01/12/08

'वे हमारी ज़मीन में दफ़न नहीं हो सकते'

कुछ खबरे बी बी सी से. काश हम सब मिल कर लडे इस लडाई को, ओर तभी जीत भी जाये गे, इस खबर को आप यहां पढ सकते है

और ये हैं एनएसजी कमांडो के हीरो

26 comments:

  1. "कमांडो की उस बटालियन के हेड मेरे पास आए और बोले कि हनीफ़ तू नहीं होता तो ये मिशन कामयाब नहीं होता. ये नरीमन हाउस मुठभेड़ का असली हीरो तू ही है. यहाँ लोग जानते हैं मैंने क्या किया.

    ऐसे लोगो को नमन करना चाहूँगा !

    रामराम !

    ReplyDelete
  2. nsg ke hero hanif ko padhna achha laga,ye hai sachhe deshbhakt,wo chuhe politicians nahi.

    ReplyDelete
  3. आभार इन प्रेरक खबरों के लिए !

    ReplyDelete
  4. इन लावारिस लाशों को फेंके हुए टायर और मिट्टीतेल डाल कर जला देना चाहिए, मिट्टीतेल भी क्यों बर्बाद करना, टुकड़े कर के समुद्र की मछलियों को खिला दो.

    ReplyDelete
  5. पर ये बीबीसी वाले आतंकवादियों को चरमपंथी या बंदूकधारी क्यों लिखते हैं? बिल्कुल अपने एनडीटीवी, स्टार, आजतक और आईबीएन की तरह?

    ReplyDelete
  6. इन खबरों की ओर ध्‍यान दिलाने के लिए आपका हार्दिक धन्‍यवाद।

    ReplyDelete
  7. जी हां कल ये पढ़ी थीं। आपने लिन्क दिये, धन्यवाद।

    ReplyDelete
  8. हमने भी पढ़ लिया था. लिंक देना आपकी उद्विग्नता को स्पष्ट करता है. हम सब साथ हैं. आभार.
    http://mallar.wordpress.com

    ReplyDelete
  9. " thanks for sharing link with us."

    Regards

    ReplyDelete
  10. आभार आपका भाटिया जी।

    ReplyDelete
  11. यह सोचना एक बड़ी बेवकूफी होगी की इतना योजनाबद्ध हमला, इतनी सटीक रणनीति से विदेश में बैठे कुछ सिरफिरे लोगों ने अकेले ही अंजाम दिया होगा. हमले के पहले की तैयारी, आतंकियों का मुंबई के तट, मछुआरा क्षेत्रो, सड़क-रास्ते, निशाने पर रहे भवनों-होटलों का पूरा ज्ञान, यहूदियों के ठिकानों की सटीक जानकारी (जो अधिकतर कोलाबावासी भी नहीं जानते), तीन दिन तक लगातार चलने वाला असलहा भवनों-होटलों तक पहुंचना, अबू आज़मी का भीषण गोलीबारी और कमांडो संघर्ष के बीच होटल के अन्दर जाना और साउदी अफसर को बाहर लाना........

    यह कब्रिस्तान में दो गज ज़मीन भी न देने की बात डैमेज कंट्रोल की कार्यवाही ज़्यादा लगती है, ध्यान बांटने की एक कोशिश........ इमेज मैनेजमेंट जिसे कहते हैं न!

    पर हम अभी तक क्यों बेवकूफ बने हुए हैं? आगे आप समझदार हैं.

    ReplyDelete
  12. सच्चे भारतीय को प्रणाम, और
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इस लिंक के लिये

    ReplyDelete
  13. क्या फर्क पड़ता है उन्हें जमीन मिले या नही ?किसे परवाह है .......?मेडिकल में बॉडी दे दो ....चीरफाड़ करके कुछ लोग कुछ सीख जायेगे

    ReplyDelete
  14. बस यही कहना है,
    हम एक हैं.........
    हम पंछी एक डाल के , अपनी हरियाली के लिए कल भी सचेत थे,आज भी हैं और रहेंगे...

    ReplyDelete
  15. कुछ भी हो उन लाशो का चील कौवे खा जायें या सड़ जायें, कोई कुछ कहने वाला नही, मगर ऎसे चंद दो कौड़ी के आतंकवादियो के लिये हमारे देश के अमूल्य रत्न कुर्बान हो गये, क्या कहें कुछ भी कहना मुश्किल है, आक्रोश के सिवा दिल में कुछ भी तो नही...

    ReplyDelete
  16. नमस्कार आप सब का टिपण्णी देने के लिये, ओर ab inconvenienti भाई बात तो आप की सही है, है कोई घर का ही भेदी, क्योकि कितने भी नकशे कोई देख ले , एक दम से इतना सब नही कर सकता, फ़िर अबू आज़मी का भीषण गोलीबारी और कमांडो संघर्ष के बीच होटल के अन्दर जाना और साउदी अफसर को बाहर लाना........
    यह सब शक की सुईयां है लेकिन बिना सबुत के शक करना ओर सब को उसी नजर से देखना भी उचित नही, यह काम तो अब हमारी सरकार को करना चाहिये.
    आप का बहुत बहुत धन्यवाद, यही बात मेरे ओर बाकी सभी भारतीयो के दिमाग मै जरुर घुमती होगी

    ReplyDelete
  17. dhanyawaad. esa ho sakata hai . ek kahawat hai ghar ka bhedi lanka dhaaye. kuch hisambhav hai.

    ReplyDelete
  18. muslim samaaj kae un terrorist ko naa dafnaa nae ki to aaj tv par daekha ki wo keh rahey haen ki is liyae dafan nahin karegae kyuki wo unhey muslmaan hi nahin maantey

    ab wo kyaa keh rahey haen yae wo to samjh rahey haen aap aur ham bhi samjh hee jaaye to achcha haen varna kargil to hae hee

    ReplyDelete
  19. इस लिंक के लिए धन्यवाद .

    ReplyDelete
  20. मुस्लिम संस्थाओं का यह कदम सराहनीय है ! और वे भटके हुए हत्यारे अपने अंजाम तक पहुँच ही गए हैं !

    ReplyDelete
  21. प्रेरक,सराहनीय!

    ReplyDelete
  22. आतंक्वादियों की लाशों को हम किसलिए अपनी जमीन दे?.... हो सकता है कि उनकी लाशों को तो चिल-कौवे भी खाने से इन्कार कए दे॑... आपके विचारों से हम सहमत है।...वास्तविकता यही है।

    ReplyDelete
  23. logon ke joote khaane ke liye laa patke inhe aur kuton ko noch khaane den inki laashen, bujdil auraton aur bheed ki aad lete hai aur jihaadi kahlaane ki umang rakhte hai.......

    ReplyDelete
  24. बेहतरीन व संवेदनशील प्रस्तुति के लिये आभार

    ReplyDelete
  25. आपका कोटिशः आभार जो आपने इस समाचार को प्रमुखता देते हुए इसे अपने ब्लॉग के माध्यम से प्रसारित किया .किसी भी कौम में सरे लोग अच्छे या सारे बुरे नही होते.इन दिनों मुसलमानों के नाम पर जिस प्रकार से कुप्रचार हो रहे हैं उसके बीच इस प्रकार की खबरों को प्रमुखता से प्रकाश में लाना ही चाहिए,यह सांप्रदायिक सौहाद्र के लिए अत्यन्त आवश्यक है.
    यह अत्यन्त हर्ष की बात है.ईश्वर हमारे देश में शान्ति भाईचारा और सांप्रदायिक सौहाद्र बनाये रखें.

    ReplyDelete

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये