आज कल केसे स्वाईन् फ़्लू का शोर मचा है, वेसे ही इन अनामी, सुनामी ओर अनामिका फ़्लू का शोर भी चारो ओर मचा है, लेकिन आप सब को इन लोगो से साबधान रहने की बस जरुरत है, इन्हे ज्यादा भाव देने की जरुरत नही, मेरी तरह से कई लोगो को इन का असली चेहरा तो पता चल ही गया है, कई क्या लगभग सभी लोगो को इन का नाम तक पता है, लेकिन सबूत ना होने के कारण ओर फ़िर नंगे के सामने क्या नंगा होना कि भावना से लोग चुप बेठे है.
ओर यह चालक लोग (वेबकूफ़) लोग अपने आप को बहुत चालाक समझते है, लेकिन यह अपनी ही गलतियो से, अपनी ही बेवकुफ़ियो से, ओर अपनी ही चलाकियो से लोगो की नजरो मै आये, मेने एक नही बहुत से ब्लांग पर सिर्फ़ ओर सिर्फ़ इन्ही लोगो की बहस सुनी है, लेकिन बेशर्मी की बात यह है कि यह अपनी सफ़ाई के साथ साथ अनामी टिपण्णीयां भी दिये जा रहे है.
अनामी, बेनामी टिपण्णियां कोन करता है? ओर क्यो करता है?
अनामी, बेनामी टिपण्णियां कोन करता है? तो वोही करता है जो अपने आप को इस काबिल ना समझता हो कि जो मै कहना चाहता हुं वो सही भी है या नही, यानि उसे अपने ऊपर पुरा विशवाश नही होता,ओर वो जो हम सब के अंदर बेठा है ओर किसी भी तरह से अपनी बात को सही सिद्ध करना चाहता है, जिस की इज्जत उस के ही जान पहचान वाले, पडोसी,ना करते हो,ऎसे लोगो के दोस्त तो होते ही नही, ओर यह फ़िर अपनी भाडस इन बेनामी टिपण्णी मै करते है.
या हम मै से कोई एक ऎसी कविता, कहानी, पहेली,रचना लिख दे जो सब को तो पसंद आये, ओर लोग बाग खुब टिपण्णिया दे, और उस पर वो आदमी नया नया ब्लांग की दुनिया मै आया हो, तब भी यह अनामी चिढ सकता है, या फ़िर आप ने कोई ऎसी चर्चा छेड दी जो इन्हे पसंद नही तो भी इन्हे अनामी टिपण्णियो का दोरा पड सकता है, वेसे यह अनामी इतने भोले भी नही होते, मजाल है इन्हे कोई गाली दे दे, इन्होने अपने ब्लांग पर पक्के इंतजाम कर रखे है, ओर अगर आप इन्हे मोका ना दे तो कोई बात नही यह आप की टांग पकड कर खिंच लेगे,यानि यह अनामी एक बहुत बडी बेइलाज बिमारी है.
अब यह क्यो करते है बेनामी टिपण्णियां... अजी इन्हे शातिं मिलती है, मुंह पर तो इन के हर कोई लानत फ़ेंकता है, तो भडास यहा निकाल लो, इन लोगो का कोई समाज , परिवार, दोस्त मित्र तो होते नही, लेकिन जो बचे खुचे पडोसी, पुराने मित्र स्कुल समय के, एक आधा रिश्तेदार होते है यह उन से हर दम मोका मिलते ही लडते है, ओर वो इन्हे दुतकार कर चले तो जाते है, लेकिन वो दुतकार मिलने से जेसे कुत्ता तिलमिलाता है यह भी उसी तरह से तिलमिलाते है, गालियां बकते है, पेरो से ठोकरे मारते है, घर मै अगर कुछ बचा हो तो उसे तोड देते है, अगर बुढी मां, या बाप हो तो उस से लड पडेगे, अगर सब को खा चुके तो फ़िर हमारा भेजा खाने चले आते है.
तो सजन्नो ओर सज्जनियो आज इन बेनामियो ओर अनमियो की कथा यही समाप्त हुआ , आज के बाद हम इन का नाम ले कर आप सब का ओर अपना समय नही खराब करेगे, अब आप स्वामी समीरानन्द जी के प्रबचन ध्यान से सुने, उस के बाद आरती होगी, हा अगर आरती से पहले आप मै से भी किसी ने अपने अपने वचन देने हो तो पहले से बता दे, क्यो कि आरती के बाद, सब को प्रसाद दिया जायेगा, लेकिन बाबा मग्गा जी से प्राथना है जब तक स्वामी समीरानन्द जीअपना आसन ग्राहन नही करते तब तक कुछ विचार अपने भी प्रकट करे, अगर महिलऎ कीर्तन बगेरा करना चाहती है तो जब प्रसाद बांटा जाये तब सभी बहिनो (बाबा जी की) को कीर्तन करने का मोका मिलेगा.
एक बार सब मिल कर प्यार से बोले
स्वामी समीरानन्द जी की ...जय
जय हो बाबा समीरानंद की जय .:)
ReplyDeleteरामराम.
Chaliye yeh Benami katha samapt hui, jan kar accha laga.
ReplyDeleteबेहतरीन आइडिया है ,जमाये रहिये .
ReplyDeletesahi hai..
ReplyDeletebaba sameeranand ji ki jay aur us benami baba ki bhi jiske wajah se yah sab padhane ko mil raha hai..
वाह वाह राज भाई..आज का दिन तो बेनामी की आत्मा (यदि है तो ) के नाम रहा...और क्या खूब लपेट लपेट के खोले हैं आप...अब बच का गया है ..कहने को..वैसे कुछ बदलाव तो दिख रहा है..आजकल नाम लिखा आ रहा है...जरूर प्रवचन का असर है..जय हो..अनुष्ठान जारी रहे...
ReplyDeleteअनुष्ठान चल रहा है..आरती में आओ, भक्त!! :)
ReplyDeleteस्वामी समीरानन्द जी की जय हो।
ReplyDelete[---]
चर्चा । Discuss INDIA
चलो...आरती करके प्रसाद लो और जाओ घर को:))
ReplyDeletejai ho
ReplyDeleteabhee to yah angdaayee hai !
ReplyDeleteअब जाने भी दो..
ReplyDeleteभक्तगणों अब शाम की आरती का समय हो गया है और बाबा समीरानंद आश्रम मे शाम की आरती शुरु होने जारही है.
ReplyDeleteविशेष सूचना : आरती के बाद भोजन प्रसादी बाबा का इंतजाम समीरानंद आश्रम पर किया गया है. आपसे अनुरोध है कि भोजन ग्रहण करके ही घर जायें.
तो भक्तों जोर से बोलो - बाबा समीरानंद महाराज की जय.
रामराम.
अब तो आरती भी हो चुकी है। पर बाबा ताऊआनंद का क्या होगा? अगली अमावस पर!
ReplyDeleteअथ श्री बेनामी कथा का अष्ट्म अध्याय समाप्त....बाकी की कथा कल प्रात: काल को सुनाई जाएगी। सब भक्तजनों को निवेदन है कि अपने अपने आसन साथ लेकर पधारे!!
ReplyDeleteजब बाबाओं के हवन से मिर्चों की धूनी उठेगी तो इन अनामी, बेनामियों का पता नहीं कौन रखवाला होगा ?
ReplyDeleteफिर मन में ख्याल आता है कि चलो छोड़ो क्या किसी का बुरा तकना। क्यों राज जी ?
आरती के उपरांत कुछ बियर वगैरह का भी इंतजाम हो तो कृपया तत्काल सूचित करें ... ताकि नियमित समय से श्री समीरानंद आश्रम में उपस्थित हो सकूँ !
ReplyDeleteआज की आवाज
ab maaf kar dijiye in anaamon ko!
ReplyDeleteसही बात..क्यों इनकी चर्चा कर टेम ख़राब करने का....
ReplyDeleteये लोग कुंठाग्रस्त हैं. लेकिन हैं तो अपने ही. अपने ही घर में यदि ऐसा कोई हो तो क्या करेंगे. शायद भूत भगाने का प्रयत्न करेंगे. इसलिए बाबा लोग ठीक कर सकते हैं इनको. बाबा शरणम गच्छामि...
ReplyDeleteअच्छा आइडिया निकाला है अनाम जी ने !
ReplyDeleteAre bhai Anami logon ka load lene ki jarurat nahin hai...Samir ji ne in par kafi kuchh likha hai aur ab apki lekhni bhi...waise mudda gambhir hai.
ReplyDeleteआपके कीर्तन दरबार मे त्प पहुँच ही नेहीं पाये मगर समीरा नन्द बाबाजी की आरती कर ली है चलो अच्छा हुअ आरती के वक्त तो पहुँच ही गये धन्यवाद्
ReplyDeleteयहां भी बेनाम बाबा। जय हो।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नामी और अनामी मे एक अ का अंतर है । यानी बेनामी भी दूसरे ग्रह से नही आया है वह भी हमारे सभ्य समाज का ही अंग है । समीरा नन्द जी के आश्रम की शरण मे जाना ही उचित है ।
ReplyDelete