मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
30/01/09
पत्रकार के सम्मान में जूते की कलाकृति
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर जूता फेंकनेवाले पत्रकार को सम्मान देने के लिए इराक़ में एक जूते की कलाकृति बनाकर लगाई गई है.... पुरा पढने के लिये यहां जाये
भाटिया साहब प्रणाम ...माफ़ कीजियेगा बहुत दिनों बाद आया हूँ ... लिंक के लिए शुक्रिया ...वैसे उस पत्रकार की ये हैसियत थी की वो वहां तक पहुँचा ...और जो किया वो उसके दिल की आवाज़ थी जो उसने सुना ...
लिंक के लिए धन्याद। इस जूते को देख कर बुश क्या अपने देश के ही नेताओं पर शर्म आने लगती है। जब भी कहीं भ्रष्टाचार की बात होती है तो भारत का नाम जुड़ा होता है, दिल में दर्द होता है, जूते से कम नहीं। घूसखोरी जीवन का अंग बन गया है।
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
बहुत आभार इस लिंक के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
Bhatiya g,
ReplyDeletePranaam.
chot ko yaad dilati post hai.
jaroori bhi.
shesh fir...
Bhatiya g,
ReplyDeletePranaam.
chot ko yaad dilati post hai.
jaroori bhi.
shesh fir...
कही जूते का इराक़ में राष्ट्रीय स्म्रारक न बना दिया जाए शंका होती है ये सब देखकर राज जी . बहुत बढ़िया चित्रण जूते का . धन्यवाद.
ReplyDeleteवैसे तो प्रायः बी बी सी पढ़ता हूँ, लेकिन यह पोस्ट पढने से रह गयी थी. लिंक देने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteउसे (जूते को) राष्ट्रीय गौरव का चिन्ह भी बनादें! :)
ReplyDeletevaardaat kee jaankari thi,patrakaar ke kahe gaye wakyon ko padhkar achha laga,yun kahiye-sukun mila.......
ReplyDeleteजानकारी के िलए आभार.
ReplyDeleteअच्छा लेख।
ReplyDeleteजाकी रही भावना जैसी।
ReplyDeleteसचमुच बहुत खूब.... मजा आ गया
ReplyDeleteसचमुच बहुत खूब.... मजा आ गया
ReplyDeleteआश्चर्य नहीं की यह इराक का राष्ट्रीय चिन्ह बन जाए.लिंक के लिए आभार.
ReplyDeleteवाह! यह भी खूब रही।
ReplyDeleteधन्यवाद..
ReplyDeleteitne bade joote ke samarthan me keval 400 log? khair padna dilchasp raha
ReplyDeleteबहुत आभार इस लिंक के लिये.
ReplyDeleteहमारे यहाँ भी तो जूतम पैजार कम नहीं होती...संसद में जूता फैंकने वालों को क्यूँ नहीं सम्मानित किया जाता...???है कोई जवाब किसी के पास????
ReplyDeleteनीरज
भाटिया साहब प्रणाम ...माफ़ कीजियेगा बहुत दिनों बाद आया हूँ ...
ReplyDeleteलिंक के लिए शुक्रिया ...वैसे उस पत्रकार की ये हैसियत थी की वो वहां तक पहुँचा ...और जो किया वो उसके दिल की आवाज़ थी जो उसने सुना ...
पत्रकार के सम्मान में जूते की कलाकृति....
ReplyDeletejo bhi ho bat kuch jachi nahi...kisi galat karya ko bdhawa dena koi samman janak bat to hai nahi...?
वाह ! आभार इस ख़बर के लिए.
ReplyDeleteaabhar. hamare yaha v aise sahas ki jarurat hai.
ReplyDeleteaabhar. hamare yaha v aise sahas ki jarurat hai.
ReplyDeleteलिंक के लिए धन्याद। इस जूते को देख कर बुश क्या अपने देश के ही नेताओं पर शर्म आने लगती है। जब भी कहीं भ्रष्टाचार की बात होती है तो भारत का नाम जुड़ा होता है, दिल में दर्द होता है, जूते से कम नहीं। घूसखोरी जीवन का अंग बन गया है।
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