जी आज भी सच मै कंस मिलता है, लेकिन आप उसे देख कर भी नही पहचान पाते,ओर इस कलयुग का कंस तो उस कंस से भी गंदा है जिस के बारे हम पढते आ रहे है, उस कंस को तो कृष्ण भगवन ने मारा था, लेकिन इस कंस को हम गले लगाते है, सर आंखो पर बिठाते है, इज्जत देते है..... जी मै सही कह रहा हुं, ओर फ़िर उस के पाप मै हम भी भागी दार बनते है, आओ मिल कर हम सब इस कलयुगी कंस को मारे .
जो मां बाप कोख मै ही बेटी को मारे, उसे आप क्या कहेगे ? जो ड्रा पेट मे किसी बच्ची को जन्म से पहले ही मार दे उसे आप क्या कहेगे? क्या मजबुरी है इन कंसो कि ? उस कंस को तो आकाशवाणी हुयी थी, लेकिन इन कंसो को कोन सी आकाशवाणी हुयी, आप जब भी किसी ऎसे जानवर को देखे उन की रिपोर्ट जल्द से जल्द पुलिस मै करे,ऎसे ड्रा से दवा लेना बन्द करे, ऎसे लोगो से बात करना बन्द करे.... किसी अजन्मे को मोत के मुंह मे धकेलना क्या अच्छा है, अगर वो बच्ची है तो क्या वो कलंक है ? अरे जिस के पेट मै है वो भी तो कभी बच्ची थी.... जो परिवार ऎसा करे उस परिवार से नाता तोड ले.... रहने दे उन्हे अकेला... उन के लडके को कोई बहू मत दो... आओ मिल कर इन गंदे कृत को रोके.... आओ मिल कर हम इस कंस को मारे
Bilkul sahee kaha aapne Bhatiya sahab. Aisa kadam hee in logon ko sabak sikhayega.
ReplyDeleteसही कहा आप ने।
ReplyDeleteठीक कह रहे हैं..राज़ भाई...समाज में आज भी रावण और कंस मौजूद हैं...हमारे बीच में ही....
ReplyDeleteभाईसाहब,
ReplyDeleteआपने आवश्यक विषय पर लिखा है।
वैश्विक सन्तुलन को बनाए रखने के लिए पुरुष और स्त्री दोनो ही अपना मुल्य है। अपनी अस्मिता है। एक दुसरे के बिना दोनो ही अधुरे है। इसलिए एक के अस्तित्व को नकारने का अर्थ है सृष्टी के सन्तुलन को ही नकारना। नारी शोषण का एक आधूनिक वैज्ञानिक तरीका है भ्रुण हत्या। समाज की विकृत मानसिकता ने कन्याओ को जन्म लेने के अधिकार से ही वन्चित कर दिया है । बहुत जल्दी ही आपके विचारो को लेकर हे प्रभू यह तेरापन्थ पर एक पोस्ट लिखुगा।
पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय
हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू
हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा
भाटिया जी ,
ReplyDeleteप्रणाम |
कितनी भी कोशिशे करे आप और हम यह कंस और रावण इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ने वाले !! जब तक एक आम हिन्दुस्तानी अपनी सोच नहीं बदलेगा कुछ भी नहीं हो सकता | आप के और मेरे, अपने अपने ब्लोग्स पर लिखने से कुछ ना होने का | मैनपुरी , जहाँ मैं रहेता हूँ, उत्तर प्रदेश के 'politically highlighted cities ' में से है | In fact presently Shri Mulayam Singh Yadav is the MP from here. सिवाए अपनी राजनीति के मैंनेपिछाले १२ सालो में यहाँ के किसी नेता को "GIRL CHILD " के विषय में बोलते या भ्रुण हत्या पर बोलते नहीं सुना | बात लौट फ़िर के वही आ जाती है कि आम आदमी की सोच को बदलना होगा| यहाँ अब भी लड़की के पैदा होने पर एक प्रकार का शोक सा मनाया जाता है , कोई मुबारकबाद नहीं देता बल्कि यह कहेते बहुतों को सुना है कि, "चलो कोई बात नहीं, अगली बार लड़का होगा |"और यह उन लोगो कि बात कर रहा हूँ जोकि, so called , पढ़े लिखे है | गरीब को तो साहब, जाने ही दीजिये |
फ़िर भी.........." दिल के खुश रखने को... 'ग़ालिब'....यह ख्याल अच्छा है |"
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
Kindly check :-
ReplyDeletehttp://jaagosonewalo.blogspot.com/2009/09/blog-post_12.html
http://jaagosonewalo.blogspot.com/2009/09/blog-post_6043.html
आज राम और कृष्ण के बजाय रावण और कंस ही दिखते हैं.
ReplyDeleteकहने को बहुत तरक्की कर ली हमने... पर इस तरह के कई मामलों में अब भी वही दकियानूसी सोच है हमारी...
... बहुत सही कहा आपने... जिन्हें बेटी से परहेज है, उन्हें बहु भी मत दीजिये.
Please DO CHECK !!
ReplyDeletehttp://burabhala.blogspot.com/2009/09/blog-post_4111.html
विचारों के प्रचार प्रसार के लिए धन्यवाद !!
ReplyDeleteसही संदेश!!
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
एक ज्वलंत मुद्दे को उठाया है आपने। ऐसे कंस हर जगह फैल गये हैं आजकल। इनका बहिष्कार जरूरी है।
ReplyDeleteआपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
बेहद भावनात्मक लेख मन को छु गयी ये अपील
ReplyDeleteregards
बिलकुल सही आह्वान ! साथ हूँ आपकी इस मुहिम में !
ReplyDeleteहम सब कृतसंकल्पित हैं इसके लिये । संवेदनशील प्रविष्टि का आभार ।
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन संदेश देती हुई अपील है आपकी. सभी आपके साथ हैं.
ReplyDeleteरामराम.
bahut sahi mudda uthaya hai,shayad aur jagrukta aur saksharta ki jarurat hai,lekin tajub tab hota jab padhelikhe log bhi ye karte hai.
ReplyDeletemaine dekha hai kans aaj bhi
ReplyDeleteबिलकुल सही पहचाना आपने.
ReplyDeleteसमाज में जागरूकता फैलाने के लिए इस प्रकार के प्रयासों की नितांत आवश्यकता है....भाटिया जी हम भी आपकी इस मुहिम के भागीदार हैं!!!
ReplyDeleteएकदम सही कहा आपने.....
ReplyDeletebahबुत सही कहा आपने हम इसके लिये आपके साथ हैं आभार
ReplyDeleteमैं तो कहूंगा
ReplyDeleteअपने शहर के हर पार्क में यह पोस्ट display होनी चाहिये संभव हुआ तो आपके व अपने शहर से आरम्भ करता हू
लिखूंगा
झाकें अपने भीतर कहीं आप भी कंस के अवतार तो नहीं हैं।
एसों के लिए श्राप ही काफी है
ReplyDeleteAdhunik kans to puratan kans se kahin jyada khatarnak malum padte hain.
ReplyDeleteआप देखने की बात कर रहे हैं,
ReplyDeleteचारों ओर कंस ही कंस तो हैं।
ज़ुबान खामोश है पर दिल बैचेन है
ReplyDeleteआँखे ढूँढती है समुंदर डूबने के लिए
अहसासो की चुभन जीने नही देती
बस अब
एक कतरा ज़िदगी की धूप दे दो
चाँदनी अब सोने नही देती
बारिश आँसू सूखने नही देती
बसंत सिर्फ़ दर्द दे जाता है
बस अब
एक कतरा जिंदगी की धूप दे दो
मन के टूटे तारो को
बादल राग भी जोड़ नही पाता
योग की साधनाभी अर्थ के साथ मिलकर अर्थ हीन हो गई
बस अब
एक कतरा जिंदगी की धूप दे दो
हमारे सबकी मन की बेईमानी को बड़े ही सहज रूप मे रच दिया है आपने
हमारी क़ानून प्रणाली क़ानून व्यवस्था की दिक्कतो के चलते कोई ऐसे केसो मे सामने न्ही आना चाहता |
कुछ लोगो के लिए ऐसी घटनाए सिर्फ़ तमाशा होती है और कुछ लोग ऐसी अमानवीय और घ्र्नीत घटनाओ को अंजाम देते है
वे सब निंदनीय है |
आज कन्स और रावण के कद उँचे और उँचे होते जा रहे है देखिए अभी दशहरा आ रहा है कैसे रावण ही रावण को सजाकर जलाएगे
प्रवचनो मे ज़ोर शोर और बजे गाजे के साथ कन्स मारा जाता है |और अपने अंदर के कन्सऔर रावण साल दर साल पोषित होते जाते है |
आपकी इस पवितरा भावना मे हम आपके साथ है