26/01/09

चिंतन अपना अपना विचार

आज का विचार, हम सब किसी भी घटना को देखते है, या कोई अच्छा बुरा देखते है तो हम सब के अपने अपने विचार होते है, कोई पढ लिख कर डाक्टर बन गया , लेकिन एक ही साथ पढे लिखे एक ही प्रोफ़ेसर से पढे लिखे डाक्टर भी अलग अलग सोच रखते है, तो आज का विचार कुछ ऎसा ही है. तो चले आज के विचार की ओर...

दो लडके किसी स्कूल मे पढते थे, दोनो मे बहुत अच्छी दोस्ती थी, लेकिन दोनो के ख्याल अलग अलग थे, एक दिन पिक निक पर सारे स्कुल के बच्चे गये, यह दोनो भी साथ मे गये, सभी बच्चे खेल कर दोपहर खा भोजन करने के लिये एक पेड के नीचे बेठे थे.

सामने ही एक आम का बडा सा पेड था, वहा कुछ बच्चे बाहर से आये ओर ले डंडा ऊठा कर पेड पर मारा, तो पेड से दो तीन आम नीचे गिरे, यह सब स्कुल के बच्चे देख रहे थे, तभी हिन्दी के मास्टर जी ने पूछा बच्चो बतओ तुम ने जो देखा उस से क्या शिक्षा ली, अब यह दोनो दोस्त भी इसे देख रहे थे, तभी मास्टर जी ने पहले दोस्त से पूछा रामू तुम बताओ तुम ने इस घटना से क्या सीखा.

तो रामू बोला मास्टर जि जेसे पेड डंडा खा कर ही फ़ल देता है, वेसे ही इंसान भी बिना दवाव के बिना डर के काम करने वाला नही, इस लिये यह द्दश्य एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामजिक सच की ओर लेजाता है, यानि यह दुनिया डर के बिना मनाने वाली नही.
अब मास्टर जी ने दुसरे बच्चे से पुछां हा भाई तुम ने क्या सीखा, तो राधे ने कहा मास्टर जी मुझे तो कुछ ओर ही लगा, मेने तो यही इस पेड से सीखा जेसे पेड चुपचाप डंडा खाने पर भी मीठे मीठे आम दे रहा है, वेसे ही हमे भी खुद दुख सह कर दूसरो को सुख देना चाहिये, अगर कोई हमारा अपमान भी करे तो वदले मै हमे उस का उपकार ही करना चाहिये, यही हमारा धर्म है, यही सब धर्मिक किताबो मे लिखा है, ओर यह कह कर राधे भी चुप हो गया.

मास्टर जी मुस्कुरये ओर बोले देखो हम सब के जीवन मै हमारी द्दष्टि ही बहुत महत्व पुर्ण है,यहां घटना सिर्फ़ एक है, ओर तुम दोनो ने इसे अलग अलग ग्रहण किया, क्योकि तुम दोनो की द्दष्टि मै फ़र्क है, इंसान अपनी नजरो से जो देखता है, वेसा ही अपने जीवन को ढालता है, वेसा ही सोचता है, वेसा हि कार्य करता है, ओर उसी के अनुसार फ़ल भी भोगता है.
इंसान की द्दष्टि से हि उस के स्व्भाव का पता चलता है, रामू से कहा कि तुम सब कुछ आधिकार से पाना चाहते हो, जब कि राधे तुम प्रेम से सब कुछ प्राप्त करना चाहते हो.

23 comments:

  1. बहुत अच्छी कहानी कही आपने. असल मे हम हर बात को अपने हिसाब से ही समझते हैं.

    गणतंत्र दिवस की बधाई और घणी रामराम जी.

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  2. गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई

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  3. दोनो की द्दष्टि मै फ़र्क है, इंसान अपनी नजरो से जो देखता है, वेसा ही अपने जीवन को ढालता है, वेसा ही सोचता है, वेसा हि कार्य करता है, ओर उसी के अनुसार फ़ल भी भोगता है.

    गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई...

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  4. भई वाह भाटिया जी आपका अपना ही अंदाज़ है बधाई स्वीकारें...

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  5. बहुत सुन्दर और सही बात कही है आपने कहानी द्वारा। जाकी रही भावना जैसी, हरि मूरत देखी तिन तैसी।

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  6. एक अच्छी पोस्ट में एक अच्छी शिक्षा मिली। शुक्रिया।

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  7. nazariye ki mahatta hai.........hum jis bhawna se dekhte hain,wahi vyavahaar ka aaina banta hai,bahut achha lekh hai........

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  8. बहुत बहुत सीख मिलती है आप की इस कहानी से ---धन्यवाद।
    मुझे भी अपने स्कूली दिनों में हिंदी मास्टर साहब की याद आ रही है -- उन्होंने जब हमें विज्ञान के लाभ हानियां विषय पर निबंध लिखवाया तो सब से पहले भूमिका में यह पंक्तियां लिखवाई थीं ---
    भला बुरा न कोई होता है
    नज़र का भेद ही सब भला बुरा दिखता है -
    कोई कमल का फूल देखता है कीचड़ में
    किसी को चांद में भी दाग नज़र आता है ।


    धन्यवाद, भाटिया जी।

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  9. सीख देती कहानी.

    आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  10. बहुत अच्‍छा......गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  11. एक अच्छी पोस्ट में एक अच्छी शिक्षा मिली। शुक्रिया।

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  12. बहुत सुंदर. हमारा गणतंत्र अमर राहे. आँखें वही देखती हैं जो मन चाहता है.

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  13. घटना एक, दृष्टिकोण भिन्न। सकारात्मक सोच निश्चय ही बेहतर है।

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  14. बहुत अच्छी कहानी....!

    गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं....!

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  15. हमें आधा गिलास भरा हुआ देखना चाहिए न कि आधा खाली गिलास। आपका ब्‍लाग सचमुच में एक मिशन है।

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  16. बहुत ही सुन्‍दर और प्रेरक बोध कथा है। सख्‍ ही कहा है-जा की रही भावना जैसी।

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  17. बहुत ही प्रेरक आलेख। सबका अपना-अपना सच होता है।

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  18. मैंने भी इससे कुछ सीखा

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  19. एक दम सही है. हम जैसा सोचते हैं याजो हमारे विचार होतें हैं हमें सब कुछ वैसा ही दिखाई देता है

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  20. कहानी शिक्षाप्रद है।.... सुंदर विचारों को आपने कहानी में ढाला है।

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  21. नजरिया अपना-अपना. लेकिन गूढ़ विषय को अच्छे ढ़ंग से सामने रखा.

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  22. बहुत ही प्रेरक कहानी...बधाई

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