30/01/09

पत्रकार के सम्मान में जूते की कलाकृति

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर जूता फेंकनेवाले पत्रकार को सम्मान देने के लिए इराक़ में एक जूते की कलाकृति बनाकर लगाई गई है.... पुरा पढने के लिये यहां जाये

24 comments:

  1. बहुत आभार इस लिंक के लिये.

    रामराम.

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  2. Bhatiya g,
    Pranaam.
    chot ko yaad dilati post hai.
    jaroori bhi.
    shesh fir...

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  3. Bhatiya g,
    Pranaam.
    chot ko yaad dilati post hai.
    jaroori bhi.
    shesh fir...

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  4. कही जूते का इराक़ में राष्ट्रीय स्म्रारक न बना दिया जाए शंका होती है ये सब देखकर राज जी . बहुत बढ़िया चित्रण जूते का . धन्यवाद.

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  5. वैसे तो प्रायः बी बी सी पढ़ता हूँ, लेकिन यह पोस्ट पढने से रह गयी थी. लिंक देने के लिए धन्यवाद.

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  6. उसे (जूते को) राष्ट्रीय गौरव का चिन्ह भी बनादें! :)

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  7. vaardaat kee jaankari thi,patrakaar ke kahe gaye wakyon ko padhkar achha laga,yun kahiye-sukun mila.......

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  8. जानकारी के िलए आभार.

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  9. जाकी रही भावना जैसी।

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  10. सचमुच बहुत खूब.... मजा आ गया

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  11. सचमुच बहुत खूब.... मजा आ गया

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  12. आश्चर्य नहीं की यह इराक का राष्ट्रीय चिन्ह बन जाए.लिंक के लिए आभार.

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  13. itne bade joote ke samarthan me keval 400 log? khair padna dilchasp raha

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  14. बहुत आभार इस लिंक के लिये.

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  15. हमारे यहाँ भी तो जूतम पैजार कम नहीं होती...संसद में जूता फैंकने वालों को क्यूँ नहीं सम्मानित किया जाता...???है कोई जवाब किसी के पास????
    नीरज

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  16. भाटिया साहब प्रणाम ...माफ़ कीजियेगा बहुत दिनों बाद आया हूँ ...
    लिंक के लिए शुक्रिया ...वैसे उस पत्रकार की ये हैसियत थी की वो वहां तक पहुँचा ...और जो किया वो उसके दिल की आवाज़ थी जो उसने सुना ...

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  17. पत्रकार के सम्मान में जूते की कलाकृति....
    jo bhi ho bat kuch jachi nahi...kisi galat karya ko bdhawa dena koi samman janak bat to hai nahi...?

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  18. वाह ! आभार इस ख़बर के लिए.

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  19. aabhar. hamare yaha v aise sahas ki jarurat hai.

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  20. aabhar. hamare yaha v aise sahas ki jarurat hai.

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  21. लिंक के लिए धन्याद। इस जूते को देख कर बुश क्या अपने देश के ही नेताओं पर शर्म आने लगती है। जब भी कहीं भ्रष्टाचार की बात होती है तो भारत का नाम जुड़ा होता है, दिल में दर्द होता है, जूते से कम नहीं। घूसखोरी जीवन का अंग बन गया है।

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