आज का चिंतन जब हम बहुत छोटे थे तो पिता जी ने कहानी के रुप मे सुनाया था, ओर मेने अपने बच्चो को भी यही संस्कार, ऎसी कहानियो के रुप मै दिये है... तो लिजिये आप भी पढिये इस चिंतन रुपी कहानी को...
उस ऊपर वाले के सहारे
सर्दियो के दिन थे, इस लिये शाम जल्दी हो जाती थी, यानि जल्दी अंधेरा हो जाता है, एक दिन मोसम बडा खराब था, ओर आसमान मै दोपहर से ही बादल छाये हुये थे, लगता था अन्धेरी ओर तुफ़ान बहुत घिर से आयेगे, सभी पशु पक्षी अपने अपने सुरक्षित स्थानो पर पहुच गये थे, एक कोयल अपना घर भुल गई, क्योकि एक तो काफ़ी अंधेर हो गया था, दुसरा वो बेचारी घवरा गई थी.
सामाने ही उसे एक नीम का बडा सा पेड दिखाई दिया, कोयल ने सोचा चलो आज रात यही गुजार लुगी, ओर जेसे ही वह उस नीम के पेड पर बेठी, वहा बेठे कोव्वो ने कांव कांव कर के उसे भगाना चाहा, कोयल नै कहा भाईयो मै आज अपना घर भुल गई हुं, बस आज की इस तुफ़ानी रात मै मुझे किसी एक कोने मै पडी रहने दो, कल सुबह ही मै यहा से चली जाऊगीं,लेकिन कोंवे कहा मानाने वाले थे, ओर वह सब उस कोयल को खुब गालिया निकालने लगे , तो कोयल ने कहा भाईयो मै तो तुम्हारी बहिन जेसी हूं, कृप्या मेरे ऊपर दया करे अब तो आंधी भी शुरु हो गई है, मै गरीब कहा जाऊगी, आज की रात बस आज की रात मुझे यहां रहने दो....
लेकिन कोवें तो स्वभाव से ही लडाके होते है, वो कोयल तो क्या अपिस मै भी बहुत लडते है, ओर खुब शोर भी तो मचाते है, अब सारे कोवे कोयल को मारने की सोचने लगे, तो कोयल ने, वहा से जाने की सोची, तो कोवे बोले अरे कोयल तुम तो भगवान को बहुत मानती हो फ़िर उसी भगवान के सहारे किसी दुसरे पेड पर चली क्यो नही जाती, जा दफ़ा हो यहां से वरना हम तेरे पर नोचं डालेगे.
कोयल वहा से उड कर सामने एक आम के पॆड पर बेठ गई, तभी उसे एक कोटर( ऎक डाल डुडने से बना एक छेद) सी दिखाई दी, ओर कोयल डरते डरते उस मै चली गई, वहा पहले से ही कबुतर, गोरेया,तोता ओर कई अन्य पक्षी बेठे थे, उन सब ने मिल कर कोयल को भी जगह देदी.
फ़िर तो खुब जोर से बारिस हुयी, खुब मोटे मोटे ओले भी पडे, उन ओलो से कई कोवे वेचारे मर गये, कई बुरी तरह से घायल भी हो गये, सारी रात बरसात होती रही, दुसरे दिन जब सुर्य देवता निकले तो मोसम भी साफ़ हो गया, ओर बादल भी छटक गये, तो उस कोटर से सारे पक्षी एक दुसरे को राम राम कर के आसमान मै उड चले... अब कोय़ल को देख कर कई घायल कोवे जमीन पर गिरे पहचान कर बोले अरे कोय़ल बहिन तुम केसे बच गई... कोयल बोली उस ऊपर वाले के सहारे से
सच कहा. संकट में ऊपरवाला ही तो है जिस का आसरा सब को मिलता है.
ReplyDeletebahut badiaa hai
ReplyDeleteभगवान का सहारा ही बेड़ा पार लगाता है...। अच्छी प्रेरक पोस्ट।
ReplyDeleteजाको राखे साईंया, मार सके न कोए।
ReplyDelete"सच कहा उपर वाले से बढ़ कर कोई नही, तभी तो कहते हैं... तेरा नाम एक सांचा दूजा न कोई.. मेरे राम "
ReplyDeleteregards
हमेशा की तरह प्रेरणादायी आलेख। जिन्हें कहीं से भी मदद नहीं मिलती, भगवान वैसे लोगों का खुद ख्याल रखते हैं।
ReplyDeleteप्रेरणा देती कहानी......
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी थी ......सही में जिसका कोई नही उसका ऊपर वाला होता है...
ReplyDeleteजिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों-- की याद आ गयी इस कहानी को पढ़कर.
ReplyDeleteसच है संकट के समय ऊपर वाला (ईश्वर) ही सबसे बड़ा सहारा है .
ReplyDeleteप्रेरणास्पद कहानी के लिए आभार.
प्रेरक कहानी.
ReplyDeleteरामराम.
bhagvan ka sahara hi beda paar lagata hai!bahut hi prerak kahani hai!
ReplyDeleteuparwalaa sabko baraabari se deta hai
ReplyDeletesirf samjhne aur mauke ki najaakat par aapkaa dil gawah to ho
ReplyDeleteभाटिया जी, यार ज़रा यह बताओ कि, जितनी बार यहाँ आता हूँ ..
कुछ न कुछ नया ही रंगरूप देखने को मिलता है !
आखिर, राज़ क्या है ?
वाह... भाटिया जी वाह... बेहतरीन प्रस्तुति है.. साधुवाद स्वीकारें..
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट.
ReplyDeleteबुजुर्गों के पास जीवनसत्य को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के ऐसे कारगर तरीके थे कि वे बातों बातों में कई संस्कार दे जाते थे।
ReplyDeleteप्रेरक एवं सार्थक प्रस्तुति। आभार।
ReplyDeleteभगवान् का सहारा ही तो सब कुछ है
ReplyDeleteअच्छी प्रेरणादायक कहानी है. मिल जुलकर रहना तो भूल गए हैं आज कल सब. आशा है कुछ सीखेंगे इस कहानी से.
ReplyDeleteवाह्! भाटिया जी, क्या खूब कही.......
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरक प्रसंग सुनाया.........
धन्यवाद.........
बहुत सुंदर और बहुत ही प्रेरणा दायक कहानी है , मन करता है की बस कहानी ही सुनता रहूँ
ReplyDeleteबचपन में दादी की कहानी सुने बिना सोता ही नही था , आपकी कहानिया पढ़ कर दादी की कहानिया याद आ जाती है . यह कहानिया एक तरह का संस्कार है जो एक पीढी से दूसरी पीढी में हस्तांतरित होती है , जैसा की आपके पिताजी ने आप को सुनाई और आपने इस कहानी को अगली पीढी में . आप की पिताजी का मेरा सादर प्रणाम .....