इसे कहते है प्रजात्नत्रं, क्या हम ऎसा एक विधायक या सडियाल से मन्त्री के संग कर सकते है, जिस दिन एक आम भारतीया मै यह हिम्मत आ गई उस दिन से हम सही दिशा की कोर चलना शुरु करेगे... वरना हमारे वोट कभी ७००० मै तो कभी एक शराब की बोतल , तो कभी जाति वाद पर , तो कभी धर्म के नाम से बिकते रहेगे.....
हम मै है हिम्मत बस जागने की ओर जागरुक होने की जरुरत है, तो इस खबर को पढने के लिये यहां चटखा लगाये
भारतीय लोकतन्त्र को तो अभी बहुत लम्बा रास्ता तय करना है।
ReplyDeleteतभी तो हम भारतीय दूर से ही नमस्कार कर देते हैं। हाथ छूएँगे ही नहीं तो गंदा कैसे होगा ?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
main bhi mired mirage ke vicharo se sahmat hun.
ReplyDeleteवैसे यह समय दूर नहीं है, सफेदपोशों के स्याह कारनामें सामने आऍंगे तो लोग उससे दूर जरूर भागेंगे।
ReplyDeleteजैसा पूत वैसा करतूत
ReplyDeleteराष्ट्रपति और जनता दोनो के लिये :)
अभी वक्त लगेगा। अभी तो काफी लोग नेता बनने के लिए उतवाले रह्ते हैं। वैसे काश ऐसे नेता भी आए कि लोग हाथ मिलाने को तरसे।
ReplyDeleteसरकोजी एक्स्ट्रीम रिस्पॉन्स जनरेट करते हैं!
ReplyDeleteबहुत बढिया है जी.
ReplyDeleteरामराम.
नमस्ते वाला अपना सिस्टम कितना बढ़िया है!
ReplyDeleteये तो खूब है भाई.
ReplyDelete================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
लेकिन यहां भारत में ऎसा हो पाना शा्यद असंभव है.........
ReplyDeleteआम जागरूक जनता के हौसले की बात है....
ReplyDeleteआसान नहीं
bahut badhiya jee...acchi jaankaari de aapne...
ReplyDeleteabhi bharat me aisa hone me kaafi vaqt lagega.
ReplyDeleteएक बार ऐसी घटना जेएनयु कैम्पस में हुई थी. लेकिन भारत में उस कैम्पस के अलावा कहीं और होना अभी तो सम्भव नहीं दीखता.
ReplyDeleteकाश , ये मैं भी कर दिखा सकता.मगर , हिम्मत वाली बात नहीं है, मगर इनसे दूर ही रहना अच्छा .
ReplyDeleteअच्छी रही ये खबर...
ReplyDeleteहाँ यही सच है पर क्या करें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया साहब!
-----नयी प्रविष्टि
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आपको लोहरी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteavi bhart me aisa samay aane me der lagega. yaha to logon ki aastha hoti hai ki kaise rasukh walon se sampark bane or mera v kuch kaam nikal aaye.
ReplyDeletepata nahi ham logon me satya ko sweekarne ki himmat kab aayegi, aapko ek satya saamne rakhne ke liye dhaynavaad.
ReplyDeleteराष्ट्रपति से हाथ मिलाने से इनकार इसे कहते है प्रजात्नत्रं, क्या हम ऎसा एक विधायक या सडियाल से मन्त्री के संग कर सकते है, जिस दिन एक आम भारतीया मै यह हिम्मत आ गई उस दिन से हम सही दिशा की कोर चलना शुरु करेगे... वरना हमारे वोट कभी ७००० मै तो कभी एक शराब की बोतल , तो कभी जाति वाद पर , तो कभी धर्म के नाम से बिकते रहेगे.....
ReplyDeletehame is din ka hi intjar hai....
लोकराज लोकलाज से चलता है यदि कोई माने तो पर आपका धन्यवाद भाटिया जी
ReplyDeleteकटु यथार्थ
ReplyDeletehttp://manoria.blogspot.com
http://kundkundkahan.blogspot.com
Bharat me to aisa sambhav nahin dikhta.Yahan to log badi hastiyon jinme neta bhi shamil hain, ko paas se dekhne aur chune ke liye lalayit rehte hain.
ReplyDeleteMujhe is samachar ke bilkul viprit kai varsh pahle ki ek ghatna yaad aa rahi hai.Rajiv Gandhi ke U.P ke kisi daure ke dauran unse haath milane ke baad kisi vyakti ne ek saptah tak apna haath nahin dhoya tha.