर हम पलटू से भी मिले.... इस बारे कल की पोस्ट मै.
फ़ोटो तो बहुत से है, लेकिन सभी डालना कठीन सा है, लेकिन जाते जाते यह ऊपर वाले फ़ोटो भी जरुर देख ले, झील मै बकरिया चर रही है, ओर बकरी वाला बहुत खुश हुया, ओर फ़िर काले पक्षी अपनी ब्लांग मिंटिग कर रहे है झील के किनारे पेड की चोटी पर बेठ कर साथ साथ मै ठंडी ठंडी हवा का मजा ले रहे है, अजी यह बत्ख भी तो कम नही सभी एक लाईन मै बेठी हुयी सोच रही है कि दोपहर के खाने मै कोन सी मच्छी पकडी जाये...
चलिये अब कल मिलते है
भाटिया जी मुझे पता ही नही चला आपकी पिछली पोस्ट्स भी आज ही पढी बहुत अच्छा विवरण है चित्रों के साथ बस एक बात मुझे बार बार कचोट रही है कि मै दिल्ली नही आ पाई। बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteएक बार आपने बहुत पहले एक बीबीजी की दुखद स्थिति के बारे में बताया था। वे कैसी हैं।
ReplyDeleteआज जिन मासीजी का जिक्र किया है, क्या वे ही हैं? अब कैसी हैं? बताईएगा। भगवान उन्हें स्वस्थ और प्रसन्न रखे।
बहुत सुन्दर चित्र... आपसे मिल कर कौन खुश नहीं होगा..
ReplyDeleteyatra ka vivran bahut acha chal raha hein....agli post ke intzar mei
ReplyDeleteसुंदर चित्र .. अच्छा विवरण !!
ReplyDeleteआपके चित्रों से यूं लगता है मानो हम आपके साथ ही घूम रहे हों. पल्टू से मुलाकात की प्रतीक्षा रहेगी.
ReplyDeletetaliyaar लेक की सैर तो बड़ी मजेदार रही। हमारा भी वहां कई बार जाना हुआ है। बढ़िया संस्मरण।
ReplyDeleteअमित और नीरज से आपके मिलन की कथा और तस्वीर बहुत अच्छी लगी. आनन्द आया सारी तस्वीरें देख कर. अकेले बीयर पी आये अमित के साथ??
ReplyDeleteतस्वीरे और विवरण दोनों ही बहुत उम्दा हैं...आगे की पोस्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ReplyDeleteपोस्ट तो मस्त है ही तस्वीरें भी बढिया हैं।
ReplyDeleteगगन शर्मा जी आप ने सही पहचाना, मोसी अब बहुत कमजोर हो चुकी है, ओर पता नही कब चल बसे, याददास्त भी भुल जाती है, बस उन के घर गया था
ReplyDeleteचित्रात्मक संस्मरण बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteबहुत खूब, चित्र भी सुंदर हैं.
ReplyDeleteराज जी,
ReplyDeleteबड़े दिलचस्प अंदाज से वृतांत आगे बढ़ा रहे हैं...मज़ा आ रहा है पढ़कर...आपके साथ इस बार बीयर न पी पाने का मलाल रहेगा...खैर अगली बार सही...
जय हिंद...
badhiya report.
ReplyDeleteagar aap orkut par hain to mujhe is link par pakad sakte hain
http://www.orkut.co.in/Main#Profile?uid=23986648657005184&pcy=3&t=0
भाटिया जी, नमस्ते
ReplyDeleteआपने कुछ फोटू भेजने को कहा था, पता नहीं किस एयरलाईन से भेज रहे हो? वाया लन्दन या वाया न्यूयोर्क?
हमारे यहां आपके खींचे एक आध फोटू लग जायेंगे तो हमारी रौनक सी बढ जायेगी.
दो होनहार नौजवानों से आपकी मुलाकात शानदार रही. आगे का इंतजार है.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत अच्छी लगी यह मुलाक़ात ....
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
खूबसूरती से क़ैद किए हैं आपने हसीन लम्हे .. मिलन के लम्हे ... इतने मधुर लम्हों को कौन भुला सकता है ....
ReplyDeleteप्रकृति का आनंद ही
ReplyDeleteहै सचमुच परमानंद
राज यह खोल दिया
राज जी ने ब्लॉग पर।
आदरणीय
ReplyDeleteचित्रों के लिये हार्दिक आभार
प्रणाम स्वीकार करें
Very Nice pictures Bhatiya ji .
ReplyDeleteGood to see
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