मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
30/10/08
एक सवाल आप सब से
यह मेरा सवाल आप सब से है( हिन्दु, मुस्लिम, सिख ओर ईसाई वा अन्य धर्म वालो से भी,) ओर आप किसी भी देश के नागरिक हो, लेकिन सवाल का जवाव जरुर देवें... आप को अपना धर्म ज्यादा प्यारा है??? या अपना देश ????
मेरे धर्म और देश में कोई विरोध नहीं, विरोधाभास नहीं। आपने यह प्रश्न नेक नीयत से उठाया होगा। पर यह सवाल कई सियासी खुराफात करने वाले भी उठाते रहे हैं - एक या दूसरे को वरीयता देने वालों को लड़ाने के लिये।
भाटिया जी मेरा धर्म इंसानियत है और मेरे हिसाब से ये पुरी धरती ही इंसानों की है ! नक्शे से लकीरे मिटा दीजिये कहीं पर कोई देश नही दिखेगा ! और अलग २ धर्मो के लोगो को चार दिन एक कमरे में बंद कर दीजिये और उनका राशन पानी बंद कर दीजिये ! फ़िर बाहर निकाल कर उनसे पूछिये धर्म क्या है ? एक ही जवाब आयेगा - रोटी ! अब मेरा जवाब आप जैसे भी समझे .. वोट कर दीजिये ! शुभकामनाएं !
" ofcourse desh pehle aata hai jhan hum janam laiten hain jhan kee mittee mey pltey bdhty hain.... or jub desh se pyar hotta hai to uskee hr cheez se pyar hona bhe lajmee hai.."
इस प्रश्न का सम्बन्ध एहसास से है और एहसास की कोई भाषा नहीं होती. ज़बान से लोग बहुत कुछ कहते रहते हैं, उसका क्या भरोसा. मैं मुसलमान हूँ. दूसरों के बारे में नहीं जनता. मेरे संस्कारों ने मुझे नबीश्री की इस हदीस को मेरी घुट्टी में डाल दिया है."हुब्बुल वतनि मिनल ईमान" अर्थात देश-प्रेम ईमान का आधार है. यहाँ ईमान शब्द प्रयोग हुआ है, धर्म या मज़हब नहीं. ईमान का सम्बन्ध चित्त से है. ईमान के स्तर पर धर्म का भेद मिट जाता है. ईमान एक परिष्कृत चित्त के बिना हो ही नहीं सकता. तमाम बुराईयों से रहित. वर्चस्व की भावना से मुक्त. जहाँ ईमान होगा वहाँ मातृभूमि के प्रति प्रेम निश्चित रूप से होगा. जो बे-ईमान हैं वे किसी के नहीं हो सकते.
Donon se pyar hai, magar vah dharm hi kya jismen desh ko sthan dusare number par ho. Agar desh nahin bachega to dharm ki raksha kahan se hogi. Apne apne dharm par garv hona hio chahiye parantu desh ko sarvochh sthan milna chahiye.
देश ..देश ..ओर देश......... कभी सोचा है आदम ओर हव्वा किस धर्म के थे ?धर्म तो इंसान ने बनाया है ..धर्म का अर्थ है इंसानियत ..त्याग ,भाईचारा ...मेरे लिए वो आदमी ज्यादा अच्छा है जोकभी मन्दिर नही जाता मस्जिद नही जाता ....पर भूखे बच्चे को रोटी देता है ,अपने माँ बाप को बुढापे में छोड़ता नही है ,दोस्तों की मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता है ,पशुओ पर अत्याचार नही करता है ...ओर अपने देश के लिए अपनी जान दे देता है..
मुझे तो धर्म से ही पता चला की देश माँ है ,और माँ महान होती है . स्वयम भगवन राम ने कहा था अपि स्वर्ण मयि लंका न मय लक्ष्मण रोचते ,जननी जनम भूमि स्वर्ग्य द्पी gryasi
भई राज भाई! अगर ताऊ जी के शब्दों का कॉपी राइट न हो तो हमारा भी जवाब यही होगा कि हम तो देश-धर्म से ज्यादा इंसानियत के पुजारी हैं. इसके बाद देश और फिर धर्म.
चित्रलेखा फिल्म का एक गीत सुना होगा आपने - ....उसमे कहा गया है कि - हर युग मे बदलते धर्मों को कैसे आदर्श बनाओगे....बस इसी मे सारा उत्तर छिपा है। देश पहले....धर्म बाद मे आता है।
अगर मैं हिंदू कायस्थ कुल में पैदा न होकर मुस्लिम मोची का बेटा होता तो ? मज़हब बदल जाता, देश और माँ तो शाश्वत रूप से मेरे साथ ही चलेंगे ! जननी जन्मभूमि का कोई विकल्प हो सकता है, भला ? मैं इसका उत्तर देकर स्वयं को निरुत्तर करना नहीं चाहता, अतः टिप्पणी बक्से से बहिर्गमन करता हूँ !
यह सवाल मेने नही, मेरे छोटे बेटे ने मुझ से पुछा था, क्योकि मै भारत के कई समाचार घर पर सब को बताता हू, तो एक दिन मेरे से यह सवाव किया? जिस का जवाव मेरे पास नही था, अगले दिनो मे, मै इस सवाल को इस के पुरे रुप मे फ़िर से आप सब के सामने रखूगां जिस मे सवाल ओर जबाब दोनो ही है. यह सवाल किसी विषेश धर्म या राजनीति से प्रभावित नही है, यह सवाल हम सब से है,ओर हर देश के हर नागरिक से, चाहे वो भारत हो या अमेरिका, पाकिस्तान हो या रुस. आप सब का धन्यवाद जवाव देने के लिये,ओर आप सब के जवाव से दिल खुश हुआ. क्योकि जब तक मुझे इस सवाल का जवाव नही मिलता तो इसी सवाल का अगला सवाल केसे करता, फ़िर से आप सब का धन्यवाद
मेरा जवाब देर से आया. मैं देश को सबसे ऊपर मानता हूँ. धर्म एक व्यक्तिगत भावना है लेकिन मेरा व्यवहार धर्म की शिक्षा से प्रेरित है. मेरा धर्म मुझे देश से प्रेम करना सिखाता है. देशवासियों से प्रेम करना सिखाता है.
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
अपना देश
ReplyDeleteहमें तो राज जी पसंद हैं....क्योंकि वह भी अपने देश को बहुत चाहते हैं.
ReplyDeleteये भी कोई पूछने की बात है, देश सबसे पहले है ।
ReplyDeleteहमेँ दोनोँ से प्रेम है :)
ReplyDelete- लावण्या
मेरे धर्म और देश में कोई विरोध नहीं, विरोधाभास नहीं।
ReplyDeleteआपने यह प्रश्न नेक नीयत से उठाया होगा। पर यह सवाल कई सियासी खुराफात करने वाले भी उठाते रहे हैं - एक या दूसरे को वरीयता देने वालों को लड़ाने के लिये।
देश सुरक्षित होगा , तभी तो धर्म सुरक्षित है।
ReplyDeleteमुझे अपने धर्म पर गर्व है लेकिन जब बात देश की आती है तो मेरे लिए मेरा देश सबसे महत्वपूर्ण है | जाति,धर्म,परिवार सब बाद में |
ReplyDeleteदेश प्यारा है
ReplyDeleteअपना देश ही भाई...तड़प कर रह जाते हैं.
ReplyDeleteबताना जरुर कि क्या निष्कर्ष निकाला जबाबों से या रियलिटी शो के एस एम एस टाईप बात है?
ReplyDeleteभाटिया जी मेरा धर्म इंसानियत है और मेरे हिसाब से ये पुरी धरती ही इंसानों की है ! नक्शे से लकीरे मिटा दीजिये कहीं पर कोई देश नही दिखेगा ! और अलग २ धर्मो के लोगो को चार दिन एक कमरे में बंद कर दीजिये और उनका राशन पानी बंद कर दीजिये ! फ़िर बाहर निकाल कर उनसे पूछिये धर्म क्या है ? एक ही जवाब आयेगा - रोटी ! अब मेरा जवाब आप जैसे भी समझे .. वोट कर दीजिये ! शुभकामनाएं !
ReplyDelete" ofcourse desh pehle aata hai jhan hum janam laiten hain jhan kee mittee mey pltey bdhty hain.... or jub desh se pyar hotta hai to uskee hr cheez se pyar hona bhe lajmee hai.."
ReplyDeleteRegards
इस प्रश्न का सम्बन्ध एहसास से है और एहसास की कोई भाषा नहीं होती. ज़बान से लोग बहुत कुछ कहते रहते हैं, उसका क्या भरोसा. मैं मुसलमान हूँ. दूसरों के बारे में नहीं जनता. मेरे संस्कारों ने मुझे नबीश्री की इस हदीस को मेरी घुट्टी में डाल दिया है."हुब्बुल वतनि मिनल ईमान" अर्थात देश-प्रेम ईमान का आधार है. यहाँ ईमान शब्द प्रयोग हुआ है, धर्म या मज़हब नहीं. ईमान का सम्बन्ध चित्त से है. ईमान के स्तर पर धर्म का भेद मिट जाता है. ईमान एक परिष्कृत चित्त के बिना हो ही नहीं सकता. तमाम बुराईयों से रहित. वर्चस्व की भावना से मुक्त. जहाँ ईमान होगा वहाँ मातृभूमि के प्रति प्रेम निश्चित रूप से होगा. जो बे-ईमान हैं वे किसी के नहीं हो सकते.
ReplyDeleteDonon se pyar hai, magar vah dharm hi kya jismen desh ko sthan dusare number par ho. Agar desh nahin bachega to dharm ki raksha kahan se hogi. Apne apne dharm par garv hona hio chahiye parantu desh ko sarvochh sthan milna chahiye.
ReplyDeleteदेश ..देश ..ओर देश.........
ReplyDeleteकभी सोचा है आदम ओर हव्वा किस धर्म के थे ?धर्म तो इंसान ने बनाया है ..धर्म का अर्थ है इंसानियत ..त्याग ,भाईचारा ...मेरे लिए वो आदमी ज्यादा अच्छा है जोकभी मन्दिर नही जाता मस्जिद नही जाता ....पर भूखे बच्चे को रोटी देता है ,अपने माँ बाप को बुढापे में छोड़ता नही है ,दोस्तों की मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता है ,पशुओ पर अत्याचार नही करता है ...ओर अपने देश के लिए अपनी जान दे देता है..
देश !
ReplyDeleteapana desh,
ReplyDeleteमेरा प्यारा वतन जिसपे मेरा दिल कुर्बान ......
ReplyDeleteमुझे तो धर्म से ही पता चला की देश माँ है ,और माँ महान होती है . स्वयम भगवन राम ने कहा था
ReplyDeleteअपि स्वर्ण मयि लंका न मय लक्ष्मण रोचते ,जननी जनम भूमि स्वर्ग्य द्पी gryasi
jab desh mahfuj rahega, tabhi to dharam...
ReplyDeleteराष्ट्र धर्म
ReplyDelete==================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
भई राज भाई! अगर ताऊ जी के शब्दों का कॉपी राइट न हो तो हमारा भी जवाब यही होगा कि हम तो देश-धर्म से ज्यादा इंसानियत के पुजारी हैं. इसके बाद देश और फिर धर्म.
ReplyDeleteवाकई भाटिया जी
ReplyDeleteताऊ ने हम सभी का जवाब दे डाला
शेष शुभ
चित्रलेखा फिल्म का एक गीत सुना होगा आपने - ....उसमे कहा गया है कि - हर युग मे बदलते धर्मों को कैसे आदर्श बनाओगे....बस इसी मे सारा उत्तर छिपा है। देश पहले....धर्म बाद मे आता है।
ReplyDeleteदेश के लिए प्यार ही मेरा धर्म है
ReplyDeleteअगर मैं हिंदू कायस्थ कुल में पैदा न होकर मुस्लिम मोची का बेटा होता तो ?
ReplyDeleteमज़हब बदल जाता, देश और माँ तो शाश्वत रूप से मेरे साथ ही चलेंगे !
जननी जन्मभूमि का कोई विकल्प हो सकता है, भला ?
मैं इसका उत्तर देकर स्वयं को निरुत्तर करना नहीं चाहता, अतः टिप्पणी बक्से से बहिर्गमन करता हूँ !
यह सवाल मेने नही, मेरे छोटे बेटे ने मुझ से पुछा था, क्योकि मै भारत के कई समाचार घर पर सब को बताता हू, तो एक दिन मेरे से यह सवाव किया? जिस का जवाव मेरे पास नही था, अगले दिनो मे, मै इस सवाल को इस के पुरे रुप मे फ़िर से आप सब के सामने रखूगां जिस मे सवाल ओर जबाब दोनो ही है.
ReplyDeleteयह सवाल किसी विषेश धर्म या राजनीति से प्रभावित नही है, यह सवाल हम सब से है,ओर हर देश के हर नागरिक से, चाहे वो भारत हो या अमेरिका, पाकिस्तान हो या रुस.
आप सब का धन्यवाद जवाव देने के लिये,ओर आप सब के जवाव से दिल खुश हुआ. क्योकि जब तक मुझे इस सवाल का जवाव नही मिलता तो इसी सवाल का अगला सवाल केसे करता,
फ़िर से आप सब का धन्यवाद
मेरा जवाब देर से आया. मैं देश को सबसे ऊपर मानता हूँ. धर्म एक व्यक्तिगत भावना है लेकिन मेरा व्यवहार धर्म की शिक्षा से प्रेरित है. मेरा धर्म मुझे देश से प्रेम करना सिखाता है. देशवासियों से प्रेम करना सिखाता है.
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