आप दोनो चित्रो को बडा कर के देखे तो ओर भी सुंदर लगेगे...मै यह लिखना भुल गया था, लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` जी ने याद दिलाया. धन्यवाद
अन्तर सोहिल.....
पढा है कि आपके वहां तो -30 से -35 डिग्री टेम्प्रेचर हो गया है। आप वहां के बारे में कुछ बतायेंगें तो मेहरबानी होगी। आप लोग कैसे सब काम करते हैं?
सोहिल जी, हमारे यहां वेसे तो सारा साल ही सर्दी का मोसम रहता है, गर्मी एक दो सप्ताह ही होती है, लेकिन सर्दी कडाके की सितमबर के अंत मै शुरु होती है, जो अप्रेल के अन्त तक चलती है, बर्फ़ वारी अकतुबर मै एक बार हो जाती है , फ़िर नबम्बर के अन्त मै होती है, यानि लगातार नही होती, ओर बहुत ज्यादा सर्दी नबमबर के अन्त से शुरु होती है ओर मार्च तक रहती है, बीच बीच मै कभी कभी टेम्प्रेचर -३०, -३५ तक भी चला जाता है, ओसतन . १० ओर -२२ के बीच रहता है.
अब आप यहां कि जिन्दगी के बारे पुछ रहे है, तो हम वेसे ही रहते है जेसे हम भारत मै गर्मियो मै रहते है, फ़र्क बस इतना ही है कि भारत मै एयर कंडीसन चलता है ओर हमारे यहां कमरो मै हिटर लगे है, जो घर का ताप मान + २० या +२२ तक हम सेट कर देते है, दिन मै दो बार खिडकियां खोल कर ताजी हवा भर लेते है घरो मै, बाहर निकले से पहले जाकेट बगेरा पहन लेते है, अगर ज्यादा पेदल घुमना हो तो दस्ताने ओर टोपी(गर्म)ओर मोटी जुराबे पहन लेते है, अगर बर्फ़ मै जाना हो तो जुते भी थोडे अलग टाईप के ओर मोटे तले के पहनते है.
शुरु शुरू मै थोडी सर्दी लगती है, फ़िर नही, बर्फ़ मै खेलो फ़िसलो, बर्फ़ मै लेटो ऎसा ही लगता है जेसे रेत मै खेलते है, घर का समान हम १० पंदरह दिनो का एक बार कार मै भर कर ले आते है, कार के टायर यहां गर्मियो के अलग ओर सर्दियो के अलग है, सडके, रास्ते सब बर्फ़ गिरने के समय साथ साथ साफ़ होते रहते है, पटरी जिस के घर के, दुकान के सामने है, यह उस का फ़र्ज है कि सुबह ६,७ बजे से पहले वहा से बर्फ़ हटाये, ओर पटरी पर छोटी छोटी ककरिट जिस मै नमक का भी मिश्रण थोडे रुप मै होता है डाले, अगर वो खूद नही कर सकता तो किसी अन्य को पेसा दे कर करवाये, वरना फ़िसल कर गिरने पर ओर चोट लगने पर वो दुकान दार या मकान मै रहने वाला जिम्मेदार होगा, ओर सारा खर्च वही देगा.सारे काम वेसे ही चलते है, जेसे गर्मियो मै चलते है.
चारो ओर सफ़ेद सफ़ेद दिखता है, कभी कभी हमे आंखो पर काली ऎनक लगानी पडती है,ऎसा लगता है कि हम परी लोक मै आ गये, जब बर्फ़ गिरती है तो बच्चे बुढे सभी बहुत खुश होते है, लेकिन बहुत ज्यादा कपडे पहन कर आदमी तंग भी हो जाता है, बाहर निकलना बहुत कम हो जाता है, इतनी ठंड के वावजूद बसे ट्रेन या अन्य वाहक कभी लेट नही होते, अगर हमे किसी ने अपने घर बुलाया है तो हम भी थोडा पहले निकलेगे ओर सही समय पर पहुचेगे, यहां समय की बहुत कदर है, इस साल तो मैने कोई चित्र नही खींचा, लेकिन एक दो पुराने चित्र दे रहा हुं
पहला चित्र है मेरे घर के साथ बहती नदी का, जिसे शहर से गुजरना है इस लिये पक्की कर दिया है, ओर इस मै पानी बर्फ़ का रुप धारण कर चुकी है, यानि पानी जम चुका है( नीचे ही नीचे पानी बह रहा है) ओर आप इस पर चल सकते है, घुम फ़िर सकते है, एक बर्फ़ का ठेर दिख रहा है, जो हमारी कम्पनी ने , कम्पनी के आंगन से ऊठा कर यहां फ़ेंका है, लेकिन इतना वजन होने के वावजूद भी नदी की जमी बर्फ़ नही टुटी.
दुसरा चित्र है हमारे गांव से १ किलो मीटर दुर से, आप ध्यान से देखे तो आप को एक गिरजा घर नजर आयेगा, यह हमारे गांव का गिर्जा घर है, ओर हमारा घर इस घाटी मै है, ओर सडके बिल्कुल साफ़, ओर हम सर्दियो मै हमेशा कहते है हाय गर्मियां बहुत अच्छी होती है, ओर फ़िरे गर्मियो मै कहते है हाय सर्दिया बहुत सुंदर होती है, मै कहता हुं दोनो ही खुब अच्छे होते है
अच्छा लगा जानकर कि आप भी उसी नाव में बैठे हैं जिसमें हम!! :)
ReplyDeleteहर मौसम का अपना ही अलग अंदाज है ...!!
ReplyDeleteyehanaise bhee halat hain ---
ReplyDelete1 more suggestion , please click on the pictures to see them enlarged --
then you can see the real beauty of snow.
' HAPPY Holidays EVERY ONE '
अन्दाजे बयाँ बेहतरीन
ReplyDeleteजानकारी भी बेहतरीन
वाह बर्फ से आच्छादित जन जीवन का कितना जीवंत विवरण ! मजा आया !
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
ReplyDeleteआपकी जीवन शैली के बारे में जान कर अच्छा लगा ..हम तो यंही ठीक है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर जगह है। लेकिन ठंड के नाम से कंपकपी चालु हो जाती है। भाटिया जी ऐसे मे लोग रोज कैसे नहाते होंगे? शायद नहाने का साप्ताहिक कार्यक्रम होता होगा। "चलो आज सप्ताहांत है नहा लिया जाय्। फ़िर एक दुसरे को बधाई देते होंगे, "नहाने की बधाई शुभकामनाएं। हा हा हा एक जिज्ञासु का प्रश्न है। हमने तो कभी आपका इलाका देखा नही है।
ReplyDeleteक्रिसमस की बधाई
जानना रोचक रहा .. इस अच्छी जानकारी के लिए आपका शुक्रिया !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी दी आपने राज जी!
ReplyDeleteभारत में बैठ कर हम तो ऐसे जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
राज जी, गिरती हुई या गिरी हुई बर्फ कभी प्रत्यक्ष नहीं देखी। लेकिन जान कर अच्छा लगता है। मनुष्य ने हर हाल में जीना सीखा है। वह कोई न कोई मार्ग तलाश ही लेता है।
ReplyDeleteइतनी ठंडी ! अपने यहां तो ५-६ डिग्री पर ही हालत खराब हो जाती है .
ReplyDeleteसादर वन्दे
ReplyDeleteबर्फ का आनंद ही अलग है,
रत्नेश त्रिपाठी
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट.....
ReplyDeleteमेरी क्रिसमस.....
आदरणीय राज जी नमस्कार
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद इस जानकारी के लिये
फोटो बहुत सुन्दर हैं जी, फोटोज के लिये अलग से शुक्रिया
टायरों के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ।
कितने बढिया नियम और कानून हैं वहां के,
भारत में तो लोग कूडा भी अपने घर के बाहर सडक फेंक देते हैं।
थोडी सी सर्दी शुरु होते ही ट्रेनों का लेट होने का सिलसिला शुरु हो जाता है, हालांकि गर्मियों में भी कभी-कभी ही ट्रेनें टाईम पर आती हैं।
वैसे हम भी गर्मियों में सर्दियों और सर्दियों में गर्मियों को अच्छा बताते हैं।
प्रणाम स्वीकार करें
लोग तपते रेगीस्तान में भी रहते हैं और बर्फ के ठ्ण्डे रेगीस्तान में भी. आदत की बात है. शरीर अनुकुल हो जाता है.
ReplyDeleteजानकारी अच्छी लगी.
चित्र बहुत अच्छे लग रहे हैं. बाकी अनुशासन के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteहमें तो तस्वीर देख कर ही ठंड लगने लगी ।
ReplyDeleteभाटिया जी, अब की बार आते समय अपने साथ बोरियों में भरकर ये फ्री वाली बर्फ जरूर लेते आना...यहाँ बर्फ के गोले बेच कर अच्छी कमाई की जा सकती है :)
खूबसूरत तसवीरें और खूबसूरत विवरण । लगता है आपका बडा दिन सफेद होगा ( White Christmas )
ReplyDeleteMerry Christmas and a very Happy New year !
इतनी बर्फ देख कर तो वैसे ही हाथ पैर ठंडे हो गए अपने।....आपने अच्छी व रोचक जानकारी दी।.....धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी दी. आपकी प्सोट के साथ साथ ही बर्फ़ की सैर होगई.
ReplyDeleteरामराम.
ललित शर्मा जी हम लोगो को घर के अंदर तो पता भी नही चलता कि सर्दी है या गर्मी, यानि हम रोज नहाते है, लेकिन गर्म पानी से,
ReplyDeleteदिनेश जी अगर इस महीने बर्फ़ गिरी तो मै एक विडियो फ़िल्म बना कर लाऊंगा आप उसे देख सके, जब भी आप चाहे आये,ओर हमारे यहां रहे.
आप सभी का धन्यवाद
बाप रे बड़ा मुश्किल है इतनी ठंड में रहना मुझे तो सोच कर भी अजीब सा लग रहा है. उपर वाले चित्र को वालपेपर बना लिया है मैंने. धन्यवाद.
ReplyDeleteचलिए आपके प्रयास से हमें भी जर्मनी का स्वच्छ आकाश देखने को मिला.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगी आपकी जानकारी धन्यवाद्
ReplyDeleteantar sohil ji,
ReplyDeleteyahan baat raj bhatia ji ke aas paas kee ho rahi hai, or aap beech me bharat ko le aaye. agar hamara desh oonche akshanshon me hota to yahan bhi saal bhar baraf hi padti rahti. rahi baat kooda failaane kee, yah to hamaari sachchaai hai, is sachchaai ka ham bura kyon maane? aakhir kooda failane waale or jhelne wale bhi to ham hi hain.
मारे यहां कमरो मै हिटर लगे है, जो घर का ताप मान + २० या +२२ तक हम सेट कर देते है, दिन मै दो बार खिडकियां खोल कर ताजी हवा भर लेते है घरो मै, बाहर निकले से पहले जाकेट बगेरा पहन लेते है, अगर ज्यादा पेदल घुमना हो तो दस्ताने ओर टोपी(गर्म)ओर मोटी जुराबे पहन लेते है, अगर बर्फ़ मै जाना हो तो जुते भी थोडे अलग टाईप के ओर मोटे तले के पहनते है.
ReplyDeleteरोचक और नई जानकारी के लिए शुक्रिया राज़ जी ......!!
कहाँ हैं राज जी आप? गाडी के नम्बर से तो जर्मनी का बवेरिया लग रहा है। मै भी बवेरिया के एक गाँव मे हूँ. यह देखें: http://swapnilbhartiya.com/hindi/24
ReplyDeleteस्वप्निल भारतीय
अरे Swapnil जी, क्या बात है भाई, हम तो आप के शहर मै बहुत बार आये है, वहां हमारे डा नरेश रहते थे,वो रहते थे गार्मिश से थोडा आगे ग्रेनाऊ मै रहते थे, चलिये आप मुझे मेल करे तो आप को मै अपना फ़ोन ना दुंगा, मै मुनिख के पास जिला Erding के पास एक गांव मै रहता हुं, तो चलिये आप से मिलना जल्द होगा.
ReplyDeleteईमेल कर दिया है, मिला क्या? arnieswap@gmail.com
ReplyDeleteदेखने में तो बड़ा सुन्दर लग रहा है सब.. हकीकतन जाने कैसा होगा..! कंपकंपी छूट रही है।
ReplyDeleteमौसम मौसम लवली मौसम ...........
ReplyDeleteपर बहुत मुश्किल है इतनी सर्दी में रहना .....
नदी है - हमें लगा सड़क है बर्फ से ढ्ंकी!
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट बढ़िया चित्र!
uupar to sabhi ne sab kuchh kah diya to ab main kya kahuu
ReplyDeleteSo Sweat
Happy Coffee
Happy Tea