04/02/09

चिंतन, सांसारिकता

आज का विचार,आज का विचार बहुत ही आसान है, लेकिन इस पर अमल करना बहुत ही कठिन है, अगर हम इस विचार पर सही रुप मे अमल करे तो हमे पुजा पाठ तीर्थ, गंगा स्नान इन सब की कोई जरुरत नही, ओर अगर हम सब इसे माने तो यह जमीन सच मे स्वर्ग बन जाये......

एक बार एक भगत एक बहुत ही पहुये हुये सन्यांसी के पास गया, ओर प्राणाम कर के बोला हे!! प्रभु मुझे अपने चरणो मे स्थान देवे, मै इस संसार से दुर रहना चाहता हुं, मुझे मोक्ष चाहिये, आप मेरी मदद करे,मुझे ग्याण दे, ताकि मे इस मतलबी संसार से दुर रहूं. ओर मुझे मोक्ष मिले, अब आप ही कोई उपाय बताये.

सन्यांसी जी आज कल के सन्यांसी तो थे नही कि मुर्गा आया है लुट लो कुछ उपदेश दे कर, वो सन्यांसी थे बहुत पहुचे हुये, ओर पहचान गये अपने भगत को, ओर बोले वत्स !! तुम्हारी इच्छा जरुर पुरी होगी, लेकिन पहले मेरे एक प्रशन का जबाब दो.

भगत बोला, स्वामी मै तो अब आप का दास बन गया पुछिये क्या सवाल है ?
सन्यांसी बोले बेटा मोक्ष लेने से पहले मुझे बस एक सवाल का जवाव दो कि तुम ने कभी किसी से प्यार किया है?
भगत बोला, नही स्वामी मै तो बेरागी हो गया हुं, सन्यासी ने फ़िर पुछा बच्चा सोचो... कभी भी किसी नारी से, किसी भी रुप मे मां से बहिन से प्रेमिका से ? भगत बोला नही स्वामी जी मै तो मन ओर तन से बेरागी हो चुका हुं.
सन्यांसी ने फ़िर पुछा, बच्चा एक बार फ़िर सोच लो.... कभी किसी जानवर से, किसी अन्य प्राणि से,किसी पेड पोधे से, किसी सुंदर चीज से, किसी भी संसारिक वस्तु से जिसे भगवान ने बनाया हो, कभी तुम्हारे मन मै थोडा सा भी प्यार जागा हो इन सब के बारे, कभी विचार आया हो प्यार का??
भगत बहुत ही प्यार से बोला नही स्वामी जी कभी नही, मै तो बचपन से ही बेरागी हो गया हुं.

तो सन्यांसी जी ने कहा बेटा जब तुम उस भगवान की बनाई चीजो को प्यार नही कर सकते, उन्हे नही चाहते, उन से पीछा छुडा कर, अपने कर्ताब्या से भाग रहे हो तो तुम्हे कहा मोक्ष मिलेगा, हमे पहले उस भगवान की बनाई दुनिया को प्यार करना चाहिये, उस ने नदी नाले, पहाड, जंगल, ओर पेड पोधे बनाये, इंसान बनाये, जानवर बनाये अगर सभी तुम्हारी तरह से बेराग मांगने लगे तो उस भगवान को यह सारी दुनिया बनाने का क्या लाभ, जाओ वापिस उस भगवान की बनाई सुंदर दुनियां को ओर सुंदर बनाओ, भागो मत, उस भगवान का अपमान मत करो, उस की बनाई दुनिया से प्यार करो, जाओ तुमे वही मोक्ष मिलेगा.
हम सब को भी चाहिये कि अपने हित को छोड कर इस दुनिया को ओर सुंदर बनाये, ताकि हम उस भगवान कि इस काम मै मदद करे, ओर अपना जीवन सफ़ल बनाये.
ओर आज पहली बार मै चिंतन के साथ एक गीत ( भजन ) के रुप मै दे रहा हुं, आशा करता हुं आप सब को पसंद आयेगा. धन्यवाद

Sansar se bhaage p...

27 comments:

  1. सुबह सुबह सच्चा ज्ञान मिला

    ReplyDelete
  2. भगवान की बनाई सुंदर दुनियां को ओर सुंदर बनाओ, भागो मत, उस भगवान का अपमान मत करो, उस की बनाई दुनिया से प्यार करो, जाओ तुमे वही मोक्ष मिलेगा.
    " आज का चिंतन मन मे रच बस गया....भजन के लिए आभार"

    Regards

    ReplyDelete
  3. सत्य वचन भाटिया जी।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर विचार. धन्यवाद आपका .

    रामराम.

    ReplyDelete
  5. सच कहा जी आपने जब भगवान की बनाई दुनिया में जी नही लगता तो मोक्ष कहाँ मिलेगा। कहा जाता है कि गृहस्थी में ही मोक्ष होता है। अच्छी लगी आज की पोस्ट।

    ReplyDelete
  6. विचार और गीत दोनों ही बहुत अच्छे ।

    ReplyDelete
  7. यही सही चिंतन है और सही रास्ता है,
    गीत तो बहुत ही अच्छा है.......

    ReplyDelete
  8. bhatia ji aapka vichar bahut sunder aur satya hai bhajan to mere comp par chala nahi ya koi galti ho gayee hai khair phir try karti hoon

    ReplyDelete
  9. bhatia ji aapka vichar bahut sunder aur satya hai bhajan to mere comp par chala nahi ya koi galti ho gayee hai khair phir try karti hoon

    ReplyDelete
  10. hanji chal gaya sansaar se bhage firte ho bhagvaan ko kya paaoge bahut sunder bhajan hai shukria

    ReplyDelete
  11. सत्य कहा आपने.ईश्वर की श्रृष्टि से प्रेम न किया तो ईश्वर से प्रेम न किया और बिना प्रेम मोक्ष कैसा...प्रेरणादायी सुंदर सार्थक और विचारणीय आलेख हेतु आभार.

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन प्रस्तुति है भाटिया जी....

    ReplyDelete
  13. जिसने इस कथा का मर्म समझ लिया, वह भव सागर पार कर गया।
    अच्‍छी बोध कथा है।

    ReplyDelete
  14. Achchee saar bharee baatein samjha dee aapne Raj bhai sahab. Shukriya

    ReplyDelete
  15. कहीं सुना भी था- 'रचना को जब अपना न सके, रचईता को क्या पाओगे!'

    ReplyDelete
  16. well said thought

    ReplyDelete
  17. आपने एक दम सत्य बात कही है , जो भवगवान की बने वस्तुवों से प्रेम नही करता वो प्रभु से प्रेम कैसे करेगा , जो साकार से प्रेम नही कर पाया वो निराकार से प्रेम कैसे करेगा . बहुत सुंदर रचना .....

    ReplyDelete
  18. "तो सन्यांसी जी ने कहा बेटा जब तुम उस भगवान की बनाई चीजो को प्यार नही कर सकते, उन्हे नही चाहते, उन से पीछा छुडा कर, अपने कर्ताब्या से भाग रहे हो तो तुम्हे कहा मोक्ष मिलेगा"

    सन्यासी के द्वार ऐसे सशक्त संदेश हम सब के लिये प्रस्तुत करने के लिये आभार भाटिया जी !!

    सस्नेह -- शास्त्री

    -- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.

    महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर विचार भाटिया जी।

    ReplyDelete
  20. प्रेरणादायी विचार हैं आपके। आभार।

    ReplyDelete
  21. सचमुच ज्ञानवर्धक, मनोरंजक और व्‍यावहारिक कहानी।

    ReplyDelete
  22. बहुत बढीया कहानी और सनयासी जी भी बढीया थे तो और अच्छा लगा।

    वैसे आपका वो नीचे वाला लेख "सोच कर भी रोंगते खडे हो जाते हैं" भी अच्छा है पर बहुत खतरनाक। मैने कही पढा था की एक बार धोखा मीले या थोडी सी भी गलती पकड लीये उस आदमी की तो उससे दूर ही रहना अच्छा रहता है क्यो की अभी तो छोटा झटका मीला पास जाने पर सायद फीर भूल सूधारने का मोका ही नही दे।

    ReplyDelete
  23. हम सब को भी चाहिये कि अपने हित को छोड कर इस दुनिया को ओर सुंदर बनाये, ताकि हम उस भगवान कि इस काम मै मदद करे, ओर अपना जीवन सफ़ल बनाये....

    agar sach me aisa ho jaye to swarg yahin ban jaye...!

    ReplyDelete
  24. सत्य वचन! आभार!

    ReplyDelete
  25. बहुत सुंदर और महत्वपूर्ण दृष्टांत है। भजन सुन कर तो हृदय आनंदित हो गया।
    महावीर

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये