अभी अभी टिपण्णियो से निपटा, लेकिन आज टिपण्णियां देने मै थोडी मुस्किल आ रही थी, ओर आज दिन मै सोचा था कि एक दो लेख लिखूंगा एक यहां ओर एक मुझे शिकायत है पर, लेकिन आज टिपण्णियां देना भी बहुत कठिन लगा,
हमारे यहां बर्फ़िला तुफ़ान कई दिनो से लगातार आ रहा है, हमारे यहां(हमारे इलाके मै) यह तुफ़ान तो नही आया, लेकिन रात को खुब बर्फ़ गिरती है ओर दिन मै मोसम थोडा गर्म हो जाता है, रात को फ़िर ताप मान गिर जाता है, जिस से दिन मै पिघली बर्फ़ शीशे की तरह जम जाती है, फ़िर ऊपर नयी बर्फ़ गिर जाती है, लेकिन आज सारा दिन बर्फ़ गिरती रही सब ने साफ़ भी की लेकिन नीचे जो बर्फ़ शीशे की तरह जमी थी कही कही रह गई, ओर उस पर ताजा ताजा सफ़ेद बर्फ़.
सर्दी भी बहुत थी, लेकिन गर्म कपडॊ ओर बुटो से सर्दी का पता नही चलता, तो जनाब हमारा चीफ़ किसी फ़ाईल को ढुढंता रहा, जब उसे नही मिली तो हमारे पास आया, हम ने उसे समझाया कि वो तो बिलकुल सामने पडी है, लेकिन उस कम अकल को अकल नही आई, ओर इस सर्दी मै हमे साथ चलने को बोला, ओर वो कमरा दुसरी बिलडिंग मै था, हम ने जाकेट भी नही पहनी क्योकि चार पांच मीटर दुर ही तो था वो कमरा, हम उस के साथ भुन भुनाते गये( उसे हंसाता हुया दीखे) जाते समय मोहद्य बर्फ़ पर फ़िसल गये, लेकिन गिरने से बच गये, हम ने फ़ाईल जब दिखाई तो बहुत शर्मिंदे हुये, ओर सॊरी बोल दिया.
अब हम बिना जाकेट बाहर आये थे, सामने हमारा कमरा था, सोचा चलो जल्दी से कमरे मै जा कर कुछ गर्म हो जाये, लेकिन दो कदम ही चले तो हम जमीन पर अपनी राईट वाली साईड की तरफ़ गिर गये फ़िसल कर, ओर उस वाजू का अप्रेशन हो चुका था, ओर सारा वजन उस वाजू पर दर्द तो बहुत हुया, दिल था कोई आ कर उठाये, लेकिन फ़िर जल्दी से उठे ओर कमरे मै आराम से गये, वाजू को थोडा मला, उस समय तो दर्द नही हुया, लेकिन अब दर्द बढ गया है, हम ने भी दो दिन की छुट्टी मार ली.... चोट ज्यादा नही आई... अभी बीबी वाजू पर तेल लगा कर मालिस करेगी, फ़िर सेंक दे कर सुबह तक आराम आ जायेगा.
जब फ़िसले तो पता ही नही चला, चारो खाने चित जब पडे तो मुंह से बडे जोर से आवाज आई ऒये तो पता चला कि हम तो इस उम्र मै भी फ़िसल गये
अभी बर्फ़ गिर रही है बूरा चीनी की तरह, ओर सर्दी की वजह से चारो ओर बहुत फ़िसलन है, कल दिन मै अच्छी तरह से बर्फ़ गिरी तो फ़िल्म जरुर बनाऊगा, चलिये अब आप टिप्ण्णियां दे ओर मै तेल लगवा कर सेंक दे दूं
प्रभू आपको स्वास्थ्य रखे आपकी तकलीफें मुझे मिल जावें
ReplyDeleteभाई जी, बरफ से मजाक नहीं...हड्डी टूट लेती है. जरा संभालिये और कल तक आराम न लगे तो डॉक्टर को दिखाकर एक्स रे वगैरह करवायें..शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअपना ख्याल रखे .पढ कर ठन्ड लगी की वर्फ़ पड रही है .हमारे यहं तो ७ डिग्री टेम्प्रेचर है तब भी ठंड लग रही है .
ReplyDeleteयहाँ इलाहाबाद में पारा ६-७ डिग्री पर है तो हम तंग हुए जा रहे हैं। जैकेट टोपी मफलर चढ़ाने में ही भुनभुनाते रहते हैं। उधर आप बर्फ़ पर कलैया खेल रहे हैं... वाह! हमारी तो ठण्ड ही काफूर हो गयी। तेल थोड़ा गरम कराते रहिए। लेकिन इसके लिए तो कपड़ा उतारना पड़ेगा। उई... ठण्ड न लग जाय। :)
ReplyDeleteसर जी आप अपनी सेहत का ध्यान रखिये | orlando में भी आजकल बहुत ठण्ड पड़ रही है |
ReplyDelete'इस उम्र में भी फिसलने' के शीर्षक से तो लगा कि किसी 'रोमैण्टिक फिसलन' की चर्चा है। पढ़ कर बड़ी निराशा हुई।:) आप शीघ्र ही स्वस्थ हो जायें यही कामना है।
ReplyDeleteशुक्र है गिरने की सही जगह तलाश की ...और एक अदद बीबी भी है तेल मालिश के लिए ...!!
ReplyDeleteराज जी, जल्दी से जल्दी आप स्वस्थ हों जायें, बस यही कामना है।
ReplyDeleteआपके यहाँ जैसा मौसम तो शायद हम कभी देख ही नहीं पायेंगे इस जिंदगी में।
भाई ,कन्फ्यूजिया तो हम भी गए थे। फिर सोचा फिसलने का असली मज़ा तो इसी उम्र में है। भाई तेल मालिश जो हो जाती है। वो भी नर्म नर्म हाथों से।
ReplyDeleteभाटिया जी-सेकाई करवाएं और जल्द ठीक होने की सूचना जारी करें।
ReplyDeleteजरा सी चूक भी कभी भारी पड़ जाती है। दो मिनट के लिए जैकेट नहीं पहनने का खामियाजा उठाना पड़ा। अब मालिश ही नहीं कुछ दवा भी कीजिएगा।
ReplyDeleteध्यान रखिये भाटिया जी. यह उम्र नहीं है फिसलने की - खासकर जैकेट आदि मोटे कपड़ों के बिना.
ReplyDeleteTake care!
लो!
ReplyDeleteशीर्षक पढ़ सोचा कि भाटिया जी इस उमर में भी फिसल गए? वाह!
पढ़ा तो पता चला कि भाटिया जी बर्फ़ पर फिसल गए :-)
अपना ख्याल रखिएगा
बी एस पाबला
वैसे भाटिया साहब , कभी-कभी फिसलने का भी अपना ही मजा है :)
ReplyDeleteआप भी न.. बर्फ से मजाक करते हैं... शारीर को कष्ट न होने दिजये... छोडिये टिप्पियाना अभी पहले भरपूर आराम कर लीजये..
ReplyDelete- सुलभ
इसी उम्र में फिसलना तो खतरनाक होता है .. स्वास्थ्य पर ध्यान दें , आराम करें .. जल्द ठीक हो जाएंगे !!
ReplyDeleteभाटिया जी संभल कर इस उम्र मे अब दोबारा फ़िसलने का रिस्क मत लेना,हड्डियां भी बडी मुश्किल से जुडती हैं।ईश्वर आपको तंदरूस्त रखे।
ReplyDeleteइस उम्र मे फ़िसलकर गिरना अच्छी बात नही है.:)
ReplyDeleteखैर कोई बात नही, जब कोई गिरने लायक मौका मिल जाये तो हर्ज भी नही, पर एक्सरे जरुर करवा लिजिये.
रामराम.
पोस्ट का शीर्षक पढकर एक मुस्कुराहट जो मेरे होंठों पर आई थी, अबतक बनी हुई है जी
ReplyDeleteवाकई सलाम है आपके जिन्दादिल नजरिये को
अब सिंकाई करवा कर आराम कीजिये और कल वीडियो जरूर दिखाईयेगा।
ताऊ की टिप्पणी से कापी पेस्ट इस लाईन को दोबारा पढें मजेदार है जी
"जब कोई फिसलने लायक मौका मिल जाये तो हर्ज भी नही"
प्रणाम स्वीकार करें
संभल कर चलिए ,रहिये .सर्दी तो इस बार वैसे ही बहुत कंपा रही है
ReplyDeleteबर्फ के लिए विशेष तले वाले जूते होते होंगे। बर्फ पर गिरना बहुत खतरनाक भी हो सकता है। जल्दी ठीक होइए।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
गिरतें हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में :)
ReplyDeleteआप अपने यहाँ का हाल सुना रहे हैं ओर हमें पढ कर ही कंपकंपी छूट रही है...बाकी जरा स्वास्थय का ध्यान रखिए....
ab kaise hain?
ReplyDeletekadam sambhal kar rakhiye is umra ki chot baut dukh deti hai.
ReplyDeleteआपको गाना चाहिये था आज रपट जायें तो हमें न उठाइयो.
ReplyDeleteइस सीरियस वाक़ये में हंसी के पंच भा गये
ReplyDeleteभाटिया जी तुस्सी छा गए।
पर हां समीर जी की सलाह पर कीजिएगा ग़ौर।
उपचार का वृतांत लेकर पोस्ट लिखिएगा एक और।
THAND TO YUN HI KISI BHI DABE CHHUPE DARD KO UBHAAR DETEE HAI,ISPAR YADI KOI TAJA CHOT CHAPET HO TO WAH TO BAHUT HI KASHTKAREE HO JAATA HAI....
ReplyDeleteAPNA KHAYAAL RAKHIYE...SHEEGHRA SWASTHY LAABH KIJIYE....
अपना ख्याल रखियेगा...
ReplyDeleteशीर्षक पढ़ा तो लगा की आप इस उम्र में कही और फिसल गए है जब पोस्ट पढी तो समझ में आया की बर्फ में आप फिसलते फिसलते बच गए . ईश्वर आपको अच्छा रखें .....थोडा संभल कर चलें ... आभार
ReplyDeleteफिसलना तो किसी भी मौसम में बुरा होता है और प्रचण्ड सर्दी में तो और भी। अपना ख्याल रखियेगा भाटिया जी!
ReplyDeleteसम्भालो भइया!
ReplyDeleteलोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
हार्दिक शुभकामनाएँ!
गिरना,संभलना,फिसलना सब हम इंसानी फ़ितरत है कभी कभी इन सब का भी बड़ा मज़ा होता है...चलिए अब फिसल गये तो कोई बात नही मैने टिप्पणी दी और आप अब सेंक लीजिए ..
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