10/11/08

अच्छी बाते

मनुष्य के पतन ओर नष्ट होने के सब से पहले क्या लक्षण है ??

विनाश काले, विपरीत बुद्धि ॥

मतलब जिस मनुष्य का पतन या विनाश का समय आ जाता है, उस की बुद्धि उस से सारे काम उलटे करवाती है, वह उचित को अनुचित ओर अनुचित को उचित मनवाने लग जाता है,

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धन दोलत,पद ओर कुर्सी पाने पर ओर इन्हे खोने पर क्या होता है???

दोलत की दो लात है, तुलसी निश्चय कीन।

आवत मै अंधा करे,जावत करे आधीन।

तुलसी दास जी ने सही कहा है कि जब हमै धन दोलत, पद ओर सत्ता मिलती है तो हम घंमण्ड मे अंधे हो जाते है, ओर जब यह छीन जाते है तो उस के वियोग मै पगलाया सा , इन सब का गुलाम बना फ़िरता है,

तुलसी दास जी

28 comments:

  1. इन सदविचारों का आभार!!

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  2. धन से सत्ता और सत्ता से अहंकार आता है। शतरंज के मोहरे पर एक सटीक टिप्पणी है, 'पैदल से फर्जी भयो, टेडो-टेडो जाय।' यानि पद प्राप्त होते ही व्यवहार बदल जाता है।

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  3. काश ये बात हमारी भी समझ में आ जाए।

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  4. बहुत उपयोगी शिक्षा दी आपने ! धन्यवाद !

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  5. अच्छे विचारा. ताऊ का पीछा छोड दें तो और अच्छे विचार आएँगे. आभार.

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  6. subah ki chaay ke saath kuchh achee baten padhna achcha lagaa

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  7. विनाश काले, विपरीत बुद्धि
    " bhus satvik or acche veechar hain, or inssan ko inhe bhulna nahee chahyeye....thanks for sharing"

    Regards

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  8. याद आ रहा है - क्रोध से मोह होता है, मोह से स्मृतिविभ्रम, स्मृतिविभ्रम से बुद्धिनाश और बुद्धिनाश से मनुष्य पतित होता है॥ भग्वद्गीता अध्याय २॥

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  9. अच्‍छे विचारों के प्रचार प्रसार के लिए धन्‍यवाद।

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  10. जब नाश मनुज पर छाता है
    पहेले विवेक मर जाता है!!

    हमेशा की तरह एक काम की बात बताने के लिये धन्यवाद !!

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  11. बहुत बढीया लेख है।
    ज्ञानवर्धक भी है।

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  12. सुंदर और उपयोगी संदेश

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  13. सौ टेक की एक बात . बहुत ही प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत करने के लिए राज जी दिल से आभार .

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  14. बढ़त-बढ़त सम्पति सलिल, मन सरोज बढ़ि जाय।
    घटत-घटत पुनि ना घटै, बरु समूल कुम्हिलाय॥

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  15. सद्`विचारोँ के लिये आभार
    - लावण्या

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  16. वाह-वाह.. भाटिया जी...
    प्रेरक विचारों से ऒत-प्रोत पोस्ट..
    आदिकवि टी डी गोस्वामी जी का जवाब नहीं.
    धन्य प्रस्तुति.. साधुवाद..

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  17. दोलत की दो लात है, तुलसी निश्चय कीन।
    आवत मै अंधा करे,जावत करे आधीन।

    महापुरुषों की बात में बड़ी सच्चाई है, भाटिया जी!

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  18. महापुरुषों ने कुछ भी यूँ ही नही कह दिया है.... उनके शब्द गूढ़ अनुभवों के निचोड़ हुआ करते हैं...
    आपका साधुवाद,इन सद्विचारों को पढ़वाने के लिए.

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  19. good thoughts are guiding us
    thanks for your sentiments

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  20. "बहुत अच्छे है मेरे समय के लोग"- राजेश मल्ल की यह कविता सच कहती है . अच्छे विचार-आपके विचार.

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  21. आज ही मैंने आप के सभी स्तम्भ देखे .बडी मेहनत से संकलन किया है आपने . आज के दौर में ये सद विचार हमें अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरणा देते हैं .अफ़सोस केवल यही है कि पढने के कुछ देर बाद हम लोग सब कुछ भूल कर फिर इसी माया में पड़ जाते हैं . इस ब्लॉग जगत को ऐसे ही अमृत विचारों से पूर्ण रखिये .

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