20/09/09

शुद्धिकरण

नमस्कार आप सभी को, आज हम ने अपने घर मै शुद्धिकरण करवाया, जिसे सभी हिंदु जो परमंरा को मानते है सभी करते है, मां की मृत्यु के बाद बाकी सभी कर्म तो मेने भारत मै ही कर लिये थे, बस एक शुद्धिकरण ही रह गया था, जिस के बारे मेने भारत मै पंडित जी से विस्तार से पता कर लिया था, ओर यहां आते ही मै पहले बीमार हो गया, थोडा ठीक हुया तो दो चार दिनो के बाद अस्पताल जाना पडा, यानि ऎसी ही कई उलझने आती रही, फ़िर निश्चित हुया १९/९/०९ यानि ९ सितमबर का दिन.
यहां छुट्टी वाले दिन सभी लोग लम्बा सोते है, ओर बच्चे भी सुबह लेट उठते है, ओर १९ सितम्बर को शनि बार था, ओर पुजा का समय भी सुबह बिना कुछ खाये था, ओर मेरे जान पहाचान के सभी लोग मेरे से बहुत दुर रहते है, कुछ लोग तो १७५ कि मी दुर भी, मेने सब से सलाह कि, ओर हमारा जो प्रोगराम बना उस मै सब लोगो ने पुरा सहयोग दिया, यहां तक कि छोटे बच्चो ने भी दोपहर तक कुछ नही खाया, बस सुबह उठे ओर नित्य कर्म कर के सीधे हमारे यहां आ गये.
सब से पहले हम ने सुंदर कांड का पाठ किया, मेने इंट्रनेट से सुंदर कांड निकाल कर प्रिंट कर लिया था, क्योकि यहां नही मिलता, फ़िर सब ने एक एक कापी ली ओर करीब डेढ घंटे मै हम लोगो ने सुंदर कांड का पाठ कर लिया, फ़िर उस के बाद हम लोगो ने हवन किया, फ़िर सभी लोगो ने मिल कर कुछ भजन वगेरा ओर आरतियां की ओर कब २ बज गये पता ही नही चला, भूख तो सभी को लगी थी, लेकिन बच्चो की हिम्मत की दाद देनी चाहिये कि हम सब के साथ बच्चो ने भी इस समय तक हमारा साथ दिया.
इस बीच बच्चो ने कुछ चित्र खींचे जो मै नीचे दे रहा हुं, लेकिन सभी को भुख इतनी लगी कि हम खाने की फ़ोटो लेनी ही भुल गये, ओर हम मै से कोई भी पंडित जी जितना नही जानता, दयाल जी है तो गुप्ता लेकिन हवन का भार उन्होने संभाला, फ़िर रेणू जी ओर अंजू जोशी जी ने सुंदर कांड की शुरु आत कि ओर उन कि लाय मै पढना सुंदर कांड को मण्त्र मुगध करता था, फ़िर कीर्तन तो सब ने किया लेकिन आशा जी , ढोलक वजा कर कीर्तन को चार चांद लगा दिये, मै इन सब का ओर बाकी मेहमानो का दिल से धन्यवाद करता हुं.
खाना तो मेरी बीबी ने एक दिन पहले ही बना लिया था, बाकी तेयारी हम बाप बेटो ने कर दी थी, यानि पलेटे, चम्मच ओर खाना की मेज ओर अन्य छोटी छोटी बाते, फ़िर खाने के बाद साफ़ई सभी ओरतो ने मिल कर करी, ओर सारे बरतन वगेरा मशीन मै डालने से पहले उन्हे तेयार करना, कांच के गिलास हाथ से धोना, यहां हमे सभी काम खुद करने पडते है, अब आप सोचे ५० लोगो का खाना बनाना, ओर वो भी घर मै.
फ़िर सब ने मोन रख कर मां को नमन किया, बस यही है हम सब का परिवार, एक दुसरे ए दुख मै दुखी, सुख मे सुखी, फ़िर से मै इन सब का धन्यवाद करता हुं. ओर फ़िर रात आठ बजे तक लोग धीरे धीरे जाते रहे, प्रसाद के रुप मे हम ने हलवा ओर फ़ल रखे थे, ओर फ़िर रात को मां के चित्र को देखा तो लगा मेरी मां मुस्कुरा रही है.
मेने कुछ पेसे अलग रख लिये है जो जब भारत आया तो किसी गरीब बच्चे की मदद कर सकूं, यह धन मेरे मां बाप की तरफ़ से होगा











29 comments:

  1. राज भाई साहेब,
    जय माता दी........

    जगत जननी माँ भवानी के पावन नवरात्र के पहले दिन आपने अपनी माता की स्मृति में उनकी परम शान्ति और
    तर्पण विधि के लिए सम्पूर्ण श्रद्धासिक्त मन से जो कर्तव्य निभाया है........यह यों समझो कि ईश्वर की अनुकम्पा हुई है आप पर......... माँ का दूर जाना दुखद है.........ये अलग बात है लेकिन माँ के प्रति पुत्र अपने दायित्व निभाता है तो सारी सृष्टि उसके लिए माँ की भान्ति उपस्थित हो जाती है ..........नेट धीमा चल रहा है.........इसलिए सभी फोटो तो अभी नहीं खुले हैं लेकिन जितने देखे हैं उनमे आपके परिवार जन और इष्ट मित्र स्पष्ट नज़र आ रहे हैं.............

    आप पर माँ की अनुकम्पा सदा बनी रहे............

    -अलबेला खत्री

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  2. भाटिया जी, आपने परदेस में रहकर भी अपनी परम्परा को बनाये रखा उसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं!

    परमपिता परमात्मा आपकी माता की आत्मा को शान्ति प्रदान करे!

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  3. माता जी की पुण्य याद को नमन!!

    मित्रों की ही दुनिया है यहाँ.

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  4. चलिए मेरा ध्‍यान भी आपके कार्यक्रम पर लगा था .. वो अच्‍छी तरह संपन्‍न हो गए .. जानेवाले तो चले जाते हैं .. पर हमें अपने कर्तब्‍यों का पालन करना पडता है .. मैने सभी पिक्‍चर्स देखें .. सबों से मिलाने का आपको धन्‍यवाद .. माताजी को मरा नमन !!

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  5. संगीता जी इस बार मेरा ध्यान मेरे हर मेहमान की राजी खुशी पर था कि सब आराम से आये ओर आराम से अपने घर तक वापिस जाये, आप के मेल ने बहुत हिम्मत दी थी.
    धन्यवाद

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  6. विधिवत श्राद्ध तर्पण कार्य संपन्न हुआ माता जी का -आप कुछ हद तक उरिण हुए !

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  7. तर्पण रिवाजो के अनुसार करना सही है . परमात्मा माता की आत्मा को शान्ति प्रदान करे .

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  8. आपकी श्रद्धा और नि‍ष्‍ठा माता जी की आत्‍मा को शांति‍ प्रदान करे, ऐसी मेरी प्रार्थना है।

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  9. भाटिया जी, ये जानकर बडा अच्छा लगा कि आप विदेश में रह कर भी अपनी संस्कृ्ति,अपनी परम्पराओं से अच्छे से जुडे हुए हैं....माता जी स्वर्ग में बैठे आपको ढेरों आशीष दे रही होंगी.....
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाऎं!!!!!!

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  10. पूज्य माताजी को मेरी और मेरे परिवार की ओर से श्रध्दासुमन |

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  11. परमपिता आपकी माता जी की आत्मा को शान्ति प्रदान करे!
    आप पर माँ का आशीर्वाद सदैव बना रहे ... यही कामना है !

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  12. "यहां हमे सभी काम खुद करने पडते है, अब आप सोचे ५० लोगो का खाना बनाना, ओर वो भी घर मै.
    फ़िर सब ने मोन रख कर मां को नमन किया, बस यही है हम सब का परिवार, एक दुसरे ए दुख मै दुखी, सुख मे सुखी, फ़िर से मै इन सब का धन्यवाद करता हुं. ओर फ़िर रात आठ बजे तक लोग धीरे धीरे जाते रहे, प्रसाद के रुप मे हम ने हलवा ओर फ़ल रखे थे, ओर फ़िर रात को मां के चित्र को देखा तो लगा मेरी मां मुस्कुरा रही है."

    भाटिया जी।
    पूज्या माता जी को श्रद्धाञ्जलि देने के साथ ही मैं आपके पूरे परिवार की लगन और निष्ठा देखकर अभिभूत हो गया हूँ।
    परमपिता परमात्मा दिवंगत माता जी की आत्मा को शान्ति और सदगति प्रदान करें।

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  13. यह भी माना जा सकता है कि .. चूंकि ग्रहों की स्थिति से दुख भरा माहौल बनना था .. इसलिए शोकपूर्ण माहौल में पूजा के कार्यक्रम के लिए यह दिन चुना गया .. यह कोई पार्टी तो नहीं थी ना कि बाधा आती !!

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  14. ांअपकी अपने धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा देख कर अभिभूत हूँ । आपकी माता जी को विन्म्र श्रद्धाँजली और परिवार के लिये शुभकामनायें ।नव्रात्र पर्व की शुभकामनाये़

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  15. परम्पराओं को यूँ ही ज़िंदा रख रहने की ज़रूरत है।

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  16. परमपिता परमात्मा आपकी माता की आत्मा को शान्ति प्रदान करे!

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  17. आपकी भावना और उपक्रम को नमन....माता का आर्शीवाद सदा आपलोगों पर बना रहेगा....आपने सत्य कहा इतना सब देखकर निश्चित ही माताजी की आत्मा सुख और तृप्ति से भर गयी होगी....

    देश से दूर रहकर भी परम्पराओं के प्रति आपलोगों की प्रतिबद्धता अभिभूत कर देती है.

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  18. विदेश में रहकर भी आपने अगाध श्रधा के साथ अपने कर्तव्य और परम्परा का निर्वाह किया है और साथ में आपके इष्ट मित्रो व् परिवारिक सदस्यों ने जिस तरह आपका साथ दिया उन्हें देखकर मन सतुष्ट हो गया की आप जैसे लोगो के कारण ही हमारी परम्पराए उर्जावान है |माँ की अनुकम्पा आप पर बनी रहे |

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  19. भाटिया जी,

    आपने परदेस में रहकर भी अपनी भारतीय परम्परा को पूर्ण श्रद्धा से विधिवत निर्वहन किया उसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं!

    परमपिता परमात्मा आपकी माता की आत्मा को शान्ति प्रदान करे!

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर

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  20. आपकी माताजी की आत्मा को शान्ति मिले! माताजी को मैं श्रधांजलि अर्पित करती हूँ!

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  21. बहुत सुन्दर लगी यह पोस्ट जी! याद रहेगी।

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  22. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें !

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  23. Aapne manse sare dharmik kary nibhaye, manse karana hee mukhy hota hai aapki matajee such men hee muskuree hongee. hamaree aur se unhe hardik shradanjali.

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  24. मुझे तो इस बात पर आश्चर्य लग रहा है आखिर मुझ पर ऐसा घिनौना इल्ज़ाम क्यूँ लगाया गया? मैं भला अपना नाम बदलकर किसी और नाम से क्यूँ टिपण्णी देने लगूं? खैर जब मैंने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो फिर इस बारे में और बात न ही करूँ तो बेहतर है! आप लोगों का प्यार, विश्वास और आशीर्वाद सदा बना रहे यही चाहती हूँ!

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  25. आपने बहुत ही अच्छे तरीके से सच्ची भावना के साथ यह रिवाज़ पूर्ण किया है , आपकी माँ और ईश्वर जरूर संतोष व्यक्त कर रहे होंगे .. और यह बात भी बहुत अच्छी लगी की आप भारत आने पर किसी जरूरतमंद बच्चे की मदद करेंगे ..

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  26. भाव पूर्ण श्रृध्दांलजी

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  27. माताजी की याद को नमन.

    रामराम.

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  28. देश के बाहर देश की परम्परा को जीवित रख कर आप एक अच्छा काम कर रहे हैं.

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  29. विदेश मे रहते हुये भी आप यहाँ कि संस्कृति और सभ्यता को जिन्दा रखे हुये है इसके लिये आपको साधुवाद ।

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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये