आज का विचार हम सब कब किस मुसिबत मै फ़स जाये किसी को नही पता, इस लिये हम सब को मुसिबत मे फ़ंसे हर इंसान की मदद जरुर करनी चाहिये, बिना भेद भाव के... तो चलिये चिंतन की ओर चले......
एक बार भगवान बुद्ध एक कस्वे मै ठहरे हुये थे, उस साल भी बरसात ना हुयी थी, भयंकर अकाल पडा हुआ था, लोग भुखे मर रहे थे,कोई भी किसी की मदद नही कर रहा था,
यह सब देख कर बुद्ध ने नगर के सभी सेठॊ ओर धनिक लोगो को एक जगह बुलाया, ओर उन गरीब लोगो को भी बुलाया,ओर उन धनिक ओर अमीर लोगो से बुद्ध ने प्राथना की, कि हे सज्जनॊ आप सब से राज्य की, इन गरीबो की समस्या छुपी नही, यह भी तुम्हारे ही भाई है,तुम्हारे ही बच्चे है,आओ तुम सब मिल कर इन कि मदद करो इस समय !! लेकिन कोई भी धनवान इन अकाल पीडित गरीब लोगो की मदद के लिये आगे ना आया.
इन्ही नगर सेठो के बीच मै एक बालिका भी बेठी थी, उस बालिका को भगवान बुद्ध की दयानीया बाणी ने ओर उन पीडितॊ की हालात ने अन्दर तक झक्झोर दिया, वह अपने स्थान से उठी ओर बुद्ध के सामने जा कर प्रणाम किया,ओर बोली हे देव आप मुझे आशीर्वाद देवे ताकि मै लोगॊ के इस दुख कॊ बांट सकूं.इस नन्ही सी लडकी को देख कर सभी लोग बहुत हेरान हुये.
बुद्ध देव भी इस नन्ही सी बच्ची को देख कर बोले बेटी जब इस सभा मै इतने बडे बडे लोग बेठे है वो कुछ नही कर सकते तो तुम , तुम तो अभि बहुत छोटी हो ओर तुम्हारे पास तो अभी कुछ भी नही है, तुम क्या कर पाओगी, ओर ... बुद्ध कुछ ओर बोलते उस से पहले ही बच्ची बोल पडी, बाबा आप मुझे बस अपना आशिर्वाद ही देदे, मै अभी से घर घर भीख मांग कर मुट्ठी , आधा मुट्ठी जितना भी मुझे सारे दिन मे अनाज मिला उस अनाज से सारे नही दो चार लोगो का तो पेट भर ही दुंगी, अगर मै दो चार लोगो की जान ही बचा लूं, तो भी कुछ तो बच जायेगे, ओर यह कह कर बालिका फ़ुट फ़ुट कर रो पडी.
भगवान बुद्ध एक टक उस बालिका को देख रहे थे, कितना दर्द है इस बालिका के दिल मे इन लोगो के लिये, तभी फ़िर उस बच्ची की आवाज बुद्ध कॊ सुनाई दी, जो सुबकते सुबकते कह रही थी की हे देव अगर यह सभी लोग रोजाना एक एक मुट्ठी अनाज भी दान मे दे तो इन का कुछ नही घटने वाला, लेकिन उस अनाज से इन सब को जीवन दान जरुर मिल जायेगा, कोई भी इस भुख से नही मरेगा, हे देव जेसे बूंद बूंद से सागर भर जाता है वेसे ही सब के दान से इन गरीबो का पेट भी भर जायेगा.
अगर यह लोग दान नही देते तो कोई बात नही मे दुसरे गांव मे जाऊगी, दुसरे शहर मे जाऊंगी, जितना हो सका मे इन आफ़त मै फ़ंसे लोगो की मदद करुंगी, ओर इस नन्ही सी बच्ची की बाते सुन कर वहा बेठे सेठो का दिल उन्हे धिधकार्ने लगा, ओर उन मे सोया इंसान जाग गया, ओर सभी ने अपने अपने खजाने से, गोदाम से सभी दुखियो को दिल खोल के दिया, ओर अकाल समस्या खत्म हो गई, ओर फ़िर उस साल वर्षा भी खूब हुयी , ओर सभी ने उस साल खुब मेहनत कर के खुब आनाज पेदा किया, ओर सेठो के गोदाम फ़िर से भर गये.
सुन्दर प्रेरक प्रसंग्। धन्यवाद ।
ReplyDeleteaisa bhi hota taha
ReplyDeleteसच, बहुत ही प्रेरक प्रसंग है
ReplyDelete---
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प्रेरक प्रसंग है। परन्तु कहीं पढ़ा था-
ReplyDelete'मैंने ग़रीबों को रोटी दी-तुमने मुझे संत कह कर पुकारा। मैंने पूछा ग़रीबों के पास रोटी क्यों नहीं है और तुमने मुझे कम्युनिस्ट कह कर कोसा।'
प्रेरक्।
ReplyDeleteकहा जाता है कहाँ का लिया दिया कहाँ काम आ जाए, इसी कहावत को सार्थक करता प्रेरक प्रसंग
ReplyDeleteRegards
बहुत प्रेरक कथा. आपका आभार महाराज!
ReplyDeleteram ram ...
ReplyDeletebadi achchhi kahaani lagi...
bahut din baad aaye lekin kya khoob aaye
bahut prerak aur bhaavmay prasang hai
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग है।
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणा दायी लेख है । हम सभी को इससे सीख लेनी चाहिए ।
ReplyDeleteek achhi katha ke madhyam se aap jo kahte hain,wah bahut mayne rakhta hai........
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आने पर हर बार एक नया अनुभव होता है. आपकी लेखनी यूँ ही जादू बिखेरती रहे.
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरक प्रसंग्
ReplyDeleteबहुत प्रेरक प्रसंग लिखा है आपने.
ReplyDeleteरामराम.
भगवान् उस बच्ची की तरह सको दिल दें. सुंदर प्रेरक प्रसंग.
ReplyDeletebahut hi achhi sundar kahani,dil ko chu gayi.
ReplyDeleteprerak or sach kathan. jitna sambhav ho madd to deni hi chahiye
ReplyDeleteसचमुच, अगर उस बच्ची की तरह सभी सोचने लगें तो संसार का परिदृश्य ही बदल जाये।
ReplyDeleteमेरे विचार से परोपकार आपको आपकी नजरों में ऊंचा उठाता है और यह बड़े काम की बात है।
ReplyDeleteWaah ! Itne sundar aur prerak prasang ke prakashan hetu sadhuwaad.
ReplyDelete
ReplyDeleteभाटिया साहब, मैं किन शब्दों में धन्यवाद दूँ,
मेरी ज़िन्दगी के बिल्कुल एक सही मौके पर यह पोस्ट पढ़ने को मिली ।
आपने प्रेरक प्रसंग पोस्ट कर नई दिशा दी है
ReplyDeleteSadar
आपने प्रेरक प्रसंग पोस्ट कर नई दिशा दी है
ReplyDeleteSadar
प्रेरक प्रसंग !!
ReplyDeleteसही विचार...
ReplyDeleteऔर सुंदर अभिव्यक्ति...
सचमुच बुद्ध से भी समझदार और ज्ञानी थी वह बच्ची। बेहतरीन प्रेरक कथा।
ReplyDeletebehtareen.
ReplyDeletebahut achha prerak prasang
बहुत ही सुन्दर प्रेरक प्रसंग सुनाया आपने.......
ReplyDeleteधन्यवाद.........
good moral story
ReplyDeleteभई वाह भाटिया जी इस प्रस्तुति के विशेष आभार
ReplyDeleteभई वाह भाटिया जी इस प्रस्तुति के विशेष आभार
ReplyDelete... अत्यंत प्रसंशनीय व प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।
ReplyDeleteबहुत प्रेरक संस्मरण है बहुत बहुत धन्यबाद
ReplyDeletehttp://manoria.blogspot.com
http://kundkundkahan.blogspot.com
सुविचार !
ReplyDeleteभाटिया जी ,
ReplyDeleteबड़ा ही प्रेरक प्रसंग है !!!