06/11/09
यमुना एक नदी है या नाला ? आप ही बताये
आज एक समाचार पढ रहा था तो अचानक यहां मेरी नजर गई, जब इसे पढा तो बहुत कुछ सोचने पर मजबुर हो गया, क्या आप भी जानना चाहे गे इस परेशानी का कारण तो देर किस बात की लगाईये एक प्यारा सा चटका अजी बस यही ना, फ़िर पढ ल्रे हम भारतियो की करतूत
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कृष्ण तेरी यमुना मैली हो गई...
ReplyDeleteदिल्ली का मल-मूत्र ढोते-ढोते...
जय हिंद...
क्या कहें.........?
ReplyDeleteबरसात में तो नदी ही लगती है।
बाकी दिनों मे नाले से कम नही है!
लिंक पर चटका लगाकर क्या पढ़े जी ! दिल्ली में लगभग रोज यमुना को देखते है , कालिंदीकुंज से यमुना के पुल से जाते हुए कई सभ्य भारतियों को कार पुल पर रोक पूजा सामग्री यमुना में डालते देखते है कालिंदीकुञ्ज के एक साइड में तो यमुना नदी सी दिखाई देती है पर दूसरी और सिर्फ एक नाला जान पड़ती है और पानी का तो कहना ही क्या ? पीना के तो कोई क्या सोचे हाथ डालना भी गंदे नाले में हाथ डालने जैसा लगता है |
ReplyDeleteSachmuch Yamuna NAdi NAhi Ek NALA Hai
ReplyDeleteसुना था ...गंगा में स्नान और यमुना का दर्शन एक समान है ...अच्छा है ...दर्शन से ही पुण्य मिल जाए ...इस गंदगी में स्नान कौन करना चाहेगा ...!!
ReplyDeleteनदी कहें नाला कहें यमुना को है आस।
ReplyDeleteबचा लो मुझको देश में बनने से इतिहास।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
क्या कहा जाये? आखिर इसके दोषी भी तो हम ही हैं.
ReplyDeleteरामराम.
हमारे धर्म शास्त्रों में नदियों को माता की मान्यता दी गई है। यमुना को को अत्यन्त पवित्र माना जाता है किन्तु इस प्रकार से उसे गंदगीयुक्त बना देना घोर अनुचित कार्य है।
ReplyDeleteऔर ऊपर से वन्देमातरम् का विरोध करने वाले मुसलमानों को कह रहे है कि डूब मरो सालो ! अब आप ही बतावो कि अगर सचमुच हमारी बात मानते हुए इतने सारे इस नाले में डूब मरे तो ?
ReplyDeleteविकास के नाम पर हो रही अंधी दौड़ में हर तरह की दुर्गति संभव है।
ReplyDeleteनदियो के किनारे जितने नगर ग्राम हैं उन का सब कुछ नदियों में जाता है। अब यमुना के किनारे दिल्ली है, मथुरा है आगरा है। इन नगरों का मैला ढोने के बाद यमुना कैसी होगी? आप सोच सकते हैं।
ReplyDeleteनदियाँ नदियाँ नहीं हैं मैला ढोने वाली मेहतरानियाँ हो गई हैं.
सभी नदियों का यही हाल है...
ReplyDeleteप्रचीन नगरी वाराणसी का नाम वरूणा और अस्सी दो नदियों के कारण पड़ा
वरूणा नदी तो नाले के रूप मे आज भी दिख जाती है लेकिन अस्सी का पता नहीं, कहाँ विलुप्त हो चुकी है!!
क्या कहें जी मेली यमुना को देखकर बहुत गुस्सा आता है। लोगो ने करोडो बहा दिए इसको साफ करने के नाम पर। पर मै सोचता हूँ वो करोडो लगे कहाँ? मै खुद इसके नजदीक रहता हूँ। शायद वो करोडो कही और चले गए।
ReplyDeleteहै तो नाला ही...पर दिल्ली के हम पागल लोग इसे नदी ही कहते रहते है।
ReplyDeleteबहुत कठिन प्रश्न पूछा आपने .. मुझे तो लगता है कि यमुना भूतकाल की नदी , वर्तमान काल का नाला और भविष्य काल का गड्ढा है !!
ReplyDeleteहमारा प्रदेश तो एक कदम आगे है,यंहा तो नदी को बेच दिया गया है।
ReplyDeleteक्या कहे......... जनाब !!
ReplyDeleteabhi tak to nadi rahi ,aur mahasangam bhi ab aage kya kahi jaayegi ye khabar nahi ,shyamal suman ji ne bahut sahi baat kahi .achchha vishya
ReplyDeleteaapke lekh ko padhkar saham gayi aur yamuna par nirbhar kitni zingdgiyaan hai yah dekh hairaan ho gayi sabki dard bhari kahani jiska sahara bejuban yamuna hai .phir bhi hum kadr kyon nahi karte .hridyasparshi .is lekh ne bahut prabhit kiya ,main soch to paa rahi hoon par byan nahi kar paa rahi .zindagi ko kareeb se dekho ,iska chehra hila dega ....
ReplyDeletezindagi ko kareeb se dekho
ReplyDeleteiska chehra rula dega ,
aadmi ,aadmi ko kya dega
jo bhi dega khuda dega ...
jagjit singh ki ye panktiyaan jahan me chakkr katne lagi .shayad jyada hi kah dali par kuchh haalat bebas kar dete hai .raj ji bahut achchhi charcha rahi .
भाटिया जी मेरा एक शेर है जो शायद यहाँ बिलकुल सही बैठे:
ReplyDeleteइक नदी बहती कभी थी जो यहाँ
बस गया इन्सां तो नाली हो गयी
नीरज
यमुना क्या, ....हर नदी की यही दशा है, गंगा में पाप धुल जाते हैं, ऐसा सोचकर हर पापियों ने
ReplyDeleteइतनी डुबकियां लगें,कि गंगा ने दिशा बदल डाली......
लोग कह सकते हैं कि यमुना सफाई के नाम पर सरकार ने पैसे खा लिये/बरबाद किये।
ReplyDeleteपर नाला बनाया किसने?
भाटिया जी,
ReplyDeleteयमुना का क्या कहें देश की हर नदी का यही हाल है। अब तो नदियां पानी का स्रोत होने की बजाय धन का स्रोत हो गयी हैं। सुनते थे नदियों में स्नान कर पीढीयां तर जाती हैं। अब तो देख भी लिया पीढीयों को तारने का इंतजाम होते। भले ही गिनती के लोगों की हों। करोड़ों रुपयों की योजनाएं बनती हैं और इन्हीं नदियों के माध्यम से रसूखदारों की तिजोरियां भरती चली जाती हैं।
अंग्रेजों की बुराईयां तो हम आगे बढ-बढ कर अपनाते हैं , काश उनकी अच्छाईयों पर भी नजर ड़ाली होती। नाले में तब्दील हो चुकी टेम्स का उदाहरण सबके सामने है।
dheere dheere hum apni sabhyata hote jaa rahe हैं ........... jaane ya anjaane ही .......
ReplyDeleteपहले ये तो बताइये ये यमुना क्या है..? स्कूल में किसी यमुना नदी के बारे में पढ़ा था लेकिन वह तो बहुत समय पहले ही सीवर में तब्दील की जा चुकी है..!
ReplyDeleteदेश के सारी नदियों का यही हाल है । सरकार चाहे तो क्या नही कर सकती,नालियां इंडस्ट्रियल वेस्ट सब तो इसी में जाता है और यही नही बडी बडी मूर्तियों का विसर्जन भी । सब बंद कर दें तो आय ए एस लोकों की कमाई कैसे हो । लोग भी अपना घर साफ रख कर कचरा रस्ते पर नालियों में नदियों में डालने से बाज़ आयें तब तो........
ReplyDeleteजिन्दगी देने वाली इन नदियों का अस्तित्व ही खतरे में है
ReplyDeletekal baithaa tha ghar aane ke liye train me.
ReplyDeleteaap jo kah rahe hain lagbhag unse milti julti baaten raaste bhar chali .
magar jo kah rahaa hun vahi saar hai is baat ka jo aap likh gaye.
gai bhains paani me
ha ha ha ........
आने वाले समय में नदियाँ सिर्फ किताबों में ही देखने को मिलेंगीं......
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