मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
23/09/08
दादी मां
आईये आप कॊ एक दादी मां की बात बतायें.....दिल्ली से रोहतक जाने के लिये एक बुढिया दादी मां जो करीब नव्वे साल के करीब थी, ओर पतला सा शरीर ओर बेचारी से चला भी मुश्किल जा रह था, बच्चो ने शायद मना कर दिया, पुरा पढने के लिये यहां दबाये
भाटिया जी , आप के छोटी छोटी बातें वाले आशियाने पर जा कर पूरी पोस्ट भी पढ़ आये हैं और टिप्पणी भी ठेल आये हैं। लेकिन एक बात बतलाइये कि यह जो ऊपर फूल दिख रहा है ...इस का क्या नाम है और यह कहां पर खिला हुया है। सचमुच बताऊं कि यह फूल देख कर मन इतना खुश हो उठा है कि ज़ोर से सीटी मारने की इच्छा हो रही है.....mysterious are the ways of Mother Nature!!
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
भाटिया जी , आप के छोटी छोटी बातें वाले आशियाने पर जा कर पूरी पोस्ट भी पढ़ आये हैं और टिप्पणी भी ठेल आये हैं।
ReplyDeleteलेकिन एक बात बतलाइये कि यह जो ऊपर फूल दिख रहा है ...इस का क्या नाम है और यह कहां पर खिला हुया है। सचमुच बताऊं कि यह फूल देख कर मन इतना खुश हो उठा है कि ज़ोर से सीटी मारने की इच्छा हो रही है.....mysterious are the ways of Mother Nature!!
Bahut badiya.
ReplyDeleteवहीं जाते हैं.
ReplyDeleteये फूल तो वाकई काफी खूबसूरत है....इसके पंखुडियों के एक विशेष ढंग से अधखुले रूप ने इसमें तो अनोखी छटा बिखेर दी है।
ReplyDeleteये आलेख बहुत बढिया लगा राज भाई और फूल भी सुँदर है !
ReplyDelete- लावण्या
वाह जी वाह......ओर आपका ब्लॉग भी चमचमा रहा है आज कल....
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